OTT और सोशल मीडिया पर अश्लील कंटेंट पर नियंत्रण वाली याचिका पर तत्काल सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता से कहा कि यदि इस याचिका में कुछ अतिरिक्त तथ्य हैं, तो उन्हें इसी मुद्दे पर पहले से लंबित याचिका में शामिल किया जाए।

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सुप्रीम कोर्ट। Photograph: (बोले भारत)

नई दिल्लीः ओटीटी और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर अश्लील सामग्री के प्रसार को रोकने के लिए नेशनल कंटेंट कंट्रोल अथॉरिटी के गठन की मांग को लेकर दायर नई जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया।

शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता से कहा कि यदि इस याचिका में कुछ अतिरिक्त तथ्य हैं, तो उन्हें इसी मुद्दे पर पहले से लंबित याचिका में शामिल किया जाए। अदालत ने स्पष्ट किया कि वह इस विषय पर पहले ही एक याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांग चुकी है।

क्या है याचिका की मांग?

नई याचिका में अदालत से मांग की गई है कि वह केंद्र सरकार को एक नेशनल कंटेंट कंट्रोल अथॉरिटी के गठन का निर्देश दे, जो ओटीटी और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रसारित अश्लील, आपत्तिजनक और गैरकानूनी सामग्री पर नियंत्रण के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश तय करे।

28 अप्रैल को इसी विषय पर दायर एक अन्य याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने केंद्र सरकार सहित कई डिजिटल कंपनियों को नोटिस जारी किया था। नोटिस पाने वाले प्लेटफॉर्म्स में नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम वीडियो, उल्लू डिजिटल लिमिटेड, ऑल्ट बालाजी, ट्विटर, मेटा (फेसबुक-इंस्टाग्राम की मूल कंपनी) और गूगल शामिल हैं।

पूर्व सूचना आयुक्त की याचिका

इस पहले से लंबित याचिका में पूर्व सूचना आयुक्त उदय माहूरकर समेत अन्य याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि डिजिटल माध्यमों पर तेजी से बढ़ रही अश्लीलता समाज में अनैतिकता, विकृति और यौन अपराधों को बढ़ावा दे रही है। याचिका में दावा किया गया है कि सोशल मीडिया पर कई ऐसे अकाउंट सक्रिय हैं जो बिना किसी निगरानी के अश्लील कंटेंट प्रसारित कर रहे हैं। कुछ ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर प्रसारित सामग्री में चाइल्ड पोर्नोग्राफी के तत्त्व भी पाए गए हैं, जो चिंताजनक है।

इस याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा था, "यह एक गंभीर सामाजिक चिंता का विषय है। केंद्र सरकार को इस दिशा में कदम उठाने की ज़रूरत है। हालांकि यह विषय कार्यपालिका और विधायिका के दायरे में आता है, फिर भी हम नोटिस जारी कर रहे हैं।"

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