नई दिल्ली: दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। दिल्ली की एंटी करप्शन ब्रांच (एसीबी) ने सौरभ भारद्वाज के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार के एक मामले में एफआईआर दर्ज करने की इजाजत मांगी है। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, एसीबी ने भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत जांच करने के लिए सक्षम प्राधिकारी से मंजूरी मांगी है।

एसीबी के एक अधिकारी ने बताया की दिल्ली के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री भारद्वाज और पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन के खिलाफ विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें उन पर स्वास्थ्य विभाग में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया था। इस शिकायत के जवाब में एसीबी ने कहा कि मामले को संज्ञान में लिया गया है और जांच के लिए पीओसी अधिनियम की धारा 71 ए के तहत पूर्व अनुमोदन के लिए अनुरोध सक्षम प्राधिकारी को भेज दिया गया है।

वीरेन्द्र सचदेवा ने क्या लगाया आरोप 

भाजपा अध्यक्ष ने पिछली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज के बयान का हवाला देते हुए कहा, '6 साल में (2017 से 2023 तक) सिर्फ 22,000 मरीजों को ही इस योजना का लाभ मिला।  यह आंकड़ा दर्शाता है कि औसतन रोजाना सिर्फ 11 गंभीर दुर्घटनाएं हुईं, और इन सभी को प्राइवेट अस्पताल में भेजा गया।  इससे साफ होता है कि या तो सरकारी अस्पतालों की हालत खराब थी या फिर प्राइवेट अस्पतालों और आप कार्यकर्ताओं की मिलीभगत से सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाया गया। '

फरिश्ते स्कीम पर सवाल क्यों?

पिछली सरकार की यह योजना 2017 में शुरू की गई थी, जिसके तहत सड़क दुर्घटना पीड़ितों का इलाज प्राइवेट अस्पतालों में मुफ्त कराया जाता था।  लेकिन 2023 तक यह योजना लगभग ठप हो गई।  इस दौरान कई बार इस स्कीम पर पारदर्शिता को लेकर सवाल उठे।  कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि बड़े अस्पतालों में झूठे बिल बनाकर सरकारी पैसे की हेरफेर हुई।  भाजपा लगातार पिछली सरकार के स्वास्थ्य मॉडल पर सवाल उठाती रही है।