दंतेवाड़ाः छत्तीसगढ़ के पूर्व नक्सली को संजय पोटाम को वीरता पुरस्कार मिला है। संजय पोटाम को बदरू नाम से जाना जाता था। उन्हें तीसरी बार इस वीरता सम्मान से पुरस्कृत किया गया है। संजय को यह प्रतिष्ठित पुरस्कार उनकी बहादुरी और सेवा के प्रति समर्पण को देखते हुए दिया गया है।

संजय पोटाम उर्फ बदरू ने साल 2013 में सरेंडर कर दिया था और पुलिसकर्मी बन गया था। फिलहाल, वह 3 स्टार पुलिस अधिकारी हैं। संजय ने पुरस्कार मिलने पर खुशी जताई है और आभार व्यक्त किया है।

समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत करते हुए संजय पोटाम ने कहा कि "मैं बहुत भाग्यशाली हूं कि मुझे यह पुरस्कार मिला। जब मैं नक्सलवाद में था तो मुझे सुकमा दंतेवाड़ा सीमा की जिम्मेदारी मिली थी। "

नक्सलियों से समर्पण का किया अनुरोध

इसके साथ ही संजय ने अन्य नक्सलियों से भी समर्पण करने को कहा है। संजय ने इन लोगों से कहा कि उन्हें ये छोड़कर सामान्य जीवन जीना चाहिए। उन्होंने नक्सली लोगों से कहा है कि अपनी विचारधारा का पालन करते हुए भविष्य में वह कुछ नहीं कर सकेंगे।

पुलिसकर्मी पोटाम ने बताया कि "जब मैंने नक्सलवाद छोड़ा, मैं डीईसी का सदस्य था। जो लोग नक्सल हैं उन्हें कोई लाभ नहीं मिला है। उनको जिम्मेदारियों के आधार पर ही प्रमोट किया जाता है जो वो हैंडल कर सकते हैं। जब मैं नक्सलवाद में सम्मिलित था तो मुझे बाहरी दुनिया के बारे में कुछ नहीं पता होता था।

मैं बस्तर क्षेत्र का निवासी हूं...इसलिए मैंने उनकी विचारधारा का पालन किया लेकिन उसका कोई भविष्य नहीं है। मैं सभी को कहना चाहता हूं कि नक्सली केवल लोगों को भ्रमित करते हैं। वे लोगों को हिंसा का रास्ता अपनाने के लिए उकसाते हैं जो कि सही नहीं है। इसलिए मैं सभी नक्सलियों से समर्पण करने का अनुरोध करता हूं और सामान्य जीवन जीने को कहता हूं।"

पोटाम की यह कहानी आशा को दिखाती और लोगों के लिए एक मिसाल की तरह है। जहां संजय पोटाम नक्सली से पुलिसकर्मी बनकर सेवा कर रहे हैं तो वहीं उनकी पत्नी नक्सलवाद को छोड़कर एक सरकारी कार्यालय में चपरासी के रूप में कार्यरत हैं।