उत्तर प्रदेश के संभल जिले में शाही ईदगाह मस्जिद से जुड़े विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अहम आदेश जारी किया। शीर्ष अदालत ने ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया कि जब तक मस्जिद की शाही ईदगाह कमेटी इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख नहीं करती, तब तक सर्वे से संबंधित किसी भी प्रकार की प्रक्रिया को स्थगित रखा जाए। कोर्ट ने कहा कि शांति और सामाजिक सौहार्द बनाए रखना अत्यंत जरूरी है। यह आदेश ऐसे समय आया है जब मस्जिद पर सर्वे के दौरान हुई हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई और कई घायल हुए थे।
संभल मामले में सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि “शांति और सौहार्द बनाए रखना जरूरी है। हम नहीं चाहते कि इस मामले में कोई अप्रिय घटना हो। ट्रायल कोर्ट की सुनवाई तब तक स्थगित रहेगी जब तक हाईकोर्ट इस मामले पर विचार नहीं करता।”
अदालत ने मस्जिद कमेटी को निर्देश दिया कि वे हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती दें। यदि मस्जिद कमेटी तीन दिनों के भीतर याचिका दायर करती है, तो हाईकोर्ट इसे तुरंत सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि सर्वे रिपोर्ट को सील बंद लिफाफे में रखा जाए और फिलहाल इसे सार्वजनिक न किया जाए।
अदालत ने स्पष्ट किया कि ट्रायल कोर्ट की प्रक्रिया हाईकोर्ट के अगले आदेश तक रुकी रहेगी। शीर्ष अदालत ने जोर देकर कहा कि राज्य सरकार शांति और व्यवस्था बनाए रखने के लिए पूरी तरह निष्पक्ष रहे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मामले की अगली सुनवाई 6 जनवरी 2025 के सप्ताह में होगी। तब तक ट्रायल कोर्ट की कार्रवाई स्थगित रहेगी।
कब कैसे शुरू हुआ संभल विवाद?
संभल में विवाद तब शुरू हुआ जब वकील विष्णु शंकर जैन और अन्य ने याचिका दायर की। जैन, जो ज्ञानवापी मस्जिद और कृष्ण जन्मभूमि मामलों से जुड़े रहे हैं, ने दावा किया कि शाही जामा मस्जिद, हरिहर मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी। याचिका में कहा गया कि 1526-27 में बाबर के आक्रमण के दौरान यह मंदिर ध्वस्त कर मस्जिद में तब्दील किया गया। इसके लिए उन्होंने “बाबरनामा” और “आइने अकबरी” जैसे ऐतिहासिक ग्रंथों का हवाला दिया। वहीं, मस्जिद प्रबंधन समिति का कहना है कि यह मस्जिद मुगल काल से संरक्षित स्थल है और इसे 1991 के पूजा स्थल अधिनियम का संरक्षण प्राप्त है।
19 नवंबर 2024 को सिविल कोर्ट ने मस्जिद का सर्वेक्षण करने का आदेश दिया, जिसे जिला प्रशासन और पुलिस की उपस्थिति में उसी दिन पूरा किया गया। इसके बाद 24 नवंबर को दुबारा सर्वे की जा रही थी, इसी दौरान हिंसा भड़क उठी। जिसमें चार लोग मारे गए और कई पुलिसकर्मी घायल हुए। प्रदर्शनकारियों ने वाहनों में आग लगाई और सुरक्षाबलों पर पथराव किया। उत्तर प्रदेश सरकार ने इस हिंसा की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति बनाई है। इस समिति की अध्यक्षता पूर्व न्यायाधीश देवेंद्र कुमार अरोड़ा करेंगे। समिति को दो महीने में अपनी रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद याचिकाकर्ता विष्णु शंकर जैन ने मीडिया से कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सबसे पहले चिंता जताई की वहां पर शांति और सद्भाव बरकरार रहे। शीर्ष अदालत ने मस्जिद कमेटी से कहा कि आप इस ऑर्डर को हाई कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं। सुप्रीम ने ये भी कहा है कि 3 दिन के अंदर अगर आप हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करते हैं तो मामला हाई कोर्ट में लिस्ट किया जाए और हाई कोर्ट के अगले निर्देश का इंतजार किया जाए। तब तक के लिए ट्रायल कोर्ट की कार्रवाई रुकी रहेगी।”
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पुलिस कार्रवाई और गिरफ्तारियां
हिंसा के बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए अब तक 31 लोगों को गिरफ्तार किया है। सीसीटीवी फुटेज और मोबाइल वीडियो के आधार पर 100 से अधिक संदिग्धों की पहचान की गई है। गुरुवार को पुलिस ने तीन आरोपियों, आमिर पठान, मोहम्मद अली और फैजान अब्बासी को गिरफ्तार किया।