लखनऊः उत्तर प्रदेश सरकार ने संभल हिंसा में शामिल प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। हिंसा में सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान की भरपाई प्रदर्शनकारियों से की जाएगी और पत्थरबाजों के पोस्टर सार्वजनिक स्थानों पर लगाए जाएंगे। सरकार ने यह भी संकेत दिया है कि उनकी गिरफ्तारी में मदद करने और जानकारी देने वालों को इनाम दिया जा सकता है।
सरकार के प्रवक्ता ने बताया, “सरकार पत्थरबाजों और उपद्रवियों की पहचान कर उनके पोस्टर सार्वजनिक स्थानों पर लगाएगी। सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान की भरपाई भी की जाएगी। इस तरह की पहल सीएए विरोधी प्रदर्शनों के दौरान भी की गई थी।”
संभल हिंसा मामले में अब तक 25 लोगों की गिरफ्तारी
पुलिस ने मामले में अब तक 25 लोगों को गिरफ्तार किया है और 7 एफआईआर दर्ज की गई हैं। इन मामलों में संभल से सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क, स्थानीय विधायक इकबाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल और 2,750 अज्ञात व्यक्तियों को आरोपी बनाया गया है। पुलिस और प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रण में बताया है। अधीक्षक पुलिस कृष्ण कुमार विश्नोई ने कहा, “घटना की मजिस्ट्रेट जांच जारी है। दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।”
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने पहले ही उपद्रवियों और अपराधियों के खिलाफ नुकसान की वसूली और उनके पोस्टर सार्वजनिक स्थानों पर लगाने के लिए अध्यादेश जारी किया था। इस फैसले के तहत, उन अपराधियों की पहचान सार्वजनिक की जाएगी, जिन्होंने राज्य में हिंसा या उपद्रव किया हो, ताकि उन्हें समाज से बहिष्कृत किया जा सके और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सके।
संभल हिंसा को लेकर जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका
इस बीच, जमीयत उलेमा-ए-हिंद (जेयूएच) ने धार्मिक स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। जेयूएच के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने घटना पर गहरी नाराजगी जताई हैं। उन्होंने कहा कि धार्मिक स्थलों की सुरक्षा के लिए बनाए गए कानूनों के सही ढंग से लागू न होने के कारण ऐसी घटनाएं हो रही हैं।
मौलाना मदनी ने अपील की है कि इस मामले पर जल्द सुनवाई होनी चाहिए। मौलान ने पूजा स्थल अधिनियम 1991 का हवाला देते हुए कहा कि इसके होने के बावजूद निचली अदालतें मुस्लिम पूजा स्थलों का सर्वेक्षण करने के आदेश दे रही हैं, जो इस कानून का उल्लंघन है।
संभल की घटना को उन्होंने कानूनहीनता और अन्याय का जिंदा उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि पुलिस का काम कानून व्यवस्था बनाए रखना और लोगों की सुरक्षा करना है, लेकिन अल्पसंख्यकों के खिलाफ पुलिस का पक्षपातपूर्ण रवैया सामने आता रहा है। उन्होंने संभल हिंसा में हुई पुलिस फायरिंग की कड़ी निंदा की और इसे “न्यायिक दोहरे मापदंड” का नतीजा बताया।
मौलाना मदनी ने यह भी कहा कि संभल जैसी घटनाएं देश में शांति और एकता के लिए खतरनाक हैं। उन्होंने सरकार पर सांप्रदायिक ताकतों का समर्थन करने का आरोप लगाया और कहा कि Places of Worship Act, 1991 का उल्लंघन देश में अस्थिरता को बढ़ा रहा है।
बता दें कि रविवार को संभल के कोट गर्वी इलाके में स्थित शाही जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हिंसा भड़क उठी थी। अदालत के आदेश पर किए जा रहे इस सर्वे को लेकर बड़ी भीड़ ने नारेबाजी की, जिसके बाद स्थिति बेकाबू हो गई। प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों के बीच झड़प हुई, वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया और पथराव हुआ। इस हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई, जबकि कई लोग, जिनमें पुलिसकर्मी भी शामिल हैं, घायल हुए।
पत्थरबाजी का सीसीटीवी फुटेज भी सामने आया था, जिसमें देखा जा सकता है कि कई युवक पुलिस पर पथराव कर रहे हैं। युवकों ने अपना मुंह कपड़े से ढक रखा है, ताकि पुलिस में उनकी पहचान न हो सके। वीडियो में कई लोग हाथों में पत्थर लिए दिखाई दिए थे।