संभल: समाजवादी पार्टी के सांसद जिया उर रहमान बर्क मंगलवार को उत्तर प्रदेश की विशेष जांच टीम (SIT) के सामने पेश हुए। यह पूछताछ पिछले साल 24 नवंबर को संभल के शाही जामा मस्जिद में सर्वे के दौरान भड़की हिंसा के सिलसिले में हुई, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई थी।

बर्क को एसआईटी ने समन भेजा था, जिसके तहत वह मंगलवार को संभल कोतवाली पहुंचे। पुलिस स्टेशन पहुंचने पर उन्होंने मीडिया से बातचीत करने से इनकार कर दिया।

'बीमार हूं, फिर भी जांच में सहयोग देने आया हूं'

एसआईटी के सामने पेश होने से पहले बर्क ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि उनकी तबीयत खराब है और डॉक्टर ने उन्हें आराम की सलाह दी है, फिर भी वह जांच में सहयोग देने के लिए हाजिर हो रहे हैं। 

सपा सांसद ने कहा. “आज मेरी तबीयत ठीक नहीं है, डॉक्टर ने आराम करने को कहा है, लेकिन मैं फिर भी वहां जा रहा हूं ताकि पुलिस प्रशासन को यह न लगे कि मैं जांच में सहयोग नहीं कर रहा हूं।”

दिल्ली स्थित आवास पर भेजा गया था नोटिस

एसआईटी की एक टीम ने 26 मार्च को दिल्ली स्थित वेस्टर्न कोर्ट में बर्क के आवास पहुंची थीं जहां उसने धारा 35(3) के तहत बर्क को नोटिस थमाया था। एसआईटी हिंसा में उनकी भूमिका की जांच कर रही है। क्योंकि जफर अली नाम के एक व्यक्ति ने पुलिस को सपा नेता के बारे में कुछ जानकारी दी थी। जफर जेल में बंद है जिसे पुलिस ने 23 मार्च को गिरफ्तार किया था।जानकारी के मुताबिक, जफर अली जामा मस्जिद कमेटी का सदस्य भी है।

पुलिस की पूछताछ में उसने एसआईटी को बताया था बर्क भी इस हिंसा में शामिल थे। पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में जफर और बर्क को साजिशकर्ता के रूप में नामित किया है। इसके अलावा, बर्क के मकान के निर्माण को लेकर भी जांच चल रही है। मंगलवार पूछताछ इसी सिलसिले में हुई। सपा नेता ने इस मामले में पुलिस को जांच में पूरा सहयोग देने का आश्वासन दिया है। 

संभल हिंसा में चार लोगों की हुई थी मौत

24 नवंबर 2023 को शाही जामा मस्जिद में कोर्ट के आदेश पर सर्वे के दौरान अचानक हिंसा भड़क गई थी, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हुए थे। इस घटना के बाद उच्चस्तरीय जांच शुरू की गई।

मुरादाबाद पुलिस आयुक्त अंजन्या कुमार सिंह ने पुष्टि की थी कि हिंसा भड़काने के आरोप में सांसद जिया उर रहमान बर्क और एक स्थानीय विधायक के बेटे के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। उन्होंने कहा, “जांच जारी है। अगर जरूरत पड़ी तो राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एएसए) के तहत भी कार्रवाई की जाएगी।” 

बर्क ने घटना को ‘पूर्व-नियोजित’ बताया

बर्क ने इस हिंसा को मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने की साजिश बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि यह एक सोची-समझी योजना थी और पूरे देश में मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है।

उन्होंने कहा, “यह एक पूर्व-नियोजित घटना थी। देशभर में मुसलमानों को टारगेट किया जा रहा है। 1947 के बाद ऐसी स्थिति नहीं देखी गई। प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है। एक के बाद एक याचिकाएं दाखिल हो रही हैं और उसी दिन सुनवाई, आदेश और सर्वे भी हो रहा है। लोगों को नमाज पढ़ने से रोका गया। आखिर दूसरी बार सर्वे कराने की जरूरत ही क्या थी?”