लखनऊः 24 नवंबर 2024 को हुए संभल हिंसा मामले में आरोपी फरहाना को बुधवार बरी कर दिया गया। संभल के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) की अदालत के आदेश के बाद गुरुवार को मुरादाबाद जेल से रिहा किया गया। मामले में फरहाना जेल में बंद पहली आरोपी थी जिसको कोर्ट ने साक्ष्य होने के अभाव में 1 लाख रुपये के मुचलके पर रिहा किया है। 

बता दें फरहाना उन 79 लोगों में शामिल थीं, जिनमें चार महिलाएं भी थीं, जिन्हें संभल शहर में हुई हिंसा के संबंध में गिरफ्तार किया गया था।

अधिकारियों के अनुसार, अदालत ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 189 के तहत फरहाना की रिहाई को मंजूरी दी, जो पहले पुरानी दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 169 थी। इस धारा के तहत पुलिस द्वारा किसी आरोपी के खिलाफ कोई प्रमाण या संदेहजनक सबूत न मिलने पर उसे रिहा किया जा सकता है।

फरहाना के हिंसा में शामिल होने के कोई सबूत नहीं 

फरहाना के बचाव पक्ष के वकील जाकी अनवर ने बताया कि विशेष जांच दल (SIT) के निरीक्षक लोकेन्द्र कुमार त्यागी ने अदालत में धारा 189 BNSS के तहत एक आवेदन दिया था, जिसमें कहा गया था कि फरहाना के हिंसा में शामिल होने के कोई सबूत नहीं मिले। फरहाना के साथ दो अन्य महिलाओं, रुकैया और नज़राना को भी पुलिस कर्मियों पर पत्थरबाजी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।

एसआईटी से जुड़े एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि त्यागी ने 30 नवंबर 2024 को जांच की जिम्मेदारी संभाली थी। तब तक हिंसा से जुड़ी एक प्राथमिकी में नामजद 34 में से 26 आरोपी गिरफ्तार हो चुके थे और न्यायिक हिरासत में मुरादाबाद जेल भेजे गए थे। त्यागी ने मामले में 25 अन्य आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत मिलने के बाद आरोपपत्र दायर किया, लेकिन फरहाना के खिलाफ कोई सबूत न मिलने के कारण उनकी रिहाई की सिफारिश की।

यूपी SIT ने संभल हिंसा मामले में चार्जशीट दाखिल की

इस बीच, उत्तर प्रदेश पुलिस की विशेष जांच टीम (SIT) ने संभल में 24 नवंबर 2024 को हुई हिंसा मामले की चार्जशीट कोर्ट में दाखिल कर दी है। हिंसा से जुड़े छह मामलों में गुरुवार को 4,400 से अधिक पन्नों की चार्जशीट दाखिल की गई।

सीओ कुलदीप कुमार और जिला सरकारी अधिवक्ता हरिओम प्रकाश ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अर्चना सिंह की अदालत में चार्जशीट दाखिल की। इसमें कुल 79 आरोपियों को नामजद किया गया है, जो फिलहाल जेल में हैं। फरहाना भी 79 आरोपियों में से एक थी। 

जांच में सामने आया कि हिंसा का मास्टरमाइंड संभल का रहने वाला शारिक साठा था जो फिहलहाल यूएई में छिपा है। पुलिस के अनुसार, शारिक साठा पहले दिल्ली-एनसीआर से 300 से अधिक गाड़ियां चुराने वाले गिरोह का संचालन करता था। उसका अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से संबंध है। पुलिस का दावा है कि वह फर्जी पासपोर्ट के जरिए देश से भाग गया। 

24 नवंबर को हुई थी हिंसा

हिंसा मुगलकालीन शाही जामा मस्जिद के एएसआई (ASI) सर्वे के दौरान भड़की थी। 19 नवंबर 2024 को सिविल जज आदित्य कुमार की अदालत में संभल की जामा मस्जिद को हरिहर मंदिर होने का दावा पेश किया गया। इसी दिन अदालत ने रमेश सिंह राघव को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया, जिन्होंने शाम को मस्जिद का सर्वेक्षण किया।

इसके बाद, 24 नवंबर की सुबह 7:30 बजे, जब कोर्ट कमिश्नर डीएम और एसपी की मौजूदगी में मस्जिद का दोबारा सर्वे करने पहुंचे, तो हिंसा भड़क उठी। इस घटना में 5 लोगों की मौत हो गई और कई पुलिसकर्मी घायल हो गए।