संभल में शाही जामा मस्जिद सर्वे के दौरान हिंसा, पुलिस पर पथराव, कई गाड़ियां फूंकी गईं

रविवार सुबह करीब 6:30 बजे जिला अधिकारी और पुलिस अधीक्षक के नेतृत्व में एक टीम मस्जिद का सर्वे करने पहुंची। सर्वे शुरू होते ही स्थानीय लोग आक्रोशित हो गए और देखते ही देखते मस्जिद के बाहर करीब 2,000 से अधिक लोगों की भीड़ जमा हो गई।

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Survey of Jama Masjid of Sambhal, team reached early in the morning, Jama Masjid of Sambhal

यूपी: संभल में शाही जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान बवाल, भीड़ ने पुलिस पर किया पथराव। फोटोः ANI

संभलः उत्तर प्रदेश के संभल जिले में रविवार को शाही जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान माहौल हिंसक हो गया। हिंदू पक्ष द्वारा मस्जिद को हरिहर मंदिर बताते हुए कोर्ट में याचिका दायर करने के बाद कोर्ट के आदेश पर यह सर्वे कराया जा रहा था। इस प्रक्रिया के बीच स्थानीय लोगों का आक्रोश फूट पड़ा, जिससे पथराव, आगजनी और हिंसा की घटनाएं हुईं। स्थिति को काबू में करने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले छोड़ने और लाठीचार्ज का सहारा लेना पड़ा। इलाके में स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है।

रविवार सुबह करीब 6:30 बजे जिला अधिकारी और पुलिस अधीक्षक के नेतृत्व में एक टीम मस्जिद का सर्वे करने पहुंची। सर्वे शुरू होते ही स्थानीय लोग आक्रोशित हो गए और देखते ही देखते मस्जिद के बाहर करीब 2,000 से अधिक लोगों की भीड़ जमा हो गई।

पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित करने का प्रयास किया, लेकिन स्थिति हाथ से निकल गई। कुछ असामाजिक तत्वों ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया, जिससे भगदड़ जैसे हालात पैदा हो गए। उग्र भीड़ ने कई सरकारी वाहनों को आग के हवाले कर दिया।

पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज किया। इस दौरान इलाके में तीन घंटे तक हिंसा और तनाव का माहौल रहा। पुलिस अधीक्षक कृष्ण कुमार ने बताया कि "स्थिति पर नियंत्रण पाने के लिए ड्रोन कैमरों से निगरानी की जा रही है और अतिरिक्त बलों को तैनात किया गया।"

कोर्ट का आदेश और विवाद की पृष्ठभूमि

हिंदू पक्ष ने दावा किया है कि शाही जामा मस्जिद दरअसल श्री हरिहर मंदिर है। इस याचिका पर 19 नवंबर को सुनवाई करते हुए कोर्ट ने मस्जिद का सर्वे कराकर 26 नवंबर तक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया था। यह सर्वे 5 दिनों में दूसरी बार किया जा रहा था। इससे पहले 19 नवंबर को सर्वे किया गया था। रविवार को दूसरी बार सर्वे किया जा रहा था।

मस्जिद कमेटी की सहमति से सर्वे का काम दोनों पक्षों की उपस्थिति में किया जा रहा था, लेकिन इस दौरान हिंसा ने स्थिति को जटिल बना दिया।

संभल प्रशासन ने शुक्रवार की नमाज और रविवार के सर्वे के दौरान भारी सुरक्षा इंतजाम किए थे। शुक्रवार लगभग 5,000 लोगों ने जामा मस्जिद में नमाज अदा की, जबकि पुलिस और प्रशासन ने इलाके को पूरी तरह से बैरिकेडिंग कर रखा था।

पुलिस ने बताया कि इलाके की सांप्रदायिक संवेदनशीलता को देखते हुए पहले ही खुफिया रिपोर्ट्स के आधार पर तैयारियां की गई थीं। पुलिस अधीक्षक कृष्ण कुमार ने कहा, "हमने पहले ही क्षेत्र में फ्लैग मार्च कर दिया था और स्पष्ट कर दिया था कि शांति भंग करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।"

शाही जामा मस्जिद का इतिहास विवादित रहा है

शाही जामा मस्जिद का इतिहास विवादित रहा है। 1976 में मस्जिद में एक इमाम की हत्या के बाद इलाके में भारी सांप्रदायिक तनाव फैल गया था, जिसके चलते एक महीने तक कर्फ्यू लगाया गया था। मस्जिद के पास स्थित ‘कल्कि’ मंदिर के कारण यह क्षेत्र और अधिक संवेदनशील है।

संभल के जिलाधिकारी राजेंद्र पैंसिया ने कहा, "सर्वे पूरा हो चुका है, और टीम को सुरक्षित वापस भेज दिया गया है। जो भी हिंसा में शामिल पाए जाएंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। किसी भी स्थिति में शांति व्यवस्था को भंग नहीं होने दिया जाएगा।"

हिंसा के बाद से इलाके में तनावपूर्ण शांति बनी हुई है। पुलिस बल और रैपिड एक्शन फोर्स को अगले कुछ दिनों तक इलाके में तैनात रखा जाएगा। 29 नवंबर को मामले पर अगली सुनवाई होगी, जहां सर्वे रिपोर्ट के आधार पर फैसला किया जाएगा।

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