उत्तर प्रदेश के संभल जिले में एक चौंकाने वाला बीमा घोटाला सामने आया है, जिसमें जीवन बीमा की रकम वसूलने के लिए लोगों की हत्याएं की गईं, फर्जी दस्तावेज बनाए गए और गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोगों के नाम पर बीमा पॉलिसियां जारी की गईं। अधिकारियों के मुताबिक, इस घोटाले में अब तक 100 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी सामने आ चुकी है। मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इसका संज्ञान लिया है और स्थानीय पुलिस से एफआईआर व अन्य दस्तावेज मांगे हैं।

समाचार एजेंसी पीटीआई को पुलिस अधीक्षक (दक्षिण) अनुकृति शर्मा ने बताया कि इस संगठित गिरोह पर जनवरी 2024 से निगरानी रखी जा रही थी। अब तक कुल 52 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जबकि लगभग 50 आरोपी अभी फरार हैं। इनमें से तीन आरोपियों ने न्यायालय में आत्मसमर्पण कर दिया है।

कैसे की जाती थी धोखाधड़ी

गिरोह के काम करने का तरीका बेहद चौंकाने वाला है। वे पहले युवाओं को निशाना बनाते थे और कई मामलों में उनकी हत्या कर दी जाती थी, जिससे उनके नाम पर जीवन बीमा की रकम हासिल की जा सके। इसके अलावा, इस गिरोह ने कैंसर जैसी लाइलाज बीमारियों से पीड़ित व्यक्तियों और मृतकों के नाम पर बीमा पॉलिसियां लीं। इसके बाद दस्तावेजों में हेराफेरी कर बीमा कंपनियों से जीवन और स्वास्थ्य बीमा की मोटी रकम वसूली गई।

12 राज्यों से जुड़े तार, 17 FIR दर्ज

अब तक इस घोटाले से जुड़े 12 राज्यों में कनेक्शन सामने आए हैं और कुल 17 एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं, जिनमें से चार केस हत्या से संबंधित हैं। हत्याओं को दुर्घटना दर्शाकर बीमा राशि की वसूली की गई थी। कई मामलों में एफआईआर को बंद कर दिया गया था, लेकिन बाद में जब अनियमितताएं सामने आईं तो उन्हें दोबारा खोला गया। जांच में अब तक गिरोह द्वारा इस्तेमाल किए गए 29 मृत्यु प्रमाण पत्र पूरी तरह फर्जी पाए गए हैं, जबकि कुछ असली प्रमाण पत्रों में बीमा दावों से मेल खाने के लिए तारीखों में फेरबदल किया गया।

यह गिरोह सिर्फ संभल जिले तक ही सीमित नहीं था। इसकी गतिविधियों के निशान अमरोहा, बदायूं और मुरादाबाद जैसे आसपास के जिलों में भी मिले हैं। पुलिस को आशंका है कि यह घोटाला 100 करोड़ रुपये से अधिक का है और जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, यह आंकड़ा और बढ़ सकता है।

बीमा कंपनियों से संदिग्ध दावों की मांगी गई जानकारी

पुलिस ने देशभर की बीमा कंपनियों से संदिग्ध दावों से संबंधित विस्तृत जानकारी मांगी है। इस डेटा की गहन जांच की जा रही है, और जो भी केस संदिग्ध पाए जाएंगे, उनकी पुष्टि के लिए बीमा कंपनियों को सूचित किया जाएगा और आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।

अनुकृति शर्मा के अनुसार, शुरुआती जांच में यह भी सामने आया है कि इस पूरे नेटवर्क में आशा कार्यकर्ताओं, स्वास्थ्य विभाग के कुछ कर्मचारियों और बीमा कंपनियों के एजेंटों की भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है। जांच तेजी से आगे बढ़ रही है और आने वाले दिनों में अधिक गिरफ्तारियां संभव हैं। ईडी की भूमिका की पुष्टि करते हुए शर्मा ने बताया कि प्रवर्तन निदेशालय ने इस केस से जुड़ी एफआईआर की प्रतियां और अन्य दस्तावेज मांगे थे, जिन्हें पुलिस द्वारा उपलब्ध करा दिया गया है।