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नई दिल्लीः भारत के प्रमुख संवैधानिक पदों पर आसीन राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को न केवल उनके कार्यों और जिम्मेदारियों के लिए पर्याप्त वेतन मिलता है, बल्कि उन्हें कई विशेष सुविधाएं भी प्रदान की जाती हैं। ये सुविधाएं उनके कार्यों को सुचारू रूप से संचालित करने और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। समय-समय पर इनमें संशोधन भी होता रहता है। यह पारिश्रमिक उन पदों के दायित्वों और कर्तव्यों के अनुरूप होता है, जिनमें महत्वपूर्ण निर्णय-निर्धारण और प्रशासन के विभिन्न स्तरों पर शासन शामिल होता है। आइए संवैधानिक पदों पर आसीन राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को मिलने वाले वेतन, भत्ते और सुविधाओं पर नजर डालें।
राष्ट्रपति के वेतन, भत्ते व सुविधाएं
भारत के राष्ट्रपति, सशस्त्र बलों के कमांडर-इन-चीफ, निर्वाचक मंडल के सदस्यों द्वारा चुने जाते हैं, जिसमें संसद के दोनों सदनों और राज्य विधानसभाओं के प्रतिनिधि शामिल होते हैं। वह राष्ट्रपति भवन में रहते हैं, जो दुनिया का सबसे बड़ा राष्ट्रपति निवास है।
भारत के राष्ट्रपति को प्रति माह 5 लाख रुपये का वेतन मिलता है। राष्ट्रपति को करों का भुगतान करने से छूट है और उन्हें कई भत्ते मिलते हैं। वेतन के अलावा, राष्ट्रपति को 340 कमरों वाले राष्ट्रपति भवन में आवास सहित कई सुविधाएं मिलती हैं। उन्हें दुनिया में कहीं भी ट्रेन और विमान से मुफ्त यात्रा करने की सुविधा मिलती है। राष्ट्रपति को मुफ्त आवास और चिकित्सा देखभाल और कार्यालय व्यय के लिए सालाना 1 लाख रुपये मिलते हैं।
सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें (पूर्व राष्ट्रपति) प्रति माह 1.5 लाख रुपये की पेंशन मिलती है। इसके अलावा, राष्ट्रपति के लिए सेवानिवृत्ति के बाद के लाभों में एक सुसज्जित किराया-मुक्त बंगला, दो मुफ्त लैंडलाइन और एक मोबाइल फोन शामिल हैं। पूर्व राष्ट्रपति को पाँच निजी कर्मचारी भी दिए जाते हैं, जिनके रखरखाव के लिए प्रति वर्ष 60,000 रुपये तक का खर्च आता है। इसके अतिरिक्त, सेवानिवृत्त राष्ट्रपति और उनके साथी के लिए ट्रेन या हवाई यात्रा निःशुल्क प्रदान की जाती है।
उपराष्ट्रपति के वेतन, भत्ते व सुविधाएं
राष्ट्रपति के बाद, उपराष्ट्रपति के पास देश का दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद होता है। उनकी प्राथमिक जिम्मेदारी संसद के ऊपरी सदन के अध्यक्ष के रूप में कार्य करते हुए, राज्यसभा की अध्यक्षता करना है। इसके अतिरिक्त, उपराष्ट्रपति, राष्ट्रपति की अनुपस्थिति या अक्षमता में उनके कार्यवाहक के रूप में भी कार्य करता है।
भारत के उपराष्ट्रपति का वेतन और भत्ते संसद के अधिकारियों के वेतन और भत्ते अधिनियम, 1953 के तहत निर्धारित किए जाते हैं। गौरतलब है कि उपराष्ट्रपति के लिए किसी विशिष्ट वेतन का प्रावधान नहीं है। उन्हें राज्यसभा (संसद के ऊपरी सदन) के अध्यक्ष के रूप में उनकी भूमिका के अनुरूप पारिश्रमिक और लाभ मिलते हैं।
उपराष्ट्रपति को हर माह 4 लाख रुपये वेतन मिलता है। इसके अतिरिक्त, उन्हें सभी प्रकार के दैनिक भत्ते मिलते हैं। उपराष्ट्रपति को आवास सहित निःशुल्क चिकित्सा देखभाल, ट्रेन और हवाई यात्रा, लैंडलाइन कनेक्शन और मोबाइल फोन की सेवाएं मिलती है। वहीं सेवानिवृत्ति के बाद, उपराष्ट्रपति को प्रति माह 1.5 लाख रुपये की पेंशन मिलती रहती है। अगर राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में उपराष्ट्रपति उनके कर्तव्यों का निर्वहन करते हैं, तो उन्हें राष्ट्रपति के बराबर वेतन व अन्य सुविधाएं और लाभ मिलेंगे।
प्रधानमंत्री को मिलने वाले वेतन, भत्ते व सुविधाएं
प्रधानमंत्री देश के मुखिया होते हैं। वे देश का प्रतिनिधित्व करते हैं। प्रधानमंत्री के पास महत्वपूर्ण अधिकार और जिम्मेदारी होती है। प्रधानमंत्री की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। भारत के प्रधानमंत्री को हर महीने 1.66 लाख रुपये वेतन के रूप में मिलते हैं। मूल वेतन 50,000 रुपये का होता है। बाकी पीएम को व्यय भत्ते के रूप में 3,000 रुपये और संसदीय भत्ते के रूप में 45,000 रुपये मिलते हैं। इसके साथ ही, प्रतिदिन 2,000 रुपये का दैनिक भत्ता भी दिया जाता है। मासिक भत्तों के अलावा, प्रधानमंत्री को कई अतिरिक्त लाभ और भत्ते मिलते हैं। प्रधानमंत्री को किराए या अन्य आवास लागतों से मुक्त एक आधिकारिक आवास मिलता है।
प्रधानमंत्री को विशेष सुरक्षा समूह (एसपीजी) द्वारा सुरक्षा मिलती है। प्रधानमंत्री के पास अपनी यात्रा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सरकारी वाहनों और विमानों का एक बेड़ा भी होता है। वहीं जब प्रधानमंत्री विदेश यात्रा पर जाते हैं तो सरकार उनके रहने, खाने और यात्रा का खर्च वहन करती है। सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें आजीवन मुफ्त आवास, बिजली, पानी और सेवानिवृत्ति के बाद 5 साल तक एसपीजी सुरक्षा मिलती है।
सांसदों को प्रति माह कितना मिलता है वेतन?
सांसदों को हर महीने 1 लाख रुपये वेतन मिलता है। इसके अलावा, हर पाँच साल में दैनिक भत्ते के रूप में उनका वेतन बढ़ता है। वेतन में संसद सदस्यों के वेतन, भत्ते और पेंशन (संशोधन) अधिनियम, 2010 के अनुसार 50,000 रुपये प्रति माह का मूल वेतन शामिल है। संसद सत्र में भाग लेने के लिए उन्हें 2,000 रुपये दैनिक भत्ता भी मिलता है। अगर सांसद सड़क मार्ग से यात्रा करते हैं तो उन्हें 16 रुपये प्रति किलोमीटर की दर से यात्रा भत्ता भी मिलता है।
सांसदों को हर महीने 45,000 रुपये का निर्वाचन क्षेत्र भत्ता भी मिलता है। उन्हें कार्यालय व्यय के रूप में भी 45,000 रुपये मिलते हैं, जिसमें स्टेशनरी और डाक खर्च के लिए 15,000 रुपये शामिल हैं। इस भत्ते का उपयोग सचिवीय सहायकों के वेतन का भुगतान करने के लिए किया जा सकता है। सांसद और उनके निकटतम परिवार को केंद्रीय सरकार स्वास्थ्य योजना (CGHS) के तहत मुफ्त चिकित्सा देखभाल मिलता हैं। इसमें सरकारी अस्पतालों और योजना के तहत आने वाले चुनिंदा निजी अस्पतालों में उपचार शामिल है। इसके अलावा सांसदों को बैठकों में जाने सहित अपने कर्तव्यों के निष्पादन में किए गए खर्चों के लिए यात्रा प्रतिपूर्ति दी जाती है। सांसदों को अपने कार्यकाल की अवधि के दौरान मुफ्त आवास मिलता है। इसमें उन्हें मुफ्त हाई-स्पीड इंटरनेट कनेक्शन भी मिलते हैं। जो लोग आधिकारिक आवास का उपयोग नहीं करना चाहते हैं, वे प्रति माह ₹2,00,000 का आवास भत्ता प्राप्त कर सकते हैं।
सांसदों को अपने और अपने निकटतम परिवारों के लिए प्रति वर्ष 34 निःशुल्क घरेलू हवाई यात्राएँ करने का अधिकार है। उन्हें आधिकारिक और व्यक्तिगत उद्देश्यों के लिए निःशुल्क प्रथम श्रेणी की ट्रेन यात्रा भी मिलती है। पूर्व सांसदों को संसद में एक कार्यकाल पूरा करने के बाद प्रति माह ₹25,000 की पेंशन मिलती है। सेवा के प्रत्येक अतिरिक्त वर्ष के लिए, उन्हें प्रति माह ₹2,000 की वृद्धि मिलती है। सांसदों को सालाना 50,000 यूनिट तक मुफ्त बिजली और 4,000 किलोलीटर तक मुफ्त पानी उपलब्ध कराया जाता है।