एस जयशंकर का पाकिस्तान दौरा: क्या है शंघाई सहयोग संगठन और भारत के लिए क्यों है महत्वपूर्ण?

शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ), जिसे मूल रूप से शंघाई फाइव कहा जाता था, 1996 में चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान द्वारा स्थापित किया गया था। इसका उद्देश्य क्षेत्रीय सुरक्षा, सीमा विवादों में कमी और आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त प्रयास करना था।

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एस जयशंकर का पाकिस्तान दौरा: क्या है शंघाई सहयोग संगठन और भारत के लिए क्यों है महत्वपूर्ण?

फोटोः IANS

नई दिल्लीः भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर एक दशक बाद पाकिस्तान की यात्रा पर जा रहे हैं। यह यात्रा शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की आगामी बैठक के मद्देनजर हो रही है, जिसे पाकिस्तान 15 और 16 अक्टूबर को इस्लामाबाद में आयोजित कर रहा है।

पाकिस्तान के विदेश कार्यालय द्वारा जारी बयान के अनुसार, इस महत्वपूर्ण बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ करेंगे। इसमें चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग, रूस के प्रधानमंत्री मिखाइल मिशुस्तिन, बेलारूस के प्रधानमंत्री रोमन गोलोवचेंको, कजाकिस्तान के प्रधानमंत्री ओल्जस बेक्टेनोव और ईरान के पहले उपराष्ट्रपति मोहम्मद मोकबर सहित अन्य सदस्य देशों के नेता शामिल होंगे।

भारत ने इस बैठक के दौरान पाकिस्तान के साथ किसी भी द्विपक्षीय वार्ता की संभावना से इनकार किया है। इस्लामाबाद को कड़ी सुरक्षा में तब्दील कर दिया गया है, जहां 9,000 से अधिक पुलिसकर्मी और सेना के जवान तैनात किए गए हैं। राजनीतिक सभाओं और विरोध प्रदर्शनों पर भी रोक लगाई गई है।

शंघाई सहयोग संगठन (SCO) क्या है?

एससीओ, जिसे मूल रूप से 'शंघाई फाइव' कहा जाता था, 1996 में चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान द्वारा स्थापित किया गया था। इसका उद्देश्य क्षेत्रीय सुरक्षा, सीमा विवादों में कमी और आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त प्रयास करना था। 2001 में, उज्बेकिस्तान को भी इस संगठन में शामिल किया गया और इसका नाम बदलकर शंघाई सहयोग संगठन कर दिया गया।

2017 में, भारत और पाकिस्तान भी इस समूह के पूर्ण सदस्य बने। वर्तमान में एससीओ के 10 पूर्ण सदस्य हैं, जिनमें ईरान और बेलारूस भी शामिल हैं। इस संगठन का मुख्य उद्देश्य सदस्य देशों के बीच आपसी विश्वास को मजबूत करना, राजनीति, व्यापार, अर्थव्यवस्था, शिक्षा, ऊर्जा और सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाना है।

एससीओ का भारत के लिए महत्व

भारत के लिए एससीओ का हिस्सा बनना, विशेष रूप से 2017 में सदस्यता के बाद, वैश्विक मंच पर उसकी स्थिति को मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण कदम है। यह भारत को क्षेत्रीय बाजारों तक बेहतर पहुंच प्रदान करता है और राजनीतिक-सामरिक मुद्दों पर महत्वपूर्ण वार्ता का मंच देता है। मध्य एशिया के देशों में प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता होने के कारण, यह भारत के ऊर्जा सुरक्षा प्रयासों के लिए भी सहायक साबित हो सकता है।

सुरक्षा के लिहाज से भी, एससीओ के क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी ढांचे (RATS) के माध्यम से भारत को आतंकवाद और मादक पदार्थों की तस्करी के खिलाफ कार्रवाई करने का मंच मिलता है। भारत इस मंच का उपयोग पाकिस्तान से आतंकवाद के मुद्दे पर सख्त रुख अपनाने के लिए भी कर सकता है।

चुनौतियां और अवसर

हालांकि एससीओ में भारत की सदस्यता कई फायदों के साथ आती है, कुछ विशेषज्ञ इसके दुष्परिणामों की ओर भी इशारा करते हैं। भारत के पाकिस्तान और चीन के साथ तनावपूर्ण संबंध एससीओ की कार्यप्रणाली को प्रभावित कर सकते हैं। इसके अलावा, संगठन के भीतर कई देशों के बीच छोटे-छोटे मुद्दों पर असहमति भी इसकी प्रभावशीलता को कम कर देती है।

इस्लामाबाद में एससीओ बैठक का एजेंडा

इस्लामाबाद में आयोजित एससीओ की बैठक में क्षेत्रीय सहयोग, व्यापार और वित्तीय मजबूती पर चर्चा की जाएगी। बैठक के दौरान संगठन की बजट स्वीकृति और सहयोग बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाने की संभावना है।

पाकिस्तान के लिए, इस बैठक को एक महत्वपूर्ण अवसर के रूप में देखा जा रहा है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और पंजाब की मुख्यमंत्री मरियम नवाज ने इसे पाकिस्तान के भविष्य के लिए "गेम-चेंजर" बताया है।

एससीओ के माध्यम से भारत को अपनी क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिति मजबूत करने का एक और मौका मिलेगा, साथ ही सुरक्षा और व्यापार के क्षेत्रों में नए अवसर भी खुल सकते हैं।

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