नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आतंकवाद पर भारत के रुख का खुल कर समर्थन न करने के लिए पश्चिमी देशों की आलोचना की है। साथ ही विदेश मंत्री ने दोहराया कि भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम पर दोनों देशों के डीजीएमओ के बीच ही बातचीत हुई थी। अमेरिका के वाशिंगटन डीसी में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जयशंकर ने कहा कि अक्सर ऐसे देश होते हैं जो तब कोई रुख नहीं अपनाते जब कुछ दूसरे देश आतंकवाद का शिकार हो रहे होते हैं।
जयशंकर ने आगे कहा, 'यह एक तथ्य है कि जब कोई अन्य देश आतंकवाद का शिकार होता है तो अक्सर दूसरे देश कोई रुख नहीं अपनाते हैं, जबकि वे तब सक्रिय होते हैं जब वे स्वयं आतंकवाद के शिकार होते हैं। इस संबंध में ईमानदारी से कहूं तो हम कहीं अधिक सुसंगत और सिद्धांतबद्ध रहे हैं। जब भारत के बाहर कहीं और आतंकवादी हमले होते हैं तो हम मोटे तौर पर वही रुख अपनाते हैं जो हमने भारत में होने पर अपनाया था।'
CORRECTION | Washington, DC | On US President Donald Trump's remarks on the ceasefire between India and Pakistan*, EAM Dr S Jaishankar says, "The record of what happened at that time was very clear and the ceasefire was something which was negotiated between the DGMOs of the two… pic.twitter.com/baGa3IvSjd
— ANI (@ANI) July 3, 2025
उन्होंने आगे कहा कि देश एक दूसरे का 'पर्याप्त रूप से' समर्थन नहीं कर रहे हैं और कूटनीति का एक हिस्सा 'उन्हें प्रेरित करना, प्रोत्साहित करना, उन्हें मनाना, उन्हें ऐसा करने के लिए प्रेरित करना है, और यही कारण है कि बोलना जरूरी है, और यही कारण है कि हर संभव कोशिश कर अपने साथ ले चलना महत्वपूर्ण है।'
#WATCH | Washington, DC | EAM Dr S Jaishankar says, "It is a fact that often countries do not take a position when some other countries are victims of terrorism, which they would do when they themselves are. In that respect honestly, we have been much more consistent and… pic.twitter.com/mSvBOv0YNP
— ANI (@ANI) July 2, 2025
मध्यस्थता पर जयशंकर ने क्या कहा?
ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए युद्ध विराम और मध्यस्थता में अमेरिका की भूमिका के बारे में पूछे जाने पर, विदेश मंत्री ने कहा, 'उस समय जो कुछ हुआ उसका रिकॉर्ड बहुत स्पष्ट था और युद्ध विराम कुछ ऐसा था जिस पर दोनों देशों के डीजीएमओ के बीच बातचीत हुई थी।'
यह एक तरह से फिर से जयशंकर की ओर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस बयान को खारिज करना है जिसमें उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम कराने का दावा किया था। क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक के लिए तीन दिवसीय अमेरिका यात्रा पर आए जयशंकर ने भारतीय मूल के एफबीआई निदेशक काश पटेल और अमेरिकी राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड से भी मुलाकात की।
भारतीय विदेश मंत्री ने संगठित अपराध, मादक पदार्थों की तस्करी और आतंकवाद से निपटने में भारत और अमेरिका के बीच सहयोग से लेकर वैश्विक स्थिति और द्विपक्षीय सहयोग तक विभिन्न विषयों पर भी इनसे चर्चा की।