नई दिल्लीः विपक्ष द्वारा जाति जनगणना को लेकर चलाए जा रहे अभियान के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का इससे जुड़ा बयान सुर्खियों में है। संघ ने कहा कि जाति जनगणना कल्याणकारी गतिविधियों के लिए उपयोगी हो सकती है, लेकिन चुनावी लाभ के लिए इसका दुरुपयोग नहीं होना चाहिए। इसपर कांग्रेस ने पूछा कि भाजपा और आरएसएस साफ साफ देश को बताएं कि वो जातिगत जनगणना के पक्ष में है या विरोध में है?
आरएसएस का यह बयान केरल के पलक्कड़ में तीन दिवसीय सम्मेलन के आखिरी दिन आया। संघ के प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा, जाति जनगणना एक बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है और यह हमारी राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए महत्वपूर्ण है। इसे बहुत गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
सुनील आंबेकर कहा कि कभी-कभी सरकार को आंकड़ों की जरूरत होती है और उसने पहले भी ऐसे (अभ्यास) किए हैं। लेकिन जाति जनगणना का उपयोग केवल उन समुदायों और जातियों के कल्याण के लिए ही होना चाहिए। इसका उपयोग राजनीतिक उपकरण या चुनाव प्रचार के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
आरएसएस के बयान पर कांग्रेस ने क्या कहा?
इस टिप्पणी के बाद कांग्रेस ने भाजपा और आरएसएस पर हाशिए पर रहने वाले समुदायों के कल्याण के खिलाफ होने का आरोप लगाया।
कांग्रेस ने एक एक्स पोस्ट में लिखा, “आरएसएस ने जाति जनगणना का खुलकर विरोध किया है। आरएसएस का कहना है – जाति जनगणना समाज के लिए अच्छी नहीं है। इस बयान से यह स्पष्ट है कि भाजपा और आरएसएस जाति जनगणना कराना नहीं चाहते। वे दलितों, पिछड़ी जातियों और आदिवासियों को उनके अधिकार नहीं देना चाहते। लेकिन लिख कर रख लीजिए – जाति जनगणना होगी और कांग्रेस इसे कराएगी।”
RSS ने जातिगत जनगणना का खुलकर विरोध कर दिया है।
RSS का कहना है- जातिगत जनगणना समाज के लिए सही नहीं है।
इस बयान से साफ है कि BJP और RSS जातिगत जनगणना नहीं कराना चाहते।
वे दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों को उनका हक नहीं देना चाहते।
लेकिन लिखकर रख लीजिए- जातिगत जनगणना होगी और…
— Congress (@INCIndia) September 2, 2024
राहुल गांधी राष्ट्रीय स्तर पर सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना के कट्टर समर्थक रहे हैं। यह लोकसभा चुनावों के लिए पार्टी के घोषणापत्र का हिस्सा भी था। राहुल गांधी नेता ने वादा किया था कि अगर कांग्रेस चुनाव जीतती है तो वह जनगणना कराएंगे। उन्होंने इसे संविधान की रक्षा से सीधे जुड़ा हुआ बताया था।
कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी एक्स पर भाजपा और आरएसएस से पूछा कि वह साफ साफ देश को बताएं कि वो जातिगत जनगणना के पक्ष में है या विरोध में है? खड़गे ने कहा कि देश के संविधान के बजाय मनुस्मृति के पक्ष में होने वाले संघ परिवार को क्या दलित, आदिवासी, पिछड़े वर्ग व ग़रीब-वंचित समाज की भागीदारी की चिंता है या नहीं?
राहुल गांधी के दबाव में वे लोग झुक गएः उदित राज
वहीं, कांग्रेस नेता उदित राज ने आईएएनएस से कहा, ” भाजपा और आरएसएस ने जातीय जनगणना को रोकने की बहुत कोशिश की, लेकिन अब वे धरातल पर आ गए और इनको मुहर लगाना पड़ा।
उन्होंने आगे कहा कि आरएसएस ने जब जातीय जनगणना कराने को कह दिया तो समझिये कि भाजपा ने भी कह ही दिया। कांग्रेस की जीत हुई और राहुल गांधी के दबाव में वे लोग झुक गए। पिछड़े वर्गों के कल्याण और उन्हें उनका हक दिलाने के लिए जातीय जनगणना कराने की मांग की जा रही थी। आज बहुजनों की बड़ी जीत हुई है।
जाति जनगणना के लिए इजाजत देने वाला संघ कौन होता हैः जयराम रमेश
उधर, कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने आरएसएस के बयान पर कहा कि संघ जाति जनगणना के लिए इजाजत देने वाला कौन है? जयराम रमेश ने अपने एक्स पोस्ट में लिखा, जाति जनगणना को लेकर RSS की उपदेशात्मक बातों से कुछ बुनियादी सवाल उठते हैं।
जाति जनगणना को लेकर RSS की उपदेशात्मक बातों से कुछ बुनियादी सवाल उठते हैं:
1. क्या RSS के पास जाति जनगणना पर निषेधाधिकार है?
2. जाति जनगणना के लिए इजाज़त देने वाला RSS कौन है?
3. RSS का क्या मतलब है जब वह कहता है कि चुनाव प्रचार के लिए जाति जनगणना का दुरुपयोग नहीं किया जाना…
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) September 3, 2024
क्या आरएसएस के पास जाति जनगणना पर निषेधाधिकार है? जाति जनगणना के लिए इजाज़त देने वाला आरएसएस कौन है? संघ का क्या मतलब है जब वह कहता है कि चुनाव प्रचार के लिए जाति जनगणना का दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए? क्या यह जज या अंपायर बनना है? आरएसएस ने दलितों, आदिवासियों और पिछड़ों के लिए आरक्षण पर 50% की सीमा को हटाने के लिए संवैधानिक संशोधन की आवश्यकता पर रहस्यमई चुप्पी क्यों साध रखी है? अब जब आरएसएस ने हरी झंडी दिखा दी है तब क्या नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री कांग्रेस की एक और गारंटी को हाईजैक करेंगे और जाति जनगणना कराएंगे?