नई दिल्लीः लोकसभा चुनाव में उम्मीद के मुताबिक नतीजे नहीं आने और अयोध्या में मिली हार के बाद भाजपा आरएसएस के निशाने पर है। पिछले दिनों संघ प्रमुख मोहन भागवत की टिप्पणी और फिर आरएसएस के मुखपत्र में छपे लेख की चर्चा हो ही रही थी कि इस बीच संघ नेता इंद्रेश कुमार के बयान ने हलचल बढ़ा दी है।

आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार ने बिना नाम लिए भाजपा पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि भगवान राम की भक्ति करने वाली पार्टी अहंकारी हो गई थी, इसलिए 241 पर सिमट गई। इस चुनाव में भाजपा का अहंकार ध्वस्त हो गया है। इंद्रेश कुमार ने कहा, “इन लोगों ने भगवान राम की भक्ति तो की थी, मगर इनमें धीरे-धीरे अहंकार आ गया। आज भगवान राम ने इनके अहंकार को खत्म कर दिया है। ये लोग इस चुनाव में प्रशंसनीय परिणाम नहीं दे पाए। शायद अब इन्हें लोकतंत्र की ताकत का एहसास हो चुका होगा।

उन्होंने आगे कहा-  हालांकि, यह राम जी की ही कृपा थी कि भाजपा देश की सबसे बड़ी पार्टी बन सकी, लेकिन इसके बावजूद भी ये लोग राम जी कृपा को नहीं समझ पाए। शायद इसलिए जो शक्ति भाजपा को इस चुनाव में मिलनी चाहिए थी, वो राम जी ने अहंकार के कारण रोक दी।“ आरएसएस नेता ने कहा, “आश्चर्य है कि भगवान राम के विरोधी इस चुनाव में अच्छा प्रदर्शन कर पाए। बेशक नंबर एक पर नहीं आ पाए, लेकिन नंबर दो पर बेहतर प्रदर्शन के साथ अपनी जगह मजबूत करने में सफल हुए। इसलिए हम सभी को एक बात समझ लेनी चाहिए कि प्रभु का न्याय विचित्र नहीं है, बल्कि बड़ा ही सत्य है।

इंद्रेश कुमार ने कहा कि जिस पार्टी ने भगवान राम की भक्ति की उसे बेशक 241 सीट ही मिली, लेकिन वो सरकार बनाने में सफल हुई और जिन लोगों ने भक्ति नहीं की, वो अच्छा करने में सफल तो हुए, लेकिन सरकार बनाने से चूक गए। यही है प्रभु की लीला, जिसे इंसानी दिमाग शायद कभी नहीं समझ सकेगा। जिन लोगों के मन में राम जी को लेकर श्रद्धा नहीं थी, उन्हें 234 पर ही रोक दिया। प्रभु जी ने कहा कि यह तुम्हारा फल यही है, इसलिए मैं कहता हूं कि जो राम की भक्ति करे वो बिना अहंकार के करे और जो ना करे, तो उसका कल्याण प्रभु खुद कर देगा।“

राम सबको उसकी नीयत के आधार पर प्रतिफल देते हैंः इंद्रेश कुमार

इंद्रेश कुमार ने आगे कहा, “भगवान राम भेदभाव नहीं करते। सबको उसकी नीयत के आधार पर प्रतिफल देते हैं। राम जी सजा नहीं देते हैं और ना ही किसी को विलाप करने का मौका देते हैं। राम जी सबको न्याय देते हैं, देते थे और आगे भी देते रहेंगे। राम जी सदैव न्याय प्रिय रहे हैं। मैं आपको बता दूं कि भगवान राम ने 100 वर्षों के शासनकाल के बाद अश्वमेध यज्ञ किया। इसलिए यह यज्ञ हुआ कि कोई रोगी ना रहे, कोई अशिक्षित ना रहे, कोई बेरोजगार ना रहे। इसलिए भगवान 100 वर्षों के शासनकाल के बाद अश्वमेध यज्ञ करवाया करते थे, ताकि संपूर्ण राज्य में शांति बनी रहे। इसी यज्ञ के कारण भगवान राम 11 हजार सालों तक शासन करने में सफल रहे। दुनिया में आज तक कोई भी इतने वर्षों तक शासन नहीं कर सका।

मोहन भागवत ने क्या कहा था?

इंद्रेश कुमार से पहले संघ प्रमुख मोहन भागवत की टिप्पणी भी भाजपा के लिए नसीहत के रूप में प्रचारित की गई। दरअसल, मोहन भागवत ने कहा था कि  “चुनाव सहमति बनाने की प्रक्रिया है। सहचित्त संसद में किसी भी प्रश्न के दोनों पहलू सामने आए इसलिए ऐसी व्यवस्था है। चुनाव प्रचार में जिस प्रकार एक-दूसरे को लताड़ना, तकनीकी का दुरुपयोग, असत्य प्रसारित करना ठीक नहीं है।“ भागवत ने अपने एक पोस्ट में कहा कि 'विरोधी' की जगह 'प्रतिपक्ष' होना चाहिए। भागवत के इस बयान को विपक्ष ने भी साझा करते हुए भाजपा पर निशाना साधा था।

भागवत के बयान के साथ ही संघ के मुखपत्र ऑर्गनाइजर में प्रकाशित एक लेख में कहा गया कि 'अति आत्मविश्वास' और 'झूठे अहंकार' के कारण चुनाव में भाजपा को हार मिली। लेख में कहा गया था कि नतीजे भाजपा कार्यकर्ताओं के लिए 'वास्तविकता की जांच' थे, जिन्होंने आरएसएस से मदद नहीं मांगी थी। इस लेख को आरएसएस सदस्य रतन शारदा ने लिखे थे।

इंद्रेश कुमार के बयान को विपक्ष ने बनाया हथियार

इधर, इंद्रेश कुमार के बयान पर कांग्रेस की प्रतिक्रियाएं भी सामने आने लगी हैं। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि यह बीज तो आरएसएस ने ही बोए हैं। बबूल के बीज बोए हैं, तो उससे आम के फल कैसे मिलेंगे। कांग्रेस का कहना है कि 10 साल तक लगातार मोहन भागवत जी की चुप्पी ने उन्हें अप्रासंगिक बना दिया है। वहीं, आम आदमी पार्टी ने कहा कि अहंकार की सीमा तो तब पार हो गई, जब इन्होंने गाना बनाया, 'जो राम को लाए हैं- हम उनको लाएंगे'।

आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि क्या तब भागवत जी को सवाल नहीं उठाना चाहिए था कि कोई इंसान भगवान श्री राम को नहीं ला सकता। क्या इंद्रेश कुमार जी को सवाल नहीं उठाना चाहिए था कि हमें इस गाने पर आपत्ति है। उन्होंने कहा कि क्या तब आरएसएस व बीजेपी ने वह पोस्टर नहीं देखा था, जिसमें मोदी जी की तस्वीर बड़ी है और भगवान राम की तस्वीर छोटी सी है। उन्होंने कहा कि तब अहंकार नहीं दिखा, जब जेपी नड्डा जी ने कहा कि मोदी जी देवताओं के देवता हैं।

संजय सिंह ने कहा कि इससे बड़ा अहंकार का उदाहरण और क्या हो सकता है। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में अपेक्षित परिणाम प्राप्त न करने पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेता इंद्रेश कुमार ने बिना नाम लिए बीजेपी पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा है कि भगवान राम की भक्ति करने वाली पार्टी अहंकारी हो गई थी, इसलिए 241 पर सिमट गई। इस चुनाव में बीजेपी का अहंकार ध्वस्त हो गया। इंद्रेश कुमार ने कहा, "इन लोगों ने भगवान राम की भक्ति तो की, मगर इनमें धीरे-धीरे अहंकार आ गया। आज भगवान राम ने इनके अहंकार को खत्म कर दिया है। ये लोग इस चुनाव में प्रशंसनीय परिणाम नहीं दे पाए। शायद अब इन्हें लोकतंत्र की ताकत का एहसास हो चुका होगा।

इंद्रेश कुमार का कांग्रेस नेता वडेट्टीवार ने समर्थन करते हुए भाजपा पर निशाना साधा। वेडट्टीवार ने भाजपा को आड़े हाथों लेते हुए कहा, इन लोगों को शायद यह नहीं पता कि भगवान राम को अहंकार नहीं था। ये लोग नाम तो भगवान राम का लेते हैं, लेकिन इनका अहंकार अब अपने चरम पर पहुंच चुका है। यह लोकतंत्र है, शायद यह लोग भूल गए थे कि लोकतंत्र में जो अहंकार दिखाता है, जनता उसे पलक झपकते ही अपनी जगह दिखा देती है। आप लोग भगवान राम के नाम का व्यापार करेंगे और जनता आपको छोड़ देगी। इस गलतफहमी को आप जितनी जल्द हो सके, निकाल दीजिए।

अगस्त-सितंबर में होगी आरएसएस की अखिल भारतीय समन्वय समिति की बैठक

संघ नेताओं के आ रहे बयानों के बीच संघ की समन्वय समिति की बैठक की तारीख सामने आई है। खबरों के मुताबिक, लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की एक बड़ी बैठक केरल में होने जा रही है। बताया जा रहा है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और भाजपा राष्ट्रीय संगठन महासचिव बैठक में शामिल होकर लोकसभा चुनाव को लेकर पार्टी के पक्ष को रख सकते हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय समन्वय समिति की बैठक केरल में अगस्त-सितंबर में होने जा रही है।

आरएसएस की महत्वपूर्ण बैठक केरल में 31 अगस्त को शुरू होगी और इसका समापन 2 सितंबर को होगा।  संघ की तीन दिवसीय महत्वपूर्ण बैठक में आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत और संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले सहित संघ से जुड़े 36 के लगभग विभिन्न संगठनों के मुखिया एवं संगठन महासचिव सहित संघ के अन्य महत्वपूर्ण नेता शामिल होंगे। संघ से जुड़े विभिन्न संगठनों के राष्ट्रीय अध्यक्ष या राष्ट्रीय संगठन महासचिव बैठक में शामिल होकर अपने-अपने संगठन के कामकाज और उपलब्धियों की जानकारी देंगे। संघ नेताओं की लगातार बयानबाजी और भाजपा के साथ आरएसएस के रिश्तों को लेकर उठ रहे सवालों के बीच संघ की आगामी बैठक को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।ॉ