सड़क हादसे में घायलों को मिलेगा 1.5 लाख रुपये तक कैशलेस इलाज (फोटो- X/IANS)
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नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने घोषणा की है कि भारत सरकार मार्च तक सड़क दुर्घटना के पीड़ितों के लिए कैशलेस उपचार प्रदान करने वाली एक राष्ट्रव्यापी योजना शुरू करेगी। इस पहल के तहत सड़क दुर्घटना में घायल हुए लोग अस्पताल में सात दिनों तक अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक की चिकित्सा ले सकेंगे।
यह योजना सभी प्रकार की सड़कों पर मोटर वाहनों के कारण होने वाली दुर्घटनाओं को कवर करेगी। राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) पुलिस, अस्पतालों और राज्य स्वास्थ्य एजेंसियों के साथ मिलकर इस स्कीम के कार्यान्वयन की निगरानी करेगा।
गडकरी ने कहा कि दुर्घटना के 24 घंटे के अंदर जैसी ही पुलिस को सूचना पहुंचेगी, 7 दिन तक या अधिकतम डेढ़ लाख रुपये तक का इलाज सरकार के खर्चे पर किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हिट एंड रन मामले में मौत पर सरकार दो लाख रुपये देगी।
चंडीगढ़ से हुई थी योजना की शुरुआत
सड़क दुर्घटना में घायल लोगों के कैशलेश इलाज की पहल 14 मार्च, 2024 को चंडीगढ़ में एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू हुई थी। बाद में इसे छह अन्य राज्यों में विस्तारित किया गया। इस योजना का लक्ष्य किसी दुर्घटना के बाद महत्वपूर्ण शुरुआती घंटे के दौरान समय पर चिकित्सा देखभाल सुनिश्चित करना है।
गडकरी ने मीडिया से बात करते हुए सड़क सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए चल रहे प्रयासों की भी चर्चा की। इसमें कमर्शियल ड्राइवरों के लिए काम के घंटों को निर्धारित करने के लिए नीतियां विकसित करने जैसी बातें शामिल हैं। ड्राइवर की थकान घातक दुर्घटनाओं का एक महत्वपूर्ण कारण रहा है।
गडकरी ने माना कि देश में करीब 22 लाख ड्राइवरों की कमी है। गडकरी ने आने वाले दिनों में पूरे भारत में ड्राइवर प्रशिक्षण संस्थान (डीटीआई) स्थापित करने की योजना की भी घोषणा की।
2024 में सड़क दुर्घटना में 1.80 लाख लोगों की मौत
गडकरी ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के परिवहन मंत्रियों, सचिवों और आयुक्तों के दिवसीय सम्मेलन के बाद पत्रकारों से बात करते हुए सड़क दुर्घटनाओं से जुड़ी कई और अहम जानकारियां दी।
गडकरी ने बताया, बैठक में पहली प्राथमिकता सड़क सुरक्षा पर बात हुई। साल 2024 में देश में सड़क दुर्घटना में 1.80 लाख मौतें हुई हैं। इनमें भी 30,000 लोगों की मौत हेलमेट न पहनने से हुई। दूसरी गंभीर बात यह है कि 66% मौतें 18 से 34 आयु वर्ग में हुई हैं। हमारे स्कूलों और कॉलेजों के सामने निकास-प्रवेश बिंदु पर उचित व्यवस्था की कमी के कारण 10,000 बच्चों की मृत्यु हो गई है।'
गडकरी ने कहा कि स्कूलों के लिए ऑटोरिक्शा और मिनीबस के लिए भी नियम बनाए गए हैं क्योंकि इससे बड़ी संख्या में मौतें होती हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ई-रिक्शा के लिए सुरक्षा स्टार रेटिंग शुरू करने पर भी काम कर रही है। गडकरी ने कहा कि सरकार भारी वाहनों से होनी वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए इमरजेंसी ब्रेकिंग सिस्टम और ड्राइवर को नींद आने पर ऑडियो-अलर्ट जैसी व्यवस्था पर भी काम करेगी।