बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के विधायक भाई वीरेंद्र का एक कथित ऑडियो सामने आया है, जो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। ऑडियो में राजद विधायक और मनेर प्रखंड के एक पंचायत सचिव के बीच फोन पर हुई बातचीत सुनी जा सकती है। बातचीत के दौरान दोनों के बीच कहासुनी हो गई, जो बाद में तीखी बहस में बदल गई।

दरअसल राजद विधायक ने अपने विधानसभा क्षेत्र में एक परिवार के सदस्य के मृत्यु प्रमाण पत्र को लेकर सचिव को फोन किया था। लेकिन बातचीत की शुरुआत ही गलतफहमी और तैश से हुई। जैसे ही पंचायत सचिव ने फोन उठाया विधायक को पहचानने से इनकार कर दिया। इस पर राजद विधायक उखड़ (नाराज हो) गए। इसके बाद की बातचीत और तल्ख हो गई।

विधायक ने गुस्से में कहा, "तुम मुझे नहीं पहचानते हो? मुझे पूरा हिंदुस्तान जानता है!" बातचीत आगे बढ़ी, तो मामला बहस में बदल गया। ऑडियो में कथित तौर पर विधायक सचिव को अपशब्द कहते और जूते से मारने की धमकी देते सुनाई दे रहे हैं। वहीं, सचिव ने भी जवाब में संयमित ढंग से विरोध जताया और विधायक से मर्यादित भाषा में बात करने की बात कही। हालांकि बोले भारत इस ऑडियो की पुष्टि नहीं करता है।

यहां पढ़िए पूरी बातचीतः

भाई वीरेंद्र: हैलो... हाँ, भाई वीरेंद्र बोल रहे हैं।
सचिव: हाँ, बोलिए।
भाई वीरेंद्र: कौन बोल रहा है रे?
सचिव: किनसे बात करना है आपको?
भाई वीरेंद्र: अरे पंचायत सचिव से मैं बात करना चाह रहा हूँ।
सचिव: हाँ, पंचायत सचिव तो बोल रहा हूँ... बोलिए।
भाई वीरेंद्र: अरे त भाई वीरेंद्र को तुम नहीं पहचानता है, तो तू कहेगा कि "बोलिए"?
सचिव: त अपना परिचय दीजिएगा तब ना।
विधायक: अरे, भाई वीरेंद्र का नाम परिचय देना पड़ता है? भाई वीरेंद्र मेरा नाम है! तू नहीं जानता भाई वीरेंद्र कौन है तुम्हारा? भाई वीरेंद्र मनेर का कौन है, नहीं जानते हो तुम?
सचिव: नहीं जानकारी रहता तो ऐसे थोड़े बतियाते।
भाई वीरेंद्र: हां, इंग्लैंड का है क्या तू? मनेर का विधायक को नहीं जानता है तुम?
सचिव: हाँ विधायक जी, बोलिए।
भाई वीरेंद्र: अरे "विधायक जी, बोलिए", फिर जूता से मारेंगे घींच के समझा? तुम टेप करो, चाहे जो करो। तुम कह रहा कि "विधायक जी, बोलिए"... प्रोटोकॉल का ख्याल नहीं रखेगा रे? प्रोटोकॉल का ख्याल नहीं रखेगा? हिंदुस्तान जानता है! अब तुम कह रहे हो कि भाई वीरेंद्र कौन हैं, नहीं जानते हो?
सचिव: अरे तो बोलिए ना, क्या बात है? प्रणाम करना चाहिए... प्रणाम, विधायक जी बोलिए।
भाई वीरेंद्र: अरे ये रिंकी देवी के पति अविनाश कुमार का मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाइए।
सचिव: आवेदन मेरे पास आया हुआ है उनका।
भाई वीरेंद्र: आवेदन गया हुआ है कब का! देखिए तेरही से... काम मत करा, तू कर्मचारी है... कर्मचारी जइसन काम करS।
सचिव: हाँ, तो आप भी प्रेम से बतियाइएगा, तो प्रेम से बतियाएंगे, ठीक है? जहाँ जो कुछ करना है, करते रहिएगा। कोई ऐसा डर नहीं है हमको, ठीक है? सीधा बतियाइएगा, सीधा बतियाएंगे। टेढ़ बतियाइएगा, टेढ़ ही बतियाएंगे। ऐसा डरने वाला कोई यहाँ पे है नहीं।
विधायक: अरे तुम इस तरह का भाषा बोलेगा रे?
सचिव: हाँ, पहले आप ही ना उस भाषा में बोल रहे हैं। आप जनप्रतिनिधि हैं... आपको पहले प्रेम से बात करना चाहिए।
भाई वीरेंद्र: हां, त हम पूछे कि "कर्मचारी बोल रहे हैं?" त "हाँ, कर्मचारी बोल रहे हैं"... हम भाई वीरेंद्र बोल रहे हैं, तो "कौन भाई?"
सचिव: हां, त हम नहीं जानते थे यहां का विधायक का क्या नाम है।
भाई वीरेंद्र: विधायक जी का क्या नाम है, तुम नहीं जानता है?
सचिव: हां, हम नहीं जानते थे।
भाई वीरेंद्र: तो तुमको नौकरी करने का अधिकार नहीं है न मनेर में, जब तुम अपने प्रतिनिधि का नाम नहीं जानता है तो?
सचिव: तो जाके लिखित दे दीजिए, ट्रांसफर करा दीजिए।
भाई वीरेंद्र: ट्रांसफर नहीं... हाँ, अब दूसरा बात हो जाएगा ना... ट्रांसफर!
सचिव: अच्छा त धमकी मत दीजिए। उतना धमकी से कोई डरने नहीं जा रहा है। "दूसरा बात हो जाएगा" — क्या हो जाएगा?
भाई वीरेंद्र: कहां का है रे तू?
सचिव: अरे काम का बात कीजिए ना... क्या काम है?
भाई वीरेंद्र: मैंने काम कहा न!
सचिव: हाँ, तो प्रोसेसर में गया हुआ है... ऑफिस में आवेदन जमा है। वहाँ से जिला लॉगिन में जाएगा। वहाँ से फॉर्वर्ड होके आएगा, अनुशंसित होगा, तब हम लोग के लॉगिन में आएगा, तो बनेगा।