नई दिल्ली: स्वतंत्रता दिवस से पहले दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को बड़ी कामयाबी मिली। स्पेशल सेल ने ISIS ग्रुप के आतंकी को गिरफ्तार किया है। आतंकी की पहचान रिजवान अली के तौर पर हुई है। रिजवान दिल्ली के दरियागंज का रहने वाला है। इस पर एनआईए ने 3 लाख रुपये का इनाम घोषित किया था और वह मोस्ट वांटेड की लिस्ट में शामिल था।
रिजवान अली तक कैसे पहुंची पुलिस
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली पुलिस को रिजवान द्वारा मोबाइल इस्तेमाल करने सहित कुछ और तकनीक की बदौलत बड़ी लीड मिली और वो उसे पकड़ने के लिए जान बिछाने में कामयाब रही।
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के अनुसार, आतंकी रिजवान के बारे में सूचना मिली थी। सूचना के आधार पर स्पेशल सेल हरकत में आई। आतंकी रिजवान को गिरफ्तार करने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों के दिशा-निर्देश में टीम गठित की गई। गुरुवार रात 11 बजे आतंकी रिजवान को दिल्ली के बायोडायवर्सिटी पार्क के पास से गिरफ्तार कर लिया गया।
सामने आई जानकारी के अनुसार पुलिस को पहले टेलीग्राम पर दो लोगों के बीच बातचीत के संकेत प्राप्त हुई। इन चैट्स में पहले तो आपसी हालचाल की बात होती है और फिर मीटिंग करने पर चर्चा होती है। इसमें चौंकाने वाली बात ये थी कि इसमें एक शख्स पाकिस्तान में मौजूद था और दूसरा भारत में रहकर बात कर रहा था। पाकिस्तान वाले शख्स की लोकेशन जहां स्थिर थी तो वहीं दूसरे शख्स की लोकेशन एक राज्य से दूसरे राज्य बार-बार बदल रही थी।
इसी तरह के मूवमेंट को दो अन्य अकाउंट पर भी नजर आए। एक का नाम ‘कासिम सोलेमानी’ था और दूसरे पर उर्दू में कुछ अक्षर थे जिसके बाद अंक 123 लिखा था। ऐसे ही इलेक्ट्रॉनिक सुरागों का पीछा करते और अपने खुफिया नेटवर्क की बदौलत सुरक्षा ऐजेंसियां रिजवान अली को पकड़ने में कामयाब हुईं। रिजवान अली ‘आईडी एक्सपर्ट’ है और पिछले एक साल से उसके पीछे पुलिस लगी हुई थी।
रिजवान अली…दिल्ली में यमुना किनारे बम की टेस्टिंग!
‘अग्नि सुरक्षा और प्रबंधन’ में डिप्लोमा और अग्निशमन उपकरणों के व्यापार में लगी एक कंपनी में कुछ दिन नौकरी करने के बाद रिजवान बेहतर जीवन की ओर जा सकता था। हालांकि, वह आतंकियों के संपर्क में आया और कथित तौर पर आईईडी असेंबल करने में महारत हासिल कर ली।
एक पुलिस रिपोर्ट के अनुसार रिजवान ने शानवाज (पिछले साल गिरफ्तार) के साथ मिलकर टेलीग्राम पर मिले निर्देशों से ‘एल्बो आईईडी’ तैयार करना सीखा। इसके बाद इसके प्रभाव को बढ़ाने के दोनों ने छोटे 3 किलो वाले एलपीजी सिलेंडरों के साथ प्रयोग भी किया। इस प्रयोग के तहत ये देखने की कोशिश थी कि विस्फोट कितना बड़ा होता है और घातक छर्रे कहां तक फैलते हैं। ऐसी भी जानकारी सामने आई है कि दोनों आरोपी अपने आईईडी मिश्रण में काली मिर्च का भी इस्तेमाल कर रहे थे, जो एकदम अलग बात है। इन्होंने इसका प्रारंभिक भी दक्षिण-पूर्व दिल्ली में जाकिर नगर के पास यमुना नदी के पास किया। इनके पास से जब्त मोबाइल में बम बनाने की कई तस्वीरें और बम बनाने के तरीकों का विस्तृत विवरण पीडीएफ फाइलों में मिला है।
हल्द्वानी और नूंह में भी की गई थी बम की टेस्टिंग!
रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में यमुना के पास इनकी बम की टेस्टिंग फेल रही। इसके बाद इन्होंने फिर से IED बम बनाया और टेस्टिंग के लिए उत्तराखंड के हल्द्वानी और हरियाणा के नूंह गए। पुलिस के अनुसार हलद्वानी में इन्होंने लाल कुआं के पास एक जंगल में विस्फोट किया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि धमाके की आवाज स्थानीय लोगों को सुनाई न दे। टेस्ट यहां सफल रहा और इन आतंकियों ने इसका जश्न मनाया और दिल्ली लौट आए। इसके कुछ दिनों के बाद बाद वे हरियाणा के नूंह पहुंचे, जहां उन्होंने आईईडी में एक सिलेंडर जोड़ा और पांच मिनट का टाइमर भी सेट किया। यह टेस्ट भी इनका सफल रहा।
सूत्रों के अनुसार रिजवान कई सालों से विदेशी हैंडलर्स के संपर्क में था। इसका प्रारंभिक संपर्क ‘अबू हुजैफ़ा अल बकिस्तानी’ नाम के एक ऑनलाइन संगठन से था। यह संगठन विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफार्मों के माध्यम से करीब दो दर्जन युवाओं को संभाल रहा था। यह संगठन ‘इस्लामिक स्टेट’ में शामिल होने के लिए दक्षिण पूर्व एशिया से युवाओं की भर्ती और उन्हें भड़काने का काम करता था। ऑनलाइन आईडी ‘यूसुफ अल हिंदी’ के अचानक बंद हो जाने के बाद यह हैंडल सक्रिय हुआ था। इंडियन मुजाहिदीन का शफी अरमार, जो बाद में इस्लामिक स्टेट के खुरासान मॉड्यूल में शामिल हुआ, वो उस हैंडल का संचालन कर रहा था। उस पर भारतीय युवाओं की भर्ती की जिम्मेदारी रहती थी।
पुलिस ने फिलहाल रिजवान के पास से हथियार और तीन कारतूस भी बरामद किए हैं। पुलिस ने इस मामले में एफआईआर दर्ज कर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है। आतंकी रिजवान को पकड़ने के लिए काफी समय से सुरक्षा बलों ने अपने नेटवर्क को एक्टिव किया हुआ था। वह काफी समय से फरार चल रहा था।
आईएसआईएस मॉड्यूल का खूंखार आतंकी
बताया जा रहा है कि रिजवान पुणे आईएसआईएस मॉड्यूल का सबसे खूंखार आतंकी है। उसने अपने कुछ साथियों के साथ दिल्ली और मुंबई के वीवीआईपी इलाकों की रेकी की थी। रिजवान 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस के जश्न में भंग डालने की कोशिश में था।
बता दें कि रिजवान को इससे पहले दिल्ली पुलिस ने साल 2018 में गिरफ्तार किया। लंबी पूछताछ के बाद उसे छोड़ दिया गया। आतंकी रिजवान की गिरफ्तारी के बाद दिल्ली पुलिस व अन्य जांच एजेंसी अलर्ट मोड पर है। सरोजनी नगर मार्केट, लाजपत नगर मार्केट, खान मार्केट सहित अन्य मार्केटों में मोस्ट वांटेड आतंकवादियों के पोस्टर चस्पा किए गए हैं।