वंदे भारत की पहली महिला लोको पायलट रितिका तिर्की को मिला राष्ट्रपति का न्योता, फोटोः आईएएनएस
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रांचीः झारखंड की रितिका तिर्की पहली महिला आदिवासी सहायक लोको पायलट हैं। उन्हें 26 जनवरी को राष्ट्रपति आवास में होने वाले रिसेप्शन का निमंत्रण मिला है। वह उस वक्त अवाक रह गईं, जब उनके दरवाजे पर डाकघर के अधिकारियों की एक टीम पहुंची। ये अधिकारी रितिका को राष्ट्रपति भवन में 'एट होम' रिसेप्शन का निमंत्रण देने आए थे।
राष्ट्रपति आवास के निमंत्रण में बुलाए जाने पर 27 वर्षीय रितिका तिर्की ने कहा कि उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि राष्ट्रपति उन्हें लोको पायलट के तौर पर आमंत्रित करेंगी। ज्ञात हो कि बीते साल सितंबर में रितिका ने वंदे भारत ट्रेन का संचालन किया था। ऐसा करने वाली वह महिला सहायक लोको पायलट हैं।
इस संबंध में पहले जब रितिका के फोन में मेल से निमंत्रण आया था तो वह उसे फर्जी समझ रही थीं। हालांकि राष्ट्रपति भवन से आए औपचारिक निमंत्रण से वह हैरान हो गईं। रितिका को यह निमंत्रण जमशेदपुर के जुगसलाई स्थित उनके आवास पर सहायक डाक अधीक्षक (पश्चिम) परीक्षित सेठ की देखरेख में डाकिया द्वारा पहुंचाया गया।
रितिका बन रही हैं मिसाल
तिर्की ने कहा- " पहले जब मुझे ई-मेल मिला तो मुझे लगा कि यह फर्जी है लेकिन जब डाकघर की एक टीम मेरे घर पर आई तो मैं अभिभूत हो गई।" लोको पायलट ने आगे कहा कि एक साधारण परिवार से आने वाली आदिवासी लड़की को जो अनूठा अवसर मिला है, वह सम्मान की बात है।
यह सम्मान उन्हें पुरुष प्रधान समाज में उनकी उत्कृष्ट उपलब्धियों को पहचान दिलाता है। तिर्की ने भारतीय रेलवे में महिलाओं के लिए तमाम बाधाओं को तोड़कर नए रास्ते खोल दिए हैं।
तिर्की ने कहा कि - "राष्ट्रपति भवन ने मुझे एक 'अचीवर महिला' के रूप में आमंत्रित किया है और मेरा मानना है कि हर महिला को स्वतंत्र होना चाहिए। मुझे लगता है महिलाएं आज लगभग हर क्षेत्र में काम कर रही हैं और जहां नहीं कर रही हैं वहां जल्द ही पहुंचेंगी।"
उन्होंने आगे कहा कि - " दुनिया में कोई भी काम छोटा नहीं है। काम करने की एकमात्र पूर्व शर्त यह है कि इसे पूर्ण समर्पण के साथ किया जाना चाहिए और फिर सफलता निश्चित है।"
तिर्की के मुताबिक, उनकी पहली उपलब्धि सह-पायलट बनना थी जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 सितंबर 2024 को वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखाई थी और अब राष्ट्रपति के 'एट होम रिसेप्शन' में बुलाया जाना उनकी दूसरी उपलब्धि है।
वंदे भारत ट्रेन में सहायक लोको पायलट के रूप में हैं कार्यरत
रितिका टाटानगर से पटना के बीच चलने वाली वंदे भारत ट्रेन में सहायक लोको पायलट के रूप में कार्यरत हैं। ऐसा करने वह पहली आदिवासी महिला हैं। रितिका की यह उपलब्धि उनके परिवार और राज्य की महिलाओं के लिए प्रेरणा का एक स्रोत है।
झारखंड के एक साधारण परिवार से आने वाली रितिका की स्कूली पढ़ाई रांची के एक स्कूल से हुई है। इसके बाद उन्होंने रांची के मेसरा स्थित बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बी. टेक किया है।
रितिका के पिता वन रक्षक के रूप में कार्यरत थे फिलहाल वह सेवानिवृत्त हो चुके हैं। रेलवे में तिर्की का करियर धनबाद रेल डिवीजन के अंतर्गत आने वाले चंद्रपुरा और बोकारो से शुरू हुआ। साल 2021 में उनका स्थानांतरण (ट्रांसफर) टाटानगर में हो गया। यहां पर रितिका को पदोन्नति (प्रमोशन) मिली जिससे वह करियर में नई ऊंचाइयों तक पहुंच पाईं।
सहायक लोको पायलट के रूप में पदोन्नति से पहले वह मालगाड़ियों और यात्री सेवाओं (पैंसेजर्स ट्रेन ) का संचालन कर रही थीं। साल 2024 में जब उनकी पदोन्नति हुई तो वह वंदे भारत ट्रेन का संचालन करने लगीं। वह एक महत्वपूर्ण चालक दल के रूप में कार्य करती हैं। वंदे भारत ट्रेन एक अत्याधुनिक ट्रेन है। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ड्रीम परियोजना है।