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संभल : उत्तर प्रदेश के संभल जिले के लक्ष्मण गंज इलाके में शनिवार को एक सर्वेक्षण के दौरान 1857 के स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी 250 फुट गहरी बावड़ी के अवशेष मिले। दो बुलडोजरों की मदद से हुई खुदाई में इस बावड़ी का पता चला, जिसे स्थानीय तौर पर ‘रानी की बावड़ी’ कहा जाता है।
कैसे हुई बावड़ी की खोज?
यह खोज एक प्राचीन बांके बिहारी मंदिर के अवशेष मिलने के बाद हुई। इस मामले को सनातन सेवक संघ के प्रांत प्रचार प्रमुख कौशल किशोर ने जिला मजिस्ट्रेट राजेंद्र पेंसिया के समक्ष उठाया था। पत्र में बताया गया कि यह स्थान सहसपुर के राजपरिवार का था, जहां एक ऐतिहासिक बावड़ी मौजूद थी।
डीएम ने इस पर कार्रवाई करते हुए लक्ष्मण गंज में खुदाई का आदेश दिया। खुदाई के दौरान दो मंजिला संरचना के साथ यह बावड़ी मिली। अधिकारियों का कहना है कि यह बावड़ी ऐतिहासिक अभिलेखों में भी दर्ज है।
#WATCH | Uttar Pradesh: Sambhal DM Dr Rajender Pensiya says, "... This matter was brought to our notice yesterday during the public hearing. The Nagar Palika team is removing the topsoil. At present only 210 square meters are outside and the rest is occupied. Action will be taken… https://t.co/GPGizmZbBV pic.twitter.com/UAq2o80Gio
— ANI (@ANI) December 22, 2024
स्थानीय इतिहास से जुड़ी बावड़ी
स्थानीय लोगों और इतिहासकारों का मानना है कि यह बावड़ी 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान बनाई गई थी। यह स्थल न केवल ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यहां के सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व को भी दर्शाता है।
डीएम ने बावड़ी वाली जगह पर अवैध कब्जे के खिलाफ सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। अतिक्रमणकारियों को नोटिस जारी कर कार्रवाई शुरू कर दी गई है।
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कार्बन डेटिंग से और खुलेंगे राज
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने इस क्षेत्र में मौजूद अन्य ऐतिहासिक स्थलों की कार्बन डेटिंग शुरू कर दी है। इसमें हाल ही में पुनः खोले गए कार्तिकेय मंदिर, भद्रक आश्रम, स्वर्गदीप और चक्रपाणि तीर्थ स्थलों की जांच शामिल है।
खोज की प्रक्रिया शाही जामा मस्जिद के पास हुई, जहां हाल ही में अदालत के आदेश पर सर्वेक्षण के दौरान सांप्रदायिक तनाव हुआ था। इस दौरान चार लोगों की मौत भी हुई थी।