नई दिल्ली: भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को कहा कि भारत और चीन 2020 की गलवान घाटी झड़प के बाद खराब हुए संबंधों को फिर से सुधारने के लिए लगातार काम कर रहे हैं, लेकिन कुछ मुद्दे अभी भी अनसुलझे हैं। एशिया सोसाइटी द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा कि तनावपूर्ण संबंध किसी भी देश के लिए फायदेमंद नहीं हैं।
एशिया सोसाइटी के अध्यक्ष और सीईओ और दक्षिण कोरिया के पूर्व विदेश मंत्री क्यूंग-वा कांग द्वारा संचालित एक सत्र के दौरान जयशंकर ने कहा, 'वह केवल रक्तपात नहीं था, यह लिखित समझौतों की अवहेलना थी... जिन शर्तों पर सहमति बनी थी, उनसे अलग जाना बहुत तीखा और अहम था।'
'संबंध सुधरे हैं लेकिन कुछ चुनौतियां अभी बाकी'
जयशंकर ने स्वीकार किया कि पिछले साल अक्टूबर से संबंधों में सुधार हुआ है, लेकिन दोनों देशों में रिश्तों को लेकर कुछ चुनौतियां बनी हुई हैं। उन्होंने कहा, 'हम अभी भी इसके कुछ हिस्सों से निपट रहे हैं, ऐसा नहीं है कि यह मुद्दा पूरी तरह से खत्म हो गया है।'
उन्होंने कहा कि 2020 की झड़पों से हुए नुकसान को दूर करने के प्रयास जारी हैं। विदेश मंत्री ने कहा, 'हम वास्तव में, ईमानदारी से सोचते हैं कि यह हमारे आपसी हित में है।'
गौरतलब है कि भारत और चीन ने पिछले साल अक्टूबर में पूर्वी लद्दाख में टकराव के दो अहम प्वाइंट्स देपसांग और डेमचोक से सैनिकों को पीछे हटाने का समझौता किया था। इसके कुछ दिनों बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कजान में बातचीत की। इसके बाद द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर बनाने के लिए कई अहम फैसले भी लिए गए।
'बेहतर संबंधो के लिए सीमा पर शांति जरूरी'
जयशंकर ने मतभेदों को विवादों में बदलने से रोकने के लिए उन्हें प्रबंधित करने के महत्व की बात की। उन्होंने कहा, 'हम कई मुद्दों पर प्रतिस्पर्धा करते हैं। लेकिन क्योंकि हम प्रतिस्पर्धा करते हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि हमारे बीच संघर्ष होना चाहिए। हम इस बारे में बहुत यथार्थवादी हैं।'
तनावपूर्ण संबंधों के व्यापक नुकसानों की बात करते हुए एस जयशंकर ने कहा, 'बहुत ही शत्रुतापूर्ण माहौल में इतनी बड़ी संख्या में सैनिकों के साथ होने और फिर इससे संबंधों को हुए सभी नुकसानों से हमें क्या लाभ होगा?' उन्होंने कहा कि सीमा पर शांति और सौहार्द बनाए रखना दोनों देशों के बीच बेहतर संबंधों के लिए आवश्यक है।