नई दिल्लीः दिल्ली के पुराने राजेंद्र नगर में यूपीएससी की तैयारी कर रहे तीन छात्रों की मौत मामले में छात्रों का विरोध प्रदर्शन जारी है। प्रदर्शनकारी छात्र प्रत्येक पीड़ित परिवारों को 5 करोड़ रुपए मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं।
समाचार एजेंसी आईएएनस से रॉबिन नाम के एक छात्र ने कहा कि एमसीडी की लापरवाही के कारण तीन छात्रों की जान गई। उनके परिवार को मुआवजा दिया जाना चाहिए। इसी मांग को लेकर वे विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
एमसीडी के अधिकारी घटना के लिए सार्वजनिक तौर पर माफी मांगे
छात्रों का कहना है कि तीनों के परिवार को पांच-पांच करोड़ मुआवजा दिया जाए और एमसीडी के अधिकारी घटना के लिए सार्वजनिक तौर पर माफी मांगे। इसके अलावा राजेंद्र नगर में जलभराव की समस्या को दूर करना चाहिए, क्योंकि यहां अधिकतर जगहों पर कोचिंग सेंटर बेसमेंट में चल रहे हैं। ऐसे सभी कोचिंग सेंटर के खिलाफ कार्रवाई भी की जाए।
वहीं, एक अन्य छात्र दक्ष शर्मा ने कहा, “छात्र अपने मृतक साथियों को इंसाफ दिलाने के लिए शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे हैं। हमारी सरकार और एमसीडी से यही मांग है कि उनके परिवारों को उचित मुआवजा दिया जाए। एमसीडी को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए और उन्हें माफी मांगनी चाहिए।”
बंद किए जाएं अवैध कोचिंग सेंटर
विरोध-प्रदर्शन कर रहे छात्रों की शर्तों का जिक्र करते हुए एक ने कहा कि राजेंद्र नगर में जितने भी अवैध कोचिंग चल रहे हैं, उन्हें बंद किया जाए। साथ ही छात्रों की सुरक्षा के मद्देनजर यहां सभी इंतजाम भी किए जाएं।
बता दें कि दिल्ली पुलिस ने राऊ आईएएस कोचिंग के मालिक अभिषेक गुप्ता और कोऑर्डिनेटर को गिरफ्तार कर लिया है। दोनों को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। साथ ही रविवार को एमसीडी ने कार्रवाई करते हुए 13 कोचिंग सेंटर को सील कर दिए। इसके बाद 7 और कोचिंग सेंटर सील किए जिनमें एक मुखर्जी नगर में स्थित दृष्टि आईएएस का सेंटर भी शामिल है।
मालूम हो कि 27 जुलाई को राजेंद्र नगर स्थित कोचिंग संस्थान के बेसमेंट में पानी भर गया था। जिससे वहां मौजूद तीन छात्रों की डूबने से मौत हो गई थी। एक छात्र ने कहा कि गृह मंत्रालय ने एक समिति गठित की है, और रिपोर्ट जल्द ही जारी की जानी चाहिए। सिर्फ समिति बनाना ही पर्याप्त नहीं है।
विरोध प्रदर्शन कर रहे एक अन्य छात्र ने IANS को बताया कि हम मौन विरोध कर रहे हैं, हम किसी से नहीं लड़ रहे हैं। पीडब्ल्यूडी और एमसीडी को जवाबदेही लेनी चाहिए और कार्रवाई करनी चाहिए। पीडब्ल्यूडी, एमसीडी और बीएसईएस सभी इस घटना के लिए समान रूप से जिम्मेदार हैं और जिन तीन लोगों की जान गई है, उन्हें कम से कम 1 करोड़ का मुआवजा दिया जाना चाहिए।
नियमों का उल्लंघन कर संचालित हो रहा था कोचिंग सेंटर
राऊ आईएएस स्टडी सर्किल बेसमेंट का इस्तेमाल लाइब्रेरी के तौर पर कर रहा था, जबकि सिविक अथॉरिटीज ने कहा था कि इसका इस्तेमाल स्टोरेज के तौर पर किया जा सकता है। कोचिंग सेंटर को इस महीने की शुरुआत में अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) मिला था, जिसमें तीन मंजिला इमारत, इमारत के नीचे स्टिल्ट पार्किंग स्पेस और एक बेसमेंट के लिए मंजूरी दी गई थी, जिसका इस्तेमाल स्टोरेज एरिया के तौर पर किया जाना था। कोचिंग सेंटर के मालिक ने माना कि संस्थान के बेसमेंट में कोई ड्रेनेज सुविधा नहीं थी। यह भी बताया गया है कि इसमें केवल एक एंट्री और एग्जिट पॉइंट था।
कोचिंग संस्थानों का बाजार आकार क्या है?
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कोचिंग उद्योग 58,088 करोड़ रुपये का है, जिसमें सिविल सेवा कोचिंग संस्थान 3,000 करोड़ रुपये का योगदान देते हैं। दिल्ली को अक्सर यूपीएससी-सीएसई कोचिंग का केंद्र माना जाता है। बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और देश के दक्षिणी हिस्सों सहित कई राज्यों से लाखों छात्र राजेंद्र नगर और मुखर्जी नगर में कोचिंग संस्थानों में पढ़ने के लिए दिल्ली आते हैं।
–आईएएनएस इनपुट के साथ