नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को एक ऐतिहासिक आदेश दिया। इस आदेश के तहत, बलात्कार, एसिड अटैक, यौन उत्पीड़न और POCSO (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण-पॉक्सो) मामलों के पीड़ितों को सरकारी और निजी अस्पतालों तथा नर्सिंग होम्स में मुफ्त चिकित्सा उपचार मिलेगा।
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह और न्यायमूर्ति अमित शर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश दिया कि सभी सरकारी और राज्य सरकार द्वारा वित्त पोषित संस्थानों के साथ-साथ निजी अस्पतालों और नर्सिंग होमों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इन मामलों के पीड़ितों को तत्काल चिकित्सा सेवाएं मिलें।
अदालत ने कहा कि “उपचार” में सभी तरह की चिकित्सा सुविधाएं शामिल हों
न्यूज एजेंसी एएनआई के हवाले से एनडीटीवी ने खबर दी है कि न्यायालय ने स्पष्ट किया कि “उपचार” में प्राथमिक चिकित्सा, निदान, अस्पताल में भर्ती, आउटपेशेंट देखभाल, प्रयोगशाला परीक्षण, सर्जरी, मानसिक और शारीरिक परामर्श, मनोवैज्ञानिक सहायता और पारिवारिक परामर्श भी शामिल होंगे।
न्यायालय ने यह भी कहा कि बलात्कार और पॉक्सो के मामलों में पीड़ितों को अक्सर तुरंत चिकित्सा हस्तक्षेप या लंबे समय तक चिकित्सा सहायता की आवश्यकता होती है, जैसे अस्पताल में भर्ती होना, शल्य चिकित्सा और परामर्श सेवाएं प्राप्त करना।
सभी पीड़ितों को उनके कानूनी अधिकारों के बारे में जानकारी भी दें
हालांकि बीएनएसएस या सीआरपीसी के तहत पहले से ही इस तरह के प्रावधान मौजूद थे, लेकिन न्यायालय ने पाया कि यौन हिंसा और एसिड हमलों के पीड़ितों को मुफ्त चिकित्सा उपचार प्राप्त करने में कई चुनौतियां आ रही थीं।
इस पर कोर्ट ने सरकार से कहा कि सभी पीड़ितों को उनके कानूनी अधिकारों के बारे में जानकारी दी जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि उन्हें किसी भी हालत में चिकित्सा सहायता से वंचित न किया जाए।
न्यायालय ने यह भी आदेश दिया कि संबंधित अदालतों, जैसे पॉक्सो न्यायालय, आपराधिक न्यायालय और पारिवारिक न्यायालयों को इस आदेश के बारे में जानकारी दी जाए।
इसके अलावा जब भी अदालतों को पीड़ितों के लिए चिकित्सा सहायता की जरूरत का मामला मिले, तो उन्हें उपयुक्त चिकित्सा संस्थान, चाहे वह सरकारी हो या निजी के पास भेजने के लिए उचित कदम उठाए जाएं।
इस फैसले पर अमल होने से यौन हिंसा और अन्य अपराधों के पीड़ितों को राहत मिलेगी। उन्हें अपने इलाज के लिए अस्पतालों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।