सुप्रीम कोर्ट ने रांची बीटेक छात्रा के रेप और हत्या के आरोपी की फांसी की सजा पर लगाई रोक

रांची के निर्भया कांड के रूप में चर्चित यह वारदात 15-16 दिसंबर, 2016 को हुई थी। आरटीसी इंस्टीट्यूट में बीटेक की छात्रा को बर्बरतापूर्वक रेप और हत्या के बाद जला दिया गया था।

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सुप्रीम कोर्ट। फोटोः IANS

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को झारखंड की राजधानी रांची में 19 वर्षीय बीटेक छात्रा के रेप और हत्या के मामले में दोषी ठहराए गए 30 वर्षीय युवक की फांसी की सजा पर रोक लगा दी। जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस उज्जवल भुइयां की बेंच ने इस मामले की सुनवाई करते हुए निचली अदालत और झारखंड हाई कोर्ट से इस केस का रिकॉर्ड मंगाने का निर्देश दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "फांसी की सजा पर रोक जारी रहेगी। रजिस्ट्री को निर्देश दिया जाता है कि ट्रायल कोर्ट और हाई कोर्ट से इस मामले के रिकॉर्ड की कॉपी प्राप्त की जाए, साथ ही सॉफ्ट कॉपी भी ली जाए।"

क्या है मामला?

यह मामला 15 दिसंबर 2016 का है। रांची के आरटीसी इंस्टीट्यूट में बीटेक की छात्रा को बर्बरतापूर्वक रेप और हत्या के बाद जला दिया गया था। 15 दिसंबर की शाम, जब वह कॉलेज से लौटकर घर पर अकेली थी, तब आरोपी राहुल कुमार ने उसका पीछा करते हुए उसके घर तक पहुंचने की योजना बनाई। छात्रा को इस बात की भनक तक नहीं थी कि कोई उसका पीछा कर रहा है।

16 दिसंबर की सुबह करीब 4 बजे राहुल ने घर के ग्रिल का ताला तोड़कर अंदर प्रवेश किया। उसने पहले छात्रा के साथ बलात्कार किया और फिर उसे बेहोशी की हालत में तार से गला घोंटकर मार डाला। इसके बाद उसने मोटर में उपयोग होने वाले मोबिल ऑयल को छात्रा के शरीर पर डालकर उसे आग के हवाले कर दिया। इस दौरान उसने छात्रा के कपड़े भी जलाए और घटना को अंजाम देने के बाद वहां से फरार हो गया।

जनता का गुस्सा और सीबीआई जांच

इस हृदयविदारक घटना के बाद रांची में जनता का गुस्सा उबाल पर था। इसे रांची के निर्भया कांड के तौर पर जाना गया। सैकड़ों लोग सड़कों पर उतर आए और न्याय की मांग की। मामला इतना बड़ा हो गया कि इसकी जांच सीबीआई को सौंपी गई। सीबीआई ने लगभग 300 लोगों से पूछताछ की और मोबाइल कॉल डंप की मदद से आरोपी राहुल का पता लगाया।

आरोपी का अपराधी इतिहास

राहुल कुमार, जो बिहार के नालंदा जिले के एकंगरसराय थाना क्षेत्र के घुरगांव का रहने वाला है, एक आदतन अपराधी पाया गया। वह घटना के समय बूटी बस्ती में ही रह रहा था और उस पर पटना और लखनऊ में भी बलात्कार के मामले दर्ज थे। सीबीआई जब उसकी तलाश में उसके गांव पहुंची, तो पता चला कि वह लखनऊ की जेल में बलात्कार के एक अन्य मामले में बंद है। एजेंसी ने राहुल की मां के खून का सैंपल लेकर डीएनए टेस्ट कराया, जो मृतका के शरीर से प्राप्त स्वाब और नाखून के भीतर के अंश से मेल खा गया। इसके बाद राहुल को लखनऊ जेल से प्रोडक्शन वारंट पर रांची लाकर पूछताछ की गई।

ट्रायल कोर्ट की मौत की सजा को हाई कोर्ट ने बरकरार रखा

दिसंबर 2019 में, ट्रायल कोर्ट ने राहुल कुमार उर्फ राहुल राज को मौत की सजा सुनाई थी, जिसे झारखंड हाई कोर्ट ने 9 सितंबर 2024 को बरकरार रखा था। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, "19 वर्षीय इस छात्रा की हत्या इतनी बर्बरता से की गई कि उसकी जान ले ली गई। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में यह साबित हुआ है कि आरोपी ने एक बिजली की तार और केबल का इस्तेमाल कर छात्रा का गला घोंटा और उसके बाद मोबिल ऑयल डालकर शव को जला दिया।"

 

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