राम मंदिर के आर्किटेक्ट चंद्रकांत सोमपुरा को पद्मश्री सम्मान, इजाजत नहीं मिली तो पैर से ही माप ली थी जमीन

चंद्रकांत सोमपुरा ने बताया कि अशोक सिंघल ने उन्हें राम मंदिर का डिजाइन तैयार करने के लिए कहा था। कुंभ मेला भी उस समय चल रहा था, और राम मंदिर का मॉडल वहां प्रदर्शित किया गया था।

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auto_awesome Translate from: Hindi 62 / 5,000 राम मंदिर के वास्तुकार चंद्रकांत सोमपुरा को पद्म श्री पुरस्कार। फोटोः IANS

लखनऊः पद्म पुरस्कार पाने वालों में राम मंदिर को आकार देने वाली शख्सियत का नाम भी शामिल है। मंदिर के प्रमुख आर्किटेक्ट चंद्रकांत सोमपुरा को पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा। सोमपुरा ने कहा कि यह उनके परिवार के लिए गर्व का पल है, क्योंकि 50 साल पहले उनके दादा को भी सोमनाथ मंदिर बनाने के लिए सम्मानित किया गया था।

राम मंदिर की भूमि का पैरों से लिए थे माप

चंद्रकांत ने न्यूज एजेंसी आईएएनएस से खास बातचीत में बताया कि यह उनका सौभाग्य है कि उन्हें राम मंदिर के निर्माण के लिए सम्मानित किया जा रहा है। उन्होंने उस समय को याद किया जब वह राम मंदिर की भूमि का निरीक्षण करने गए थे। उस समय भूमि का नाप लेने की अनुमति नहीं दी गई थी, जिसके बाद उन्होंने अपनी जमीन के नाप को पैरों से माप लिया था।

उन्होंने यह बताया कि उस समय अशोक सिंघल ने उन्हें राम मंदिर का डिजाइन तैयार करने के लिए कहा था। कुंभ मेला भी उस समय चल रहा था, और राम मंदिर का मॉडल वहां प्रदर्शित किया गया था। अब इतने वर्षों बाद उन्हें राम मंदिर के लिए सम्मानित किया जा रहा है और इसके लिए उन्हें गर्व महसूस होता है।

चंद्रकांत के दादा को सोमनाथ मंदिर के लिए मिला था पद्मश्री

वहीं, उन्होंने खुद को पुरस्कृत किए जाने पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि यह सच में मेरे लिए गर्व का पल है। मेरे परिवार में यह दूसरा ऐसा पुरस्कार है। इससे पहले मेरे दादाजी को 1974 में सोमनाथ मंदिर बनाने के लिए पद्मश्री पुरस्कार के रूप में मिला था। अब 50 साल बाद मुझे यह सम्मान मिला है, जो बहुत बड़ी बात है। मैं राम मंदिर के निर्माण से इतने सालों तक जुड़ा रहा और इस काम में मेरा संघर्ष लगभग 40 साल पुराना है। जब मैंने इस काम की शुरुआत की थी, तो राम मंदिर के निर्माण को लेकर कई लोग संकोच कर रहे थे, लेकिन मैंने यह काम करके दिखाया।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में राम मंदिर के निर्माण का काम एक बहुत बड़ी चुनौती थी और मैं भी इसमें शामिल हुआ। जब मैंने शुरू किया, तो मुझे एक अच्छा मार्गदर्शन मिला और इस पूरी यात्रा में मेरे साथ बहुत से लोग जुड़े। मैंने अयोध्या में राम मंदिर के लिए एक नक्शा तैयार किया और लकड़ी का मॉडल बनवाया। यह मॉडल देखकर संत समाज ने निश्चय किया कि मंदिर का निर्माण इसी डिजाइन के आधार पर होगा। उन्होंने कहा कि मैंने मंदिर को बड़ा और सुंदर बनाने की कोशिश की। इसके साथ ही मंदिर के कॉरिडोर का निर्माण भी किया जा रहा है।

(यह खबर आईएएनएस समाचार एजेंसी की फीड द्वारा प्रकाशित है। इसका शीर्षक बोले भारत न्यूज डेस्क द्वारा दिया गया है।)

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