जब सिख विरोधी दंगों पर राजीव गांधी ने कहा था- 'कोई बड़ा पेड़ गिरता है, तो धरती थोड़ी हिलती है'

31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या उनके सिख अंगरक्षकों ने ऑपरेशन ब्लू स्टार के प्रतिशोध में कर दी थी। इसके बाद 1 नवंबर से 4 नवंबर तक पूरे देश में सिखों को निशाना बनाया गया।

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Photograph: (ग्रोक)

नई दिल्लीः 1984 के सिख विरोधी दंगों से जुड़े एक मामले में कांग्रेस के पूर्व सांसद सज्जन कुमार को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। हालांकि पीड़ित परिवार ने फांसी की मांग की थी। यह मामला दिल्ली के सरस्वती विहार क्षेत्र में जसवंत सिंह और उनके बेटे तरुणदीप सिंह की हत्या से जुड़ा था। 

गौरतलब है कि 31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या उनके सिख अंगरक्षकों ने ऑपरेशन ब्लू स्टार के प्रतिशोध में कर दी थी। इसके बाद 1 नवंबर से 4 नवंबर तक पूरे देश में सिखों को निशाना बनाया गया। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, उग्र भीड़ ने 3,350 सिखों की नृशंस हत्या कर दी। 

सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने इस हिंसा को न्यायसंगत ठहराने की कोशिश की। 19 नवंबर 1984 को उन्होंने एक सार्वजनिक सभा में कहा था, "जब भी कोई बड़ा पेड़ गिरता है, तो धरती थोड़ी हिलती है।"

राजीव गांधी ने कहा था, "हमें इंदिरा जी को याद रखना है। हमें यह भी याद रखना है कि उनकी हत्या क्यों हुई। हमें यह भी याद रखना है कि इसके पीछे कौन-कौन हो सकता है। जब इंदिरा जी की हत्या हुई, तो देश में दंगे हुए। हम जानते हैं कि भारत के लोगों के दिल में कितना गुस्सा था और कुछ दिनों के लिए लोगों को लगा कि भारत हिल रहा है। लेकिन जब भी कोई बड़ा पेड़ गिरता है, तो धरती थोड़ी हिलती है।"

2015 में, वरिष्ठ वकील और आम आदमी पार्टी के नेता एचएस फूलका ने इस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए मांग की थी कि राजीव गांधी का भारत रत्न वापस लिया जाए। आरोप लगाया कि सिखों के नरसंहार का आदेश सीधे राजीव गांधी के कार्यालय से आया था।

उन्होंने कहा, "एक प्रधानमंत्री, जिसने नरसंहार को जायज ठहराया और जिसकी पार्टी इस हत्याकांड की जिम्मेदार थी, वह भारत रत्न के लायक नहीं है। हम मांग करते हैं कि राजीव गांधी का भारत रत्न वापस लिया जाए। 1984 में, आज ही के दिन, देश के प्रधानमंत्री ने 3,000 सिखों की हत्या को उचित ठहराया था।"

अरुण जेटली का ब्लॉग: कांग्रेस का दोहरा रवैया

वहीं, 2018 में, जब दिल्ली कोर्ट ने 1984 के दंगों में एक दोषी को मौत की सजा सुनाई, तब तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए एक ब्लॉग लिखा। उन्होंने लिखा कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने उस समय "खून का बदला खून" के नारे लगाए थे, जिसे दूरदर्शन पर लगातार प्रसारित किया गया।

उन्होंने लिखा था- "1984 के जून में स्वर्ण मंदिर में ऑपरेशन ब्लू स्टार का प्रत्यक्ष परिणाम इंदिरा गांधी की हत्या थी। यह भारतीय इतिहास की सबसे दुखद घटनाओं में से एक थी। लेकिन इस पर नियंत्रण पाने में सरकार विफल रही। इसका परिणाम विनाशकारी रहा। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने गुस्से में आकर 'खून का बदला खून' के नारे लगाए।"

उन्होंने आगे कहा- "इस भड़काऊ नारे को दूरदर्शन पर बार-बार दिखाया गया। इसके बाद देश के कई हिस्सों में सिखों के खिलाफ हिंसा भड़क गई। दिल्ली सबसे अधिक प्रभावित हुआ। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने हिंसक भीड़ का नेतृत्व किया। पुलिस ने उनका साथ दिया। उसने गोलीबारी नहीं की, न ही लाठीचार्ज किया और न ही आंसू गैस का इस्तेमाल किया। दंगाइयों को खुली छूट दी गई कि वे हत्या करें और लूटपाट करें। सिखों के धार्मिक स्थलों को तोड़ा गया, उनके घर जलाए गए, उनकी दुकानों को लूटा गया। हजारों निर्दोष लोगों—पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को जिंदा जलाया गया, उनके शरीर को विकृत किया गया। पुलिस ने एफआईआर तक दर्ज नहीं की।"

'पूरे समुदाय को क्यों टारगेट किया गया'

पिछले दिनों जब सज्जन कुमार को अदालत ने दोषी ठहराया तो भाजपा नेता सरवन सिंह चन्नी ने मामले में कोठर सजा की मांग की और आरोप लगाया कि इस घटना के पीछे राजीव गांधी का हाथ था।

उन्होंने आईएएनएस से बातचीत में कहा था कि  "1984 में जब सिख दंगा भड़का तो उस दौरान कई लोगों का नरसंहार किया गया। इतना ही नहीं, महिलाओं और लड़कियों को भी नहीं बख्शा गया। इस घटना के पीछे राजीव गांधी थे। उन्होंने तो यहां तक कहा था कि जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती कांपती है। मैं इतना ही कहूंगा कि जिन्होंने इंदिरा गांधी को मारा, आप उन पर कार्रवाई करो, लेकिन पूरे समुदाय को क्यों टारगेट किया गया। दिल्ली देश की राजधानी है और वहां पुलिस, पैरामिलिट्री के होने के बावजूद खुलेआम गुंडागर्दी की गई। सिख समाज इसे भूलने वाला नहीं है। 1984 नरसंहार के लिए गांधी परिवार और कांग्रेस को कभी माफी नहीं मिलेगी।"

1984 सिख विरोधी दंगों पर नानावटी रिपोर्ट

नानावटी आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, 1984 के सिख विरोधी दंगों के दौरान दिल्ली में 2,733 लोग मारे गए थे। कुल 587 FIR दर्ज की गईं, जिनमें से लगभग 240 को पुलिस ने "अनट्रेस्ड" के रूप में बंद कर दिया, जबकि 250 मामलों में आरोपियों को बरी कर दिया गया। केवल 28 FIR में दोषसिद्धि हुई, जिसमें लगभग 400 लोग दोषी ठहराए गए; इनमें से 50, जिनमें सज्जन कुमार भी शामिल हैं, को हत्या के लिए दोषी ठहराया गया।

सज्जन कुमार, जो उस समय एक प्रभावशाली कांग्रेस नेता और सांसद थे, पर दिल्ली के पालम कॉलोनी में 1 और 2 नवंबर 1984 को पांच व्यक्तियों की हत्या के मामले में भी आरोप लगे थे। इस मामले में उन्हें दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2018 में उम्रकैद की सजा सुनाई थी, जिसके खिलाफ उनकी अपील सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है।

नानावटी समिति के अलावा 1984 के सिख विरोधी दंगों की जाँच के लिए कई और आयोग बनाए गए थे। राजीव गाँधी सरकार ने रंगनाथ मिश्र आयोग का गठन किया था जिसने अपनी रिपोर्ट 1986 में दी थी। इसके बाद जैन-बनर्जी समिति बनाई गई जिसका काम इस बात की जाँच करना था कि ऐसे कौन से मामले थे जिनमें शिकायतकर्ता के सामने नहीं आने के कारण कार्रवाई नहीं हुई। 1984 के सिख विरोधी दंगों में आहूजा समिति की रिपोर्ट के अनुसार 2700 से अधिक लोग मारे गए थे।

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