बेंगलुरु में बारिश का कहर: 12 घंटे में 130 मिमी बारिश, 3 की मौत, 500 घरों में पानी घुसा

लगातार हुई बारिश ने शहर की यातायात व्यवस्था को भी तहस-नहस कर दिया है। इलाकों की दर्जनों सड़कें जलमग्न हो गई हैं, अंडरपास और फ्लाईओवर पानी में डूब गए हैं। कई घंटों तक वाहनों की आवाजाही बाधित रही और बेंगलुरू के कई इलाकों में सार्वजनिक बस सेवाएं ठप हो गईं।

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Photograph: (सोशल मीडिया।)

बेंगलुरु में लगातार बारिश से जनजीवन थम सा गया है। रविवार शाम से सोमवार सुबह तक भीषण बारिश से शहर के कई रास्ते ब्लॉक हो गए हैं। बताया जा रहा है कि यह इस दशक की दूसरी सबसे बड़ी बारिश थी। शहर में तीन लोगों की मौत हो गई, करीब 500 घर जलमग्न हो गए, 20 से अधिक झीलें उफान पर हैं। रिपोर्टों की मानें तो कई पॉश इलाकों की सड़कें नदियों में बदल गईं, अंडरपास और फ्लाईओवर बंद कर दिए गए और बीएमटीसी की बस सेवाएं कई इलाकों में ठप पड़ गईं।

बारिश दक्षिण, उत्तर और पूर्वी बेंगलुरु में सबसे ज्यादा हुई, जो दो निम्न-दाब प्रणालियों के टकराने और तीव्र गरज-चमक के कारण हुई। मौसम विभाग ने अगले पांच दिनों तक भारी बारिश की चेतावनी दी है। बीबीएमपी के मुख्य आयुक्त महेश्वर राव ने इसे एक दशक में दूसरी सबसे बड़ी बारिश बताया और कहा, "कभी-कभी हालात नियंत्रण से बाहर हो जाते हैं, हम इस पर काम कर रहे हैं।"

3 लोगों की मौत

बेंगलुरु के बीटीएम लेआउट सेकेंड स्टेज स्थित डॉलर्स कॉलोनी की मधुवन अपार्टमेंट में पानी निकालते समय 63 वर्षीय मनमोहन कामथ और 12 वर्षीय नेपाली मूल के दिनेश की करंट लगने से मौत हो गई। वहीं, व्हाइटफील्ड में एक कार्यालय की दीवार गिरने से 32 वर्षीय हाउसकीपिंग कर्मचारी शशिकला डी की मौत हो गई। मुख्यमंत्री ने उनके परिजनों को 5 लाख रुपये की सहायता राशि देने की घोषणा की है।

लगभग 50 किमी दूर केंगेरी के कोटे लेआउट में 100 से अधिक घरों में पानी घुस गया, जबकि आरआर नगर के वृषभवती घाटी में बाढ़ से तीन गाय, एक बछड़ा और एक भैंस की मौत हो गई।

लगातार हुई बारिश ने शहर की यातायात व्यवस्था को भी तहस-नहस कर दिया है। इस बारिश में 44 कारें और 93 दोपहिया वाहन भी बह गए हैं जबकि 27 पेड़ उखड़ गए और 43 की शाखाएं टूट गईं। राज्य आपदा मोचन बल (SDRF) नावों के साथ राहत और बचावकार्य में लगा हुआ है।  टेक कंपनियों ने अभी तक ‘वर्क फ्रॉम होम’ घोषित नहीं किया है, लेकिन स्थिति की गंभीरता को देखते हुए विकल्प खुले रखे हैं।

इन इलाकों में सबसे ज्यादा हुई बारिश

केंगेरी (132 मिमी), वडेरहल्ली (131 मिमी), चिक्कबनावरा (127 मिमी), चौदेश्वरी नगर (104 मिमी) और केंपेगौड़ा वार्ड (103.5 मिमी) में सबसे ज्यादा वर्षा दर्ज की गई, जो बेंगलुरु की जल निकासी क्षमता (70 मिमी) से कहीं अधिक थी।

येलहंका के 29 में से 20 झीलें पूरी तरह भर गईं। सेंट्रल सिल्क बोर्ड जंक्शन समेत कोरमंगला, बासवनगुड़ी, माराठाहल्ली और एचएएल एयरपोर्ट क्षेत्र भी जलमग्न हो गए हैं। बताया जा रहा है कि शहर के मध्य में डबल रोड, रिचमंड टाउन और शांतिनगर की सड़कें जलभराव में डूबी रहीं। इलेक्ट्रॉनिक सिटी एलिवेटेड एक्सप्रेसवे और आउटर रिंग रोड का माराठाहल्ली की ओर हिस्सा बंद कर दिया गया।

 बीएमटीसी की बसें भी नहीं निकल पा रही हैं क्योंकि शांतिनगर डिपो पानी में डूब गया था। केंद्रीय अपराध शाखा कार्यालय में भी पानी घुस गया है जिसकी वजह से निचली मंजिल पर रखे दस्तावेज भी क्षतिग्रस्त हो गए।

इसके अलावा महादेवपुरा के कम से कम 10 स्थानों पर भारी जलभराव देखा गया। साई लेआउट पूरी तरह जलमग्न हो गया। राहत कार्य के लिए छह ट्रैक्टर, दो जेसीबी, तीन फायर टेंडर, 35 कर्मचारी और दो एसडीआरएफ की नावें तैनात की गईं। दक्षिण बेंगलुरु के मडिवाला, कोरमंगला VI ब्लॉक और एजीपुरा में भी जलभराव रहा। बेलंदूर में एक अस्थायी बांध को हटाया गया ताकि जल निकासी हो सके।

बीबीएमपी के मुख्य अभियंता प्रह्लाद बीएस ने कहा कि सेंट्रल सिल्क बोर्ड पर जलभराव के लिए बिना समन्वय के बनाई गई वैकल्पिक जल निकासी रेखा जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि बेंगलुरु की मौजूदा जल निकासी प्रणाली 40 मिमी से 70 मिमी वर्षा के हिसाब से बनाई गई थी, जो अब अपर्याप्त है। उन्होंने कहा, "जलवायु परिवर्तन के साथ अब हमें प्रति मिनट मिमी में बारिश मापनी चाहिए। तेजी से हो रहा शहरीकरण और जल निकासी में सुधार न होना इसका मुख्य कारण है।"

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