पिछले कई सालों से जब-जब कर्नाटक के सियासत की चर्चा होती रही है…गाहे-बगाहे टीपू सुल्तान का जिक्र भी आता रहा है। हालांकि अब ऐसा लगता है कि टीपू सुल्तान की चर्चा ने पड़ोसी केरल राज्य में भी प्रभाव दिखाना शुरू कर दिया है। अहम बात ये है कि ये चर्चा उस सीट पर हो रही है, जहां से राहुल गांधी अभी सांसद हैं और 2024 के चुनाव के लिए भी वे यहीं से ताल ठोक रहे हैं। जी हां…बात केरल के वायनाड सीट की हो रही है।
दरअसल, केरल भाजपा प्रमुख के. सुरेंद्रन ने यह कहकर नई बहस छेड़ दी है कि अगर वह वायनाड सीट जीत जाते हैं तो केरल के वायनाड जिले के एक शहर ‘सुल्तान बाथरी’ का नाम बदलना उनकी प्राथमिकता होगी। सुरेंद्रन ने कहा है कि सुल्तान बाथरी का नाम बदलकर ‘गणपति वट्टम’ कर दिया जाएगा।
सुरेंद्रन वायनाड से भाजपा के उम्मीदवार हैं। इस सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय है। दरअसल, इस सीट पर कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी तो भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) की एनी राजा मैदान में हैं। सुरेंद्रन ने गुरुवार को एक चुनावी रैली के दौरान टीपू सुल्तान का जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘टीपू सुल्तान कौन है? जब वायनाड और यहां के लोगों की बात आती है, तो उसका महत्व क्या है? उस स्थान को गणपति वट्टम के नाम से जाना जाता था। लोग जानते हैं और इस नाम से परिचित हैं। इसका नाम बदला गया है।’
उन्होंने कहा कि कि अगर वे वायनाड से जीत हासिल करते हैं तो उनकी प्राथमिकता सुल्तान बाथरी का नाम बदलकर गणपति वट्टम करना होगा। बता दें कि सुल्तान बाथरी शहर का नाम 18वीं सदी के मैसूर शासक टीपू सुल्तान से जोड़ा जाता रहा है जिसने 1789 में मालाबार (उत्तरी केरल) पर विजय हासिल की थी।
वायनाड के सुल्तान बाथरी का क्या है इतिहास?
सुल्तान बाथरी का इतिहास बेहद समृद्ध और जटिल भी है। इस शहर ने हमलावरों का शासन भी देखा और फिर अंग्रेजों के शासन से भी गुजरा। केरल पर्यटन की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार केरल का सबसे स्वच्छ शहर माना जाने वाला सुल्तान बाथरी कभी मालाबार (उत्तरी केरल) पर मैसूर शासन के दौरान हथियारों और गोला-बारूद का डंपिंग ग्राउंड था।
भाजपा के सुंदरन ने दावा किया कि शहर में तोपखाने, हथियार, बारूद आदि की डंपिंग उस स्थान पर की गई थी जहां कभी जैन मंदिर था। सुल्तान बाथरी की नगरपालिका वेबसाइट के अनुसार शहर को मूल रूप से गणपति वट्टम के नाम से जाना जाता था। यह नाम उस गणपति मंदिर के नाम पर रखा गया था जो कभी वहां था।
हालाँकि, 1700 के दशक के उत्तरार्ध में मालाबार क्षेत्र पर टीपू सुल्तान ने आक्रमण किया। यह शहर टीपू सुल्तान के मालाबार क्षेत्र जाने के रास्ते में था। ब्रिटिश औपनिवेशिक रिकॉर्ड के अनुसार टीपू की सेना ने तब गणपति वट्टम शहर को अपने हथियारों और गोला-बारूद आदि को जमा करने के लिए इस्तेमाल किया।
हथियार आदि रखने की इस जगह को बाथरी कहा जाता था। इस तरह शहर को ‘सुल्तान की बाथरी’ कहा जाने लगा। धीरे-धीरे यही नाम सुल्तान बाथरी के तौर पर प्रसिद्ध होता चला गया। टीपू सुल्तान ने यहां एक किला भी बनवाया, जो अब खंडहर हो चुका है।
जैन धर्म के लिए भी है सुल्तान बाथरी का खास महत्व
यह शहर जैन समुदाय के लिए भी महत्वपूर्ण है। कहा जाता है कि 13वीं शताब्दी का एक जैन मंदिर विजयनगर राजवंश के शासनकाल के दौरान यहां बनाया गया था। यह मंदिर अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के तहत एक संरक्षित स्मारक है।
मैसूर और अरब सागर के बंदरगाहों के बीच मार्ग पर स्थित गणपति वट्टम शहर को भी एक व्यापारिक केंद्र के तौर पर इतिहास में प्रसिद्धि मिली। शहर का नाम सुल्तान बाथरी के तौर पर मुख्य रूप से अग्रेजी शासन के दौरान प्रचलित होना शुरू हुआ। अंग्रेजों ने अपने दस्तावेजों में भी इसी नाम का जिक्र किया।
बहरहाल, नाम बदलने के सुरेंद्रन के बयान पर हंगामा शुरू हो गया है। वाम दलों और कांग्रेस ने इसकी आलोचना की है।
इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के महासचिव पीके कुन्हालीकुट्टी ने भी कहा, ‘यह केरल है। आप जानते हैं, है ना? ऐसा नहीं होगा। वह वैसे भी नहीं जीतेंगे और वह नाम भी नहीं बदलेंगे।”