नई दिल्लीः कांग्रेस नेता राहुल गांधी और चुनाव आयोग के बीच महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 को लेकर नया टकराव सामने आया है। राहुल गांधी ने शनिवार को एक लेख और सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में "मैच-फिक्सिंग" हुई थी। उन्होंने मांग की कि चुनाव आयोग हालिया चुनावों की डिजिटल वोटर लिस्ट और 5 बजे के बाद के मतदान केंद्रों की CCTV फुटेज सार्वजनिक करे।

राहुल गांधी ने अपने लेख में दावा किया कि भाजपा के पक्ष में परिणाम सुनिश्चित करने के लिए फर्जी मतदाताओं को मतदाता सूची में जोड़ा गया, मतदान का प्रतिशत कृत्रिम रूप से बढ़ाया गया और चयन समिति में छेड़छाड़ कर मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति प्रक्रिया को प्रभावित किया गया।

इस लेख के जवाब में चुनाव आयोग ने उसी दिन एक आधिकारिक प्रतिक्रिया जारी की, जिसमें उन्होंने राहुल गांधी के आरोपों को “पूरी तरह निराधार और हास्यास्पद” करार दिया। आयोग ने कहा कि मतदान प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता के साथ हुई थी और कांग्रेस या उसके किसी अधिकृत एजेंट ने मतदान के दौरान या उसके तुरंत बाद कोई गंभीर आपत्ति नहीं जताई।

चुनाव आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि वोटर लिस्ट में नाम जोड़ने को लेकर सिर्फ 89 आपीलें जिला मजिस्ट्रेटों के पास और मात्र एक अपील राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के पास दर्ज की गई थी। इससे यह स्पष्ट होता है कि किसी पार्टी ने उस समय मतदाता सूची को लेकर कोई संगठित आपत्ति नहीं जताई थी।

आयोग ने आगे कहा कि कांग्रेस पार्टी ने राज्यभर के बूथों पर 27,099 पोलिंग एजेंट तैनात किए थे और उन सभी की मौजूदगी में मतदान हुआ। आयोग ने राहुल गांधी द्वारा उठाए गए पुराने आरोपों का जिक्र करते हुए कहा, "24 दिसंबर 2024 को कांग्रेस पार्टी को दिए गए विस्तृत जवाब में यह सभी तथ्य सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हैं, फिर भी इन्हें बार-बार नजरअंदाज किया जा रहा है।"

चुनाव आयोग ने राहुल गांधी को जवाब देते हुए कहा है, 'मैच हारने के बाद रेफरी को दोष देना अब एक नई और बेतुकी आदत बन चुकी है। चुनाव आयोग ने इसके साथ ही कहा कि इस तरह की भाषा लोकतंत्र के लिए जहर जैसी है। चुनाव आयोग को बदनाम करना, केवल एक संस्थान पर नहीं बल्कि देश के लोकतांत्रिक ढांचे पर हमला है।  

इस पूरे घटनाक्रम पर अपनी प्रतिक्रिया में राहुल गांधी ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, “चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है। गंभीर सवालों का जवाब देने का तरीका यह नहीं है कि आप बिना हस्ताक्षर वाले अस्पष्ट नोट्स जारी करें।

राहुल गांधी ने चुनाव आयोग से सीसीटीवी फुटेज और डिजिटल वोटर लिस्ट को सार्वजनिक करने की मांग की है। उन्होंने पोस्ट में आगे कहा कि अगर छिपाने के लिए कुछ नहीं है, तो आप मेरे लेख में उठाए गए सवालों का जवाब दें और सभी राज्यों की हालिया लोकसभा और विधानसभा चुनावों की समेकित, डिजिटल वोटर लिस्ट प्रकाशित करें, साथ ही महाराष्ट्र के मतदान केंद्रों की शाम 5 बजे के बाद की CCTV फुटेज भी सार्वजनिक करें। टालमटोल से आपकी साख नहीं बचेगी। सच बोलने से बचेगी।”

राहुल गांधी ने यह भी चेतावनी दी कि बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान भी ऐसी ही स्थिति दोहराई जा सकती है। उन्होंने चुनाव आयोग से पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग करते हुए कहा, “सच बताइए, तभी आपकी विश्वसनीयता बचेगी।”

इस पर चुनाव आयोग के एक वरिष्ठ सूत्र ने पलटवार करते हुए कहा, “यह अत्यंत अजीब है कि राहुल गांधी ने सीधे आयोग को पत्र नहीं लिखा और मीडिया के जरिए जवाब मांग रहे हैं। उन्हें स्वयं आयोग से संपर्क करने में संकोच नहीं करना चाहिए।”

चुनाव आयोग ने अपनी प्रतिक्रिया में यह भी कहा कि भारत में चुनाव प्रक्रिया न केवल कानून सम्मत है, बल्कि इसकी निष्पक्षता और तकनीकी उत्कृष्टता को वैश्विक स्तर पर सराहा गया है। आयोग ने चेतावनी दी कि बार-बार आधारहीन आरोप लगाना न केवल कानून का अपमान है, बल्कि निर्वाचन प्रक्रिया में जुटे लाखों कर्मचारियों के मनोबल को भी प्रभावित करता है।

यह पूरा विवाद उस समय और तेज हुआ जब राहुल गांधी ने यह आरोप लगाया कि महाराष्ट्र में 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों के बीच पांच महीनों में 70 लाख नए मतदाता जोड़े गए। चुनाव आयोग ने इस पर जवाब देते हुए कहा कि यह संख्या वास्तव में 40.81 लाख थी, जो सामान्य प्रक्रिया के तहत जोड़े गए मतदाताओं की संख्या है।

गौरतलब है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस, एनसीपी (शरद पवार गुट) और शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) की गठबंधन को करारी हार का सामना करना पड़ा था। तीनों मिलकर सिर्फ 46 सीटें जीत सके, जबकि भाजपा और उसके सहयोगियों ने 230 सीटों पर विजय हासिल की।