चंडीगढ़ः संयुक्त किसान मोर्चा के 'चंडीगढ़ चलो' आंदोलन के बीच देर रात पुलिस ने कथित तौर पर कई किसानों को हिरासत में लिया है। संयुक्त किसान मोर्चा यानी एसकेएम में 37 किसान संगठन शामिल हैं।

गौरतलब है कि बीते सोमवार को एसकेएम के किसानों और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के बीच बैठक हुई थी। हालांकि, बैठक में किसी तरह की सहमति नहीं बन पाई। 

सीएम के साथ हुई बैठक के बाद शुरू हुई छापेमारी

किसान संगठन और मुख्यमंत्री के बीच हुई बैठक में कुछ घंटों बाद ही पुलिस ने छापेमारी की जिसमें कई किसान नेताओं की गिरफ्तारी हुई है। 

क्रांतिकारी किसान संघ के राज्य महासचिव गुरमीत सिंह मेहमा ने एक वीडियो में आरोप लगाया कि पुलिस मेरे घर सुबह तीन बजे के करीब आई और मुझे गिरफ्तार कर लिया। उन्होंने कहा कि सोमवार शाम को एसकेएम के नेताओं और मुख्यमंत्री के बीच बैठक हुई थी लेकिन सीएम बैठक से बाहर चले गए जिसके कुछ देर बाद पुलिस ने नेताओं के घर पर छापेमारी शुरू कर दी। 

गुरमीत सिंह मेहमा के अलावा क्रांतिकारी किसान संघ के अन्य नेताओं को भी हिरासत में लिया गया है। इन नेताओं में जंगवीर सिंह चौहान, मंजीत राज और सुरजीत सिंह शामिल हैं। इन लोगों को इनके घर टांडा, बरनाला और मोगा से हिरासत में लिया गया है। 

किसान यूनियन के नेताओं की गिरफ्तारी

पुलिस भारतीय किसान यूनियन उगराहां के अध्यक्ष जोगिंदर सिंह उगराहां के कथित तौर पर पहुंची लेकिन उन्हें पकड़ नहीं पाई।

वहीं, भारतीय किसान यूनियन राजेवाल के महासचिव महेश चंद्र शर्मा और भारतीय किसान यूनियन लाखोवाल के अध्यक्ष हरिंदर सिंह लाखोवाल की गिरफ्तारी भी हुई है।

लाखोवाल ने एक वीडियो जारी कर कहा कि पुलिस एसकेएम के नेताओं के यहां रेड कर रही है। उन्होंने कहा "सोमवार शाम को सीएम के साथ हुई बैठक में वह अचानक बाहर चले गए। " 

उन्होंने कहा केंद्र और राज्य से संबंधित हमारी कोई भी मांग नहीं मानी गई है। हमारी मांगों पर विचार करने के बजाय हमारी गिरफ्तारी की जा रही है। किसान नेताओं की गिरफ्तारी के बाद शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने इसकी निंदा की है और एक्स पर पोस्ट किया है। उन्होंने कहा कि "मैं किसान नेताओं के घर पर छापेमारी के लिए अहंकारी मुख्यमंत्री की कड़ी निंदा करता हूं।"

ज्ञात हो कि एसकेएम के नेताओं ने मंगलवार को एक आपातकालीन बैठक की घोषणा की थी जिसमें 'चंडीगढ़ चलो' मार्च को लेकर चर्चा होनी थी। किसानों की 18 सूत्री मांगें हैं जिनमें से अधिकतर राज्य से संबंधित हैं। हालांकि किसानों को अभी तक चंडीगढ़ में विरोध प्रदर्शन के लिए जगह आवंटित नहीं की गई है। किसानों ने बीते साल सितंबर में आखिरी बार चंडीगढ़ में धरना दिया था।