ISI के लिए जासूसी करने वाला सेना का जवान अमृतसर से गिरफ्तार, शुरुआती जांच में क्या पता चला?

पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के लिए जासूसी करने वाले दो लोगों को पंजाब पुलिस ने अमृतसर से गिरफ्तार किया है। सेना के जवान के पास से दो मोबाइल फोन बरामद हुए हैं।

man arrestd for allegedly spying for isi

ISI के लिए जासूसी करने वाला सेना का जवान अमृतसर से गिरफ्तार Photograph: (IANS)

अमृतसरः पंजाब के अमृतसर जिले की स्थानीय पुलिस ने सेना के जवान को पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया है। जवान के साथ उसके साथी को भी गिरफ्तार किया गया है। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस के साथ इनके संबंध होने के आरोप में ये गिरफ्तारी की गई है। 

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों के ऊपर हुए आतंकी हमले के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव के बीच ये गिरफ्तारियां हुई हैं। इस दौरान भारतीय खुफिया एजेंसियों और सुरक्षा एजेंसियों ने संदिग्धों को पकड़ने के लिए अपना अभियान तेज किया है। इसी सिलसिले में पंजाब पुलिस ने भी संवेदनशील जानकारी साझा करने वालों के खिलाफ अभियान तेज किया है जिसमें सफलता मिली है। 

गुरप्रीत सिंह जम्मू में है तैनात

पंजाब पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान गुरप्रीत सिंह उर्फ गोपी फौजी के नाम से हुई है। वहीं, उसका साथी साहिल मसीह उर्फ शाली है। इस बाबत अमृतसर (ग्रामीण) क्षेत्र के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मनिंदर सिंह ने कहा कि गुरप्रीत सिंह भारतीय सेना में साल 2016 से कार्यरत है और गिरफ्तारी के वक्त जम्मू में तैनाती है।

इंडिया टुडे की खबर के मुताबिक, शुरुआती जांच में पता चला है कि वह आईएसआई (ISI) के अधिकारियों के सीधे संपर्क में था और भारतीय सेना से जुड़ी संवेदनशील जानकारी पाकिस्तान के साथ साझा करता था। इसके लिए वह यूएसबी ड्राइव्स का इस्तेमाल करता था। यूएसबी ड्राइव्स का इस्तेमाल डेटा स्टोर करने और विभिन्न उपकरणों के बीच फाइल्स को ट्रांसफर करने के लिए किया जाता है। 

पुलिस ने क्या बताया?

एसएसपी (SSP) मनिंदर सिंह ने पुष्टि की कि गुरप्रीत ने आईएसआई हैंडलर राणा जावेद के साथ सीधा संपर्क स्थापित किया था। राणा जावेद की पहचान पाकिस्तान की तरफ से मुख्य कोऑर्डिनेटर के रूप में हुई है। पुलिस ने आरोपी के पास से दो मोबाइल फोन बरामद किए हैं जिनका इस्तेमाल वह आईएसआई के अधिकारियों के साथ संपर्क करने में करता था। मोबाइल फोन की फोरेंसिक जांच और डिजिटल विश्लेषण से पता चला है कि इन मोबाइलों का इस्तेमाल कथित तौर पर जासूसी के काम में किया जाता था। 

जांच एजेंसियां इस मामले की पूरी जांच कर रही है और पूरे जासूसी गिरोह की भी जांच कर रही हैं कि कहीं पकड़े गए संदिग्धों का संपर्क अन्य राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय आंतकी समूहों से तो नहीं है। अधिकारी इस बात की भी जांच कर रहे हैं कि पहलगाम जैसे आतंकी हमलों या भारत और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव के बीच इन लोगों द्वारा कोई संवेदनशील जानकारी तो साझा नहीं की गई। 

इंडिया टुडे ने पुलिस सूत्रों के हवाले से लिखा है कि गुरप्रीत के पास पहलगाम हमले की पहले से जानकारी हो सकती है। पुलिस इस बात की भी जांच कर रही है कि उसने हमलावरों को क्या जानकारी दी?

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