चंडीगढ़ः पंजाब विधानसभा ने शुक्रवार को भाखड़ा-नांगल बांध पर सीआईएसएफ (CISF) की तैनाती के खिलाफ सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर लिया है। प्रस्ताव में कहा गया कि राज्य की पुलिस बीते 70 सालों से इन प्रतिष्ठानों की रक्षा कर रही है।
विधानसभा में पास हुए प्रस्ताव में कहा गया है कि यदि भाखड़ा बीस मैनेजमेंट बोर्ड (BBMB) सीआईएसएफ कर्मियों की तैनाती करता है तो पंजाब सरकार किसी भी तरह का वित्तीय बोझ वहन नहीं करेगी।
विशेष सत्र के दौरान पेश हुआ प्रस्ताव
पंजाब विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान यह प्रस्ताव पेश किया गया। कैबिनेट बरिदर गोयल ने इसे पेश किया। प्रस्ताव के मुताबिक, पंजाब विधानसभा ने सीआईएसएफ कर्मियों की तैनाती को लेकर पुनः विचार किया है। इससे पहले इनकी तैनाती के विरुद्ध बीबीएमबी को 27 मई और 4 जुलाई को कड़ी आपत्ति दर्ज की थी।
इसी साल मई में केंद्र सरकार ने भाखड़ा-नांगल बांध को आतंकवाद-विरोधी सुरक्षा कवर देने के लिए 296 सीआईएसएफ कर्मियों की टुकड़ी तैनात करने की मंजूरी दी थी। हालांकि, इस दौरान बांध से पानी बंटवारे को लेकर पंजाब और हरियाणा के बीच गतिरोध जारी था।
केंद्र सरकार द्वारा यह फैसला ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत-पाकिस्तान के बीच जारी तनाव को देखते हुए यह फैसला लिया गया था। हालांकि, पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार ने केंद्र सरकार के इस फैसले का विरोध किया था।
सीएम भगवंत मान ने क्या कहा?
सीएम भगवंत मान ने शुक्रवार को इस प्रस्ताव पर बोलते हुए कहा कि पंजाब पुलिस राज्य में बांधों की रक्षा करने में सक्षम है। प्रस्ताव में कहा गया "ऐसा समझा जाता है कि बीबीएमबी पंजाब सरकार की कड़ी आपत्तियों के बावजूद सीआईएसएफ की तैनाती पर विचार कर रहा है। 4 जुलाई को हुई बीबीएमबी की पिछली बैठक में भी पंजाब ने अपनी आपत्तियां दर्ज कराईं।"
इसमें यह भी कहा गया है कि सीआईएसएफ की तैनाती से पंजाब और अन्य राज्यों पर गैर जरूरी वित्तीय बोझ आएगा। पंजाब बीबीएमबी का बड़ा योगदानकर्ता है, ऐसे में राज्य को अतिरिक्त खर्च भी सहना पड़ेगा।
इसमें कहा गया कि बीबीएमबी के हालिया फैसले से राज्य पर करीब 50 करोड़ रुपये का सालाना बोझ बनेगा। इससे पहले आप सरकार ने कांग्रेस के फैसले पर भी निशाना साधा था जब 2021 में सीआईएसएफ की तैनाती को सहमति दी थी।