65 साल में भारत में हिंदू 7.82% घटे, मुस्लिम 43.15% बढ़े, EAC-PM की रिपोर्ट की 10 बड़ी बातें

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Amid growing economy, India leads among 29 countries in terms of consumers.

बढ़ती अर्थव्यवस्था के बीच उपभोक्ताओं के मामले में भारत 29 देशों में सबसे आगे (फोटो- IANS)

लोकसभा चुनाव और तमाम तरह की बयानबाजियों के बीच अब देश में जनसंख्या पर प्रधानमंत्री के इकॉनोमिक एडवाइजर काउंसिल (EAC-PM) की रिपोर्ट आयी है। इसमें 1950 से 2015 के बीच धार्मिक जनसांख्यिकी में बदलाव का विश्लेषण किया गया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में साल 1950 से 2015 के बीच 65 सालों में हिंदुओं की आबादी 7.82 प्रतिशत कम हो गई है। जबकि, मुस्लिमों की आबादी में 43.15 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

ये बताया गया है कि ईएसी-पीएम की रिपोर्ट के लिए 167 देशों की आबादी की धार्मिक संरचना को लेकर डेटा का अध्ययन किया गया। यह अध्ययन Religious Characteristics of States Dataset-2017 के डेटा पर आधारित है ताकि विभिन्न देशों में धार्मिक संरचना को ट्रैक किया जा सके। अध्ययन में केवल उन देशों को लिया गया है, जहां 1950 में कुल आबादी का 50 प्रतिशत से अधिक हिस्सा बहुसंख्यक धर्म का था। अब आइए समझते हैं कि ईएसी-पीएम की रिपोर्ट में क्या बड़ी बातें कही गई हैं।

1. ईएसी-पीएम की रिपोर्ट के अनुसार भारत में हिंदुओं की आबादी में 7.82 प्रतिशत की गिरावट आई है जबकि मुस्लिम आबादी का हिस्सा 9.84 प्रतिशत से बढ़कर 14.09 प्रतिशत हो गया है। इस तरह मुस्लिम आबादी में 43.15 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। रिपोर्ट कहती है कि भारत में 1950 में हिंदुओं की आबादी 84% थी जो अब घटकर 78 प्रतिशत हो गई है।

2. रिपोर्ट के अनुसार भारत में ईसाई आबादी का हिस्सा 2.24 प्रतिशत से बढ़कर 2.36 प्रतिशत हो गया है। सिख आबादी का हिस्सा 1.24 प्रतिशत से बढ़कर 1.85 प्रतिशत और बौद्ध आबादी का हिस्सा 0.05 प्रतिशत से बढ़कर 0.81 प्रतिशत हो गया है। जैन और पारसी समुदाय की आबादी में गिरावट देखी गई है। जैन आबादी की हिस्सेदारी 0.45 प्रतिशत से घटकर 0.36 प्रतिशत हो गई है। वहीं, पारसी आबादी की हिस्सेदारी 0.03 प्रतिशत से 0.0004 प्रतिशत रह गई है।

3. रिपोर्ट में भारत में अल्पसंख्यकों के खिलाफ 'अत्याचार' पर न्यूज रिपोर्टों को 'शोर' करार दिया गया है और इसके विपरीत कहा गया है कि यहां 'अल्पसंख्यकों को न केवल संरक्षित किया गया बल्कि भारत में यह फला-फूला भी है।

4. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत के उलट इसके आसपास और दक्षिण एशिया में मुस्लिम बहुल देशों में बहुसंख्यक आबादी की संख्या बढ़ी है और इन देशों में अल्पसंख्यक कम हुए हैं। इनमें मालदीव एक अपवाद है जहां बहुसंख्यक शफीई सुन्नी की आबादी में 1.47% की कमी दर्ज की गई है।

5. भारत के पड़ोसी मुस्लिम देशों की बात करें तो बांग्लादेश में बहुसंख्यक समुदाय मुसलमानों (हनफी मुस्लिम) की आबादी सबसे ज्यादा 18.5% तक बढ़ी है। इसकी आबादी यहां 1950 के 74 प्रतिशत से बढ़कर अब 88 प्रतिशत तक हो गई है। इसके बाद पाकिस्तान का स्थान आता है जहां बहुसंख्यक मुस्लिम आबादी 3.75% बढ़ी है। अफगानिस्तान में 0.29% मुस्लिम आबादी बढ़ी है। साल 1971 में बांग्लादेश के बनने के बाद यहां कुल मुस्लिम आबादी में 10% की वृद्धि हुई है।

6. गैर-मुस्लिम बहुसंख्यक देशों की बात करें तो म्यांमार, भारत और नेपाल इन सभी में उनके बहुसंख्यक धार्मिक समूहों के अनुपात में कमी देखी गई है। म्यांमार में बहुसंख्यक थेरवाद बौद्ध आबादी (Theravada Buddhist) में 9.84 प्रतिशत की सबसे बड़ी गिरावट देखी गई। यह आबादी वहां 79 प्रतिशत से घटकर 71 प्रतिशत हो गई है।

7. नेपाल में 3.61 प्रतिशत बहुसंख्यक हिंदू आबादी घटी है और ये 84 प्रतिशत से घटकर 81 प्रतिशत हो गई है। बांग्लादेश में हिंदू आबादी में बड़ी कमी देखी गई है। यहां हिंदुओं की आबादी में 66 प्रतिशत की गिरावट हुई है। 1950 में जहां इस इलाके में 23 प्रतिशत हिंदू थे, अब ये संख्या घटकर 2015 तक 8 प्रतिशत हो गई है।

8. इन सबके बीच भारत के पड़ोसी देश भूटान और श्रीलंका जहां बहुसंख्यक आबादी बौद्ध है, वहां इनकी आबादी बढ़ी है। भूटान में बहुसंख्यक आबादी में 17.6 प्रतिशत और श्रीलंका में 5.25% की वृद्धि देखी गई है।

9. इसके अतिरिक्त 35 उच्च आय वाले आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) के देशों में बहुसंख्यक समुदाय की आबादी में 29% की औसत गिरावट देखी गई है। इनमें 25 यूरोपीय देश शामिल हैं।

10. रिपोर्ट के अनुसार 167 देशों में बहुसंख्यक समुदाय की हिस्सेदारी में 1950 से 2015 के बीच औसतन 22% की कमी हुई है। स्टडी के अनुसार सबसे बड़े जनसांख्यिकीय बदलाव वाले आधे से अधिक देश अफ्रीका में स्थित हैं, जहां बहुसंख्यक से दूसरे धर्मों में बदल जाना बहुत आम रहा।

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