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नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार कुवैत की दो दिवसीय यात्रा पर हैं। यह यात्रा ऐतिहासिक है क्योंकि 43 वर्षों में यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली कुवैत यात्रा है। कुवैत की आखिरी प्रधानमंत्री स्तरीय यात्रा 1981 में इंदिरा गांधी ने की थी, जबकि 2009 में भारत के तत्कालीन उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कुवैत का दौरा किया था। यह दौरा भारत और कुवैत के बीच रणनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण अवसर माना जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुवैत यात्रा को लेकर दिखाई उत्सुकता
कुवैत यात्रा को लेकर पीएम मोदी ने अपनी उत्सुकता का इजहार भी किया। कुवैत रवाना होने से पहले अपने एक्स पोस्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लिखा, मैं कुवैत के अमीर, शेख मशाल अल-अहमद अल-जाबेर अल-सबा, कुवैत के क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री से मिलने के लिए उत्सुक हूं। यह हमारे लोगों और क्षेत्र के लाभ के लिए भविष्यवादी साझेदारी का रोडमैप तैयार करने का एक अवसर होगा।
पीएम ने लिखा, 'हम कुवैत के साथ अपने ऐतिहासिक संबंधों को बहुत महत्व देते हैं, जो पीढ़ियों से पोषित होते आए हैं। हम केवल मजबूत व्यापार और ऊर्जा साझीदार नहीं हैं, बल्कि पश्चिम एशिया क्षेत्र में शांति, सुरक्षा, स्थिरता और समृद्धि में भी साझा हित रखते हैं। मैं कुवैत नेतृत्व का आभार व्यक्त करता हूँ, जिन्होंने मुझे अरब खाड़ी कप के उद्घाटन समारोह में आमंत्रित किया है, जो खाड़ी क्षेत्र में एक प्रमुख खेल आयोजन है। मैं इस खेल की उत्कृष्टता और क्षेत्रीय एकता के इस उत्सव का हिस्सा बनने के लिए उत्सुक हूं। मुझे विश्वास है कि यह यात्रा भारत और कुवैत के लोगों के बीच विशेष संबंधों और मित्रता के बंधनों को और मजबूत करेगी।'
Today and tomorrow, I will be visiting Kuwait. This visit will deepen India’s historical linkages with Kuwait. I look forward to meeting His Highness the Amir, the Crown Prince and the Prime Minister of Kuwait.
This evening, I will be interacting with the Indian community and…
— Narendra Modi (@narendramodi) December 21, 2024
पीएम नरेंद्र मोदी की कुवैय यात्रा का एजेंडा और कार्यक्रम
प्रधानमंत्री मोदी 21 से 22 दिसंबर तक कुवैत में रहेंगे। यह यात्रा कुवैत के अमीर, शेख मशाल अल-अहमद अल-जाबेर अल-सबा के निमंत्रण पर हो रही है। इस दौरान, प्रधानमंत्री मोदी कुवैत के शीर्ष नेतृत्व के साथ विभिन्न विषयों पर चर्चा करेंगे। इन चर्चाओं में व्यापार, ऊर्जा, निवेश, संस्कृति और सुरक्षा सहयोग जैसे क्षेत्रों में साझेदारी को और मजबूत करने की संभावना है।
कुवैत भारत का छठा सबसे बड़ा कच्चे तेल का आपूर्तिकर्ता है, और इस यात्रा में ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग को बढ़ाने पर ध्यान दिया जाएगा। इसके अलावा, कुवैत के साथ भारत के व्यापारिक संबंधों को और सुदृढ़ करना भी इस यात्रा का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है। विदेश मंत्रालय के अनुसार, इस यात्रा से भारत और कुवैत के रिश्तों में एक नया अध्याय खुलने की उम्मीद है।
प्रधानमंत्री मोदी के कुवैत दौरे के दौरान कई महत्वपूर्ण कार्यक्रम होंगे। वे कुवैत में भारत के सबसे बड़े प्रवासी समुदाय से मिलेंगे। कुवैत में भारतीय श्रमिकों की संख्या लगभग एक मिलियन है। प्रधानमंत्री ‘हला मोदी’ कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे, जिसमें भारत और कुवैत के बीच संबंधों और भारतीय समुदाय के योगदान को सेलिब्रेट किया जाएगा। इसके अलावा वे प्रतिष्ठित गल्फ कप फुटबॉल टूर्नामेंट के उद्घाटन समारोह में भी शामिल होंगे।
भारत-कुवैत के बीच व्यापारिक और राजनयिक संबंध
भारत और कुवैत के बीच पारंपरिक रूप से गहरे और दोस्ताना संबंध हैं। 1961 में भारत ने कुवैत के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किए थे। कुवैत, भारत का एक प्रमुख व्यापारिक साझेदार है और कच्चे तेल का छठा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता भी है। भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं का लगभग 3% कुवैत से आता है।
2023-24 में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 10.47 अरब डॉलर तक पहुँच चुका है, जिसमें भारतीय निर्यात में 34 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। कुवैत का सॉवरेन वेल्थ फंड, कुवैत इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी, ने भारत में 10 अरब डॉलर से अधिक का निवेश किया है। इसके अलावा, कुवैत में लगभग 10 लाख भारतीय प्रवासी रहते हैं, जो वहां की कुल जनसंख्या का 21% और कुल कार्यबल का 30% हैं।
पीएम मोदी की कुवैत यात्रा का महत्व
प्रधानमंत्री मोदी की कुवैत यात्रा का महत्व इस तथ्य से और बढ़ जाता है कि यह यात्रा गाजा में चल रहे इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष और सीरिया में हालिया भू-राजनीतिक बदलावों के बीच हो रही है। कुवैत इस समय खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) की अध्यक्षता कर रहा है, और यह क्षेत्रीय संकटों के प्रति प्रतिक्रिया निर्धारित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। भारत और कुवैत इस क्षेत्र में चल रहे संघर्ष पर भी चर्चा कर सकते हैं, और दोनों देशों के बीच आपसी सहयोग से इस चुनौतीपूर्ण समय में स्थिरता बनाए रखने में मदद मिल सकती है।
रिपोर्टों की मानें तो भारत और कुवैत के बीच संबंधों को देखते हुए यह यात्रा दोनों देशों के लिए लाभकारी साबित हो सकती है। 2022-23 में भारत और खाड़ी सहयोग परिषद के देशों के बीच व्यापार 184.46 अरब डॉलर तक पहुँच चुका था, जो इस क्षेत्र की भारत के लिए बढ़ती रणनीतिक और आर्थिक महत्वता को दर्शाता है।
वरिष्ठ पत्रकार सी राजा मोहन के अनुसार, दोनों देशों के बीच कूटनीतिक लिहाज से भी यह यात्रा खास मानी जा रही है। उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस में लिखा, "प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा भारत की पश्चिम एशिया नीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और यह क्षेत्र में भारत के कूटनीतिक प्रयासों को और मजबूत करेगी।"