नई दिल्ली: भारत के राष्ट्रपति ने संविधान के अनुच्छेद 80(1)(a) और उपबंध (3) के तहत अपने विशेषाधिकार का प्रयोग करते हुए चार प्रतिष्ठित व्यक्तियों को राज्यसभा के लिए नामित किया है। ये नियुक्तियाँ पूर्व में नामित सदस्यों के सेवानिवृत्त होने के कारण रिक्त हुई सीटों को भरने के लिए की गई हैं।

गृह मंत्रालय की तरफ से यह अधिसूचना शनिवार को जारी की गई थी। नामित लोगों में प्रमुख सार्वजनिक अभियोजक उज्ज्वल निकम, पूर्व विदेश सचिव और वरिष्ठ राजनयिक हर्षवर्धन शृंगला, प्रसिद्ध इतिहासकार और शिक्षाविद् डॉ. मीनाक्षी जैन और केरल के समाजसेवी और शिक्षा क्षेत्र में लंबे समय से कार्यरत सी. सदानंदन मास्टे शामिल हैं। 

1. उज्ज्वल देओराव निकम

Ujjwal Nikam

देश के सबसे चर्चित और सफल विशेष लोक अभियोजकों में शामिल उज्ज्वल निकम ने 26/11 मुंबई आतंकी हमले, गुलशन कुमार हत्या, प्रमोद महाजन मर्डर केस, 1993 मुंबई बम धमाके और मुंबई गैंगरेप जैसे अनेक जटिल मामलों में सरकार की ओर से केस लड़े।

निकम ने अजमल कसाब को फांसी की सजा दिलाने में निर्णायक भूमिका निभाई थी। उनकी कानूनी सेवाओं के लिए उन्हें 2016 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया और उन्हें लंबे समय से Z+ सुरक्षा भी मिली हुई है।

2024 में उन्होंने भाजपा के टिकट पर मुंबई उत्तर मध्य सीट से लोकसभा चुनाव भी लड़ा था, हालांकि वे चुनाव हार गए थे। निकम की जीवनी पर आधारित एक फिल्म “आदेश – पावर ऑफ लॉ” भी बनाई जा चुकी है।

2. सी सदानंदन मास्टे

C Sadanandan Maste

केरल के वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता और शिक्षाविद, मास्टे ने शिक्षा और सामाजिक सुधारों के क्षेत्र में जमीनी स्तर पर दशकों से सेवा दी है। वे ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूलों और महिला शिक्षा को लेकर सक्रिय रहे हैं और समाज के वंचित वर्गों को सशक्त बनाने के लिए काम करते आए हैं।

3. हर्षवर्धन शृंगला

Harsh Vardhan Shringla 1
1984 बैच के IFS अधिकारी रहे हर्षवर्धन शृंगला का 35 वर्षों का राजनयिक अनुभव उन्हें देश का एक अत्यंत योग्य कूटनीतिज्ञ बनाता है। वे अमेरिका में भारत के राजदूत, बांग्लादेश में उच्चायुक्त और थाईलैंड में राजदूत रह चुके हैं।

उन्होंने संयुक्त राष्ट्र (न्यूयॉर्क), फ्रांस (यूनेस्को), इजराइल, वियतनाम और दक्षिण अफ्रीका (डरबन) जैसे स्थानों पर भी भारत का प्रतिनिधित्व किया। वे 2020 में भारत के 33वें विदेश सचिव बने। विदेश सेवा में शामिल होने से पहले उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफंस कॉलेज से स्नातक किया और कॉर्पोरेट और सार्वजनिक क्षेत्र में भी कार्य किया।

4. डॉ. मीनाक्षी जैन

Dr Meenakshi Jain
जानी-मानी इतिहासकार और शिक्षाविद्, डॉ. मीनाक्षी जैन भारतीय सभ्यता, संस्कृति और इतिहास पर गहन शोध के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने विशेष रूप से मंदिर तोड़ने, धार्मिक असहिष्णुता, और भारतीय समाज की परंपराओं को अकादमिक रूप से प्रस्तुत करने का काम किया है। उनकी कई पुस्तकों को चर्चित समीक्षाएं मिली हैं।

पीएम मोदी ने चारों नामांकित सदस्यों को दी बधाई

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर श्रृंखलाबद्ध पोस्ट किए, जिनमें सभी नामांकित सदस्यों के बारे में बताते हुए बधाई और शुभकामनाएं दी हैं।

प्रधानमंत्री ने उज्ज्वल निकम की प्रशंसा की कि कानून के क्षेत्र और संविधान के प्रति उनकी निष्ठा अनुकरणीय है। उन्होंने लिखा, "वह न केवल एक सफल वकील रहे हैं, बल्कि महत्वपूर्ण मामलों में न्याय दिलाने की प्रक्रिया में अग्रणी भूमिका भी निभाते रहे हैं। अपने पूरे विधिक करियर के दौरान उन्होंने हमेशा संवैधानिक मूल्यों को मजबूत करने और आम नागरिकों को गरिमा के साथ न्याय दिलाने का कार्य किया है। यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि राष्ट्रपति ने उन्हें राज्यसभा के लिए नामित किया है। उनके संसदीय कार्यकाल के लिए मेरी हार्दिक शुभकामनाएं।"

इसी तरह पीएम मोदी ने हर्षवर्धन श्रृंगला के भारत की विदेश नीति में महत्वपूर्ण योगदान का उल्लेख किया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा, "हर्षवर्धन श्रृंगला ने एक राजनयिक, बुद्धिजीवी और रणनीतिक विचारक के रूप में बेहद शानदार काम किया है। उन्होंने भारत की विदेश नीति को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। साथ ही भारत की जी20 अध्यक्षता में भी उनका विशेष योगदान रहा है। मुझे खुशी है कि उन्हें राष्ट्रपति ने राज्यसभा के लिए मनोनीत किया है। उनका अद्वितीय दृष्टिकोण निश्चित रूप से संसद की कार्यवाही को समृद्ध करेगा।"

मीनाक्षी जैन का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "उन्होंने एक विद्वान, शोधकर्ता और इतिहासकार के रूप में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। शिक्षा, साहित्य, इतिहास और राजनीति विज्ञान के क्षेत्र में उनके कार्यों ने अकादमिक विमर्श को महत्वपूर्ण रूप से समृद्ध किया है। उनके संसदीय कार्यकाल के लिए शुभकामनाएं।"

प्रधानमंत्री ने सी. सदानंदन मास्टर को अन्याय के आगे न झुकने की भावना का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा, "हिंसा और भय का माहौल भी उनके (सी. सदानंदन मास्टर) राष्ट्र निर्माण के संकल्प को डिगा नहीं सका। एक शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में उनके प्रयास सराहनीय हैं। युवाओं के सशक्तिकरण को लेकर उनकी प्रतिबद्धता उल्लेखनीय है। उन्हें राष्ट्रपति की ओर से राज्यसभा के लिए नामित किए जाने पर हार्दिक बधाई और उनके संसदीय कार्यकाल के लिए शुभकामनाएं।"

संविधानिक प्रावधान

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 80(1)(a) राष्ट्रपति को यह अधिकार देता है कि वे ऐसे व्यक्तियों को राज्यसभा में नामित कर सकते हैं, जिन्होंने साहित्य, विज्ञान, कला या सामाजिक सेवा जैसे क्षेत्रों में विशेष ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव अर्जित किया हो।

पूर्व सदस्यों के सेवानिवृत्त होने से जो रिक्तियाँ उत्पन्न हुई थीं, उन्हें भरने के लिए किए गए ये मनोनयन सुनिश्चित करते हैं कि राज्यसभा में विविध क्षेत्रों के विशेषज्ञों की उपस्थिति बनी रहे, जिससे संसद को नीति निर्माण में विविध दृष्टिकोण और गहन अनुभवों का लाभ मिलता रहे।