नई दिल्ली: भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई (बीआर गवई) को देश का अगला मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया है। वे 14 मई 2025 से कार्यभार संभालेंगे और देश के 52वें मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) होंगे। वर्तमान मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना 13 मई को सेवानिवृत्त हो रहे हैं।

इस महत्वपूर्ण घोषणा की जानकारी केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने सोशल मीडिया मंच X (पूर्व में ट्विटर) पर साझा की। उन्होंने लिखा, “भारतीय संविधान द्वारा प्रदत्त शक्तियों के तहत, राष्ट्रपति ने श्री न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश, को 14 मई 2025 से भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया है।”

अनुसूचित जाति समुदाय से दूसरे CJI होंगे गवई

न्यायमूर्ति गवई इस सर्वोच्च पद पर पहुंचने वाले अनुसूचित जाति समुदाय से दूसरे व्यक्ति होंगे। उनसे पहले न्यायमूर्ति के. जी. बालकृष्णन ने 2007 से 2010 तक CJI के रूप में कार्य किया था। गवई का कार्यकाल लगभग छह महीने का होगा क्योंकि वे 23 नवंबर 2025 को 65 वर्ष की आयु पूरी कर सेवानिवृत्त हो जाएंगे।

न्यायमूर्ति गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ। उन्होंने 1985 में वकालत शुरू की और 1987 से बॉम्बे हाईकोर्ट में स्वतंत्र प्रैक्टिस शुरू की। उनका मुख्य फोकस संवैधानिक और प्रशासनिक कानून रहा।

वे नागपुर नगर निगम, अमरावती नगर निगम और अमरावती विश्वविद्यालय के स्थायी अधिवक्ता रहे। अगस्त 1992 से जुलाई 1993 तक वे बॉम्बे हाईकोर्ट, नागपुर बेंच में सहायक सरकारी वकील और अतिरिक्त लोक अभियोजक रहे। 2000 में उन्हें नागपुर बेंच का सरकारी वकील और लोक अभियोजक नियुक्त किया गया।

14 नवंबर 2003 को उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट का अतिरिक्त न्यायाधीश और 12 नवंबर 2005 को स्थायी न्यायाधीश बनाया गया। 24 मई 2019 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया गया।

300 से अधिक फैसले, 700 बेंचों का हिस्सा

अपने न्यायिक कार्यकाल में उन्होंने लगभग 300 निर्णय दिए हैं, जिनमें संविधान पीठ के महत्वपूर्ण फैसले भी शामिल हैं। वे 700 से अधिक पीठों का हिस्सा रहे हैं और संवैधानिक, नागरिक, आपराधिक, वाणिज्यिक, पर्यावरण और शिक्षा से जुड़े मामलों की सुनवाई कर चुके हैं।

न्यायमूर्ति गवई ने मंगोलिया (उलानबाटोर), अमेरिका (न्यूयॉर्क), ब्रिटेन (कार्डिफ) और केन्या (नैरोबी) में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में भाग लिया है। वे कोलंबिया यूनिवर्सिटी और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी सहित कई प्रतिष्ठित संस्थानों में संवैधानिक और पर्यावरणीय विषयों पर व्याख्यान दे चुके हैं।