महाकुंभनगरः प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में 29 जनवरी को शाही स्नान के समय भगदड़ मच गई है। इस भगदड़ में उत्तर प्रदेश सरकार ने 30 लोगों की मौत की पुष्टि की है। दरअसल, 29 जनवरी को मौनी अमावस्या थी।
मौनी अमावस्या के स्नान के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु उमड़े थे। इसी दौरान हादसा हो गया। इसके बाद शाही स्नान को कुछ समय के रोक दिया गया था। हालांकि, बाद में इसे छोटे स्तर पर संपन्न कराया गया।
स्थानीय लोगों के मुताबिक, संगम तट के अलावा झूंसी इलाके में भी भगदड़ हुई थी। कुंभ में हुई यह भगदड़ कोई पहली बार नहीं हुई है। इससे पहले भी कुंभ के दौरान भगदड़ हो चुकी है।
1820 के कुंभ में हुआ था हादसा
इस साल हरिद्वार में कुंभ मेला लगा था। तब व्यवस्था अंग्रेज सरकार के अधीन थी। दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, कुंभ में हुई भगदड़ से करीब 450 से अधिक श्रद्धालु मारे गए थे। वहीं एक हजार से ज्यादा लोग घायल हुए थे।
1840 में प्रयाग कुंभ में हुआ हादसा
इसी तरह साल 1840 में इलाहाबाद के प्रयाग में कुंभ का आयोजन हुआ था। इस दौरान हुई भगदड़ में करीब 50 लोग मारे गए। वहीं साल 1906 के प्रयाग कुंभ में भी भगदड़ की वजह से 50 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई।
साल 1954 प्रयागराज में मची भगदड़
साल 1954 का कुंभ आजाद भारत का पहला कुंभ था। दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, उस साल 3 फरवरी को मौनी अमावस्या थी और संगम तट पर लाखों श्रद्धालु स्नान करने पहुंचे थे। इसी बीच बारिश हो गई जिसके चलते कीचड़ और फिसलन बढ़ गई। इसकी वजह से लोगों को आवाजाही में परेशानी हो रही थी। इसी समय ऐसी खबर आई कि मेले में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पहुंच रहे हैं। प्रधानमंत्री नेहरू को देखने के लिए भारी संख्या में लोग जुटने लगे थे। वहीं, भीड़ को देख नागा साधुओं को लगा कि भीड़ उनकी ओर आ रही है। ऐसे में ये साधु तलवार और त्रिशूल लेकर लोगों पर झपट पड़े। इस वजह से भगदड़ मच गई। इस भगदड़ में करीब एक हजार लोग मारे गए।
1986 हरिद्वार में हुआ हादसा
1986 में हरिद्वार में कुंभ का आयोजन हुआ था। इस दौरान मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह भी स्नान करने पहुंचे थे। उनकी सुरक्षा के लिए तीर्थयात्रियों का रास्ता रोका गया था। वीर बहादुर सिंह के जाने के बाद जब रास्ता खोला गया तो भीड़ बेकाबू हो गई और भगदड़ मच गई। इस वजह से 50 लोग मारे गए।
2003 में नासिक में मची भगदड़
साल 2003 में महाराष्ट्र के नासिक में कुंभ का आयोजन हुआ था। इस दौरान भारी संख्या में श्रद्धालु उमड़े थे। इसी दौरान भीड़ के बीच में एक साधु ने चांदी के कुछ सिक्के उछाल दिए। लोगों की भीड़ सिक्कों को लपकने लगी। इसी के चलते भारी भगदड़ मच गई। इस भगदड़ में करीब 39 लोग मारे गए और 140 से अधिक लोग घायल हो गए।
फरवरी 2013 में भी हुआ हादसा
2013 में इलाहाबाद (वर्तमान में प्रयागराज) में कुंभ का आयोजन हुआ था। 10 फरवरी को मौनी अमावस्या का स्नान था। स्नान के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु जुटे थे। शाम के समय रेलवे स्टेशन पर भारी संख्या में भीड़ थी। भारी भीड़ के चलते रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर छह की तरफ जाने वाले फुट ओवरब्रिज पर भगदड़ मच गई। भगदड़ के चलते लोग ओवरब्रिज से नीचे गिरने लगे। इस भगदड़ में 36 लोग मारे गए थे और 100 से अधिक लोग घायल हुए थे।
प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन 13 जनवरी से हो रहा है और यह आयोजन 26 फरवरी तक चलेगा। सरकार का अनुमान है कि इस महाकुंभ में 45 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है। 29 जनवरी को हुई घटना के बाद प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया है और वीवीआईपी पास रद्द कर दिए हैं।
इसके साथ ही मेला क्षेत्र को फ्री व्हीकल जोन बनाया गया है। इसके अलावा 4 फरवरी तक प्रयागराज से सटे जिलों से किसी भी चार पहिया वाहन का प्रवेश रोक दिया गया है। हादसे की जांच के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा तीन सदस्यीय न्यायिक समिति का भी गठन किया गया है।