वैशालीः जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने 'बिहार बदलाव यात्रा' के तहत शनिवार को वैशाली और समस्तीपुर जिलों का दौरा किया। इस दौरान वैशाली में उन्होंने जन सुराज की अब तक की यात्रा, सरकार की नीतियों और राजनीतिक विरोधियों पर अपने विचार रखे। प्रशांत किशोर ने कहा कि 2 अक्टूबर 2024 को जन सुराज अभियान ने राजनीतिक पार्टी का रूप ले लिया और आज महज कुछ महीनों में यह राज्य का सबसे बड़ा संगठन बन चुका है।
उन्होंने दावा किया कि जन सुराज का गठन एक करोड़ लोगों की भागीदारी से हुआ है और प्रतिमाह तीन से चार लाख लोग 10 रुपए सदस्यता शुल्क देकर इससे जुड़ रहे हैं। 20 मई 2025 को जेपी की जन्मभूमि सिताब दियारा से 'बिहार बदलाव यात्रा' की शुरुआत हुई, जिसका उद्देश्य है संपूर्ण व्यवस्था परिवर्तन और जनता को इस अभियान से जोड़ना।
प्रशांत किशोर ने नीतीश सरकार द्वारा वृद्धा पेंशन में हुई बढ़ोतरी पर प्रतिक्रिया देते हुए इसे जन सुराज की राजनीतिक ताकत का परिणाम बताया। उन्होंने कहा कि सरकार ने दबाव में आकर पेंशन को 400 से बढ़ाकर 1,100 रुपए किया है। अगर नवंबर के बाद जन सुराज की सरकार बनती है, तो इसे 2,000 रुपए किया जाएगा।
'जनसुराज के प्रयासों का नतीजा'
उन्होंने आरोप लगाया कि महंगाई के इस दौर में सरकार ने बुजुर्गों के साथ अन्याय किया और जन सुराज के निरंतर प्रयासों के बाद यह निर्णय लेना पड़ा।
प्रशांत किशोर ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल पर भी जोरदार हमला किया। उन्होंने कहा कि जायसवाल पहले यह जांच कराएं कि वे जिस कॉलेज में क्लर्क थे, उसके मालिक कैसे बन गए। उन्होंने मांग की कि जायसवाल बताएं कि उनके कॉलेज से कितने नेताओं के बच्चों ने मेडिकल की पढ़ाई की है। जायसवाल ने जन सुराज और उन पर झूठे आरोप लगाए, जबकि उन्हें सोशल मीडिया के बेसिक फर्क की भी समझ नहीं है।
परिवारवाद की राजनीति पर तीखा प्रहार करते हुए प्रशांत किशोर ने राष्ट्रीय नेताओं को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि लालू यादव को यादव समाज की चिंता नहीं, सिर्फ तेजस्वी की चिंता है। चिराग पासवान और जीतन राम मांझी भी अपने समाज की नहीं, अपने परिवार की राजनीति कर रहे हैं। उन्होंने दोनों नेताओं को चुनौती दी कि वह अपने परिवार से बाहर, अपने समाज के किसी योग्य व्यक्ति को पार्टी का नेता बनाकर दिखाएं।
उन्होंने कहा कि जन सुराज एक वैकल्पिक राजनीति की शुरुआत है, जिसमें जनता की भागीदारी से नीतियां और नेतृत्व तय किए जाएंगे। अब बिहार की जनता राजनीतिक बंधुआ मजदूरी नहीं करेगी, और अगर पुरानी पार्टियां काम नहीं करेंगी तो जनता उन्हें उखाड़ फेंकेगी।
जीतनराम मांझी ने पेंशन राशि ज्यादा बढ़ाने की मांग की
केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी ने नीतीश कुमार से पेंशन राशि में और ज्यादा वृद्धि की मांग की है। समाचार एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए जीतनराम मांझी ने कहा, "मुझे इसके बारे में आपके माध्यम से जानकारी मिल रही है। लेकिन, हम नीतीश कुमार से कहना चाहेंगे कि पड़ोसी राज्य झारखंड में 2,000 रुपए पेंशन दी जाती है। बिहार सरकार ने जो 1,100 रुपए देने की घोषणा की है, वो इस महंगाई के जमाने में कुछ भी नहीं है। मुख्यमंत्री अपने फैसले पर पुनर्विचार करें और 1,100 की जगह 1,600 रुपए प्रति महीने देने की घोषणा करें। इससे सामाजिक सुरक्षा पेंशन लाभार्थियों को आर्थिक बल मिलेगा।"
सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना राशि में बढ़ोतरी की जानकारी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दी। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के तहत विधवा महिलाओं, वृद्धजनों और दिव्यांगजनों को अब हर महीने 400 रुपए की जगह 1,100 रुपए पेंशन मिलेगा। सभी लाभार्थियों को जुलाई महीने से पेंशन बढ़ी हुई दर पर मिलेगी। सभी लाभार्थियों के खाते में यह राशि महीने की 10 तारीख को भेजना सुनिश्चित किया जाएगा। इससे 1 करोड़ 9 लाख 69 हजार 255 लाभार्थियों को काफी मदद मिलेगी।"
बिहार में विधवा, वृद्ध और दिव्यांगों को सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के तहत 400 रुपए प्रतिमाह दिया जाता था। अब तक 60 से 79 साल की उम्र के बुजुर्गों को 400 रुपए और 80 साल या उससे अधिक उम्र के बुजुर्गों को 500 रुपए प्रतिमाह पेंशन मिलती थी। यह राशि सीधे उनके बैंक खाते में भेजी जाती है। इस योजना का लाभ लेने के लिए आवेदक को बिहार का स्थायी निवासी होना जरूरी है और उसे किसी अन्य स्रोत से पेंशन नहीं मिलनी चाहिए। बढ़ी हुई पेंशन राशि के प्रस्ताव को राज्य वित्त मंत्रालय की मंजूरी मिल चुकी है।