पोलाची यौन उत्पीड़न मामला क्या है? Photograph: (आईएएनएस)
चेन्नईः कोयंबटूर की महिला अदालत में पोलाची यौन उत्पीड़न मामले में सभी नौ आरोपियों को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। अदालत ने इन सभी नौ लोगों को आपराधिक साजिश, बलात्कार, सामूहिक बलात्कार और जबरन वसूली समेत कई मामलों में दोषी पाया।
यह मामला साल 2019 का है जब आम चुनाव होने वाले थे। इस घटना के कारण तमिलनाडु की तत्कालीन सत्तारूढ़ पार्टी अन्नाद्रमुक पर निष्क्रियता और आरोपियों से संबंधों के आरोप लगाकर राजनीतिक रूप से घेराव किया गया था।
अदालत ने क्या कहा?
इस मामले में सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति आर नंदिनी देवी ने मंगलवार दोपहर को दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुनाया।
जिन लोगों को सजा सुनाई गई उनके नाम के थिरुनावुक्कारसु, एन सबरीराजन उर्फ रिश्वंथ, एम सतीश, टी वसंतकुमार, आर मानीवानन, हारोनिमस पॉल, पी बाबू उर्फ बाइक बाबू, के अरुलानंधम और एम अरुण कुमार हैं। इन सभी को कार्यवाही के लिए भारी सुरक्षा के बीच सलेम सेंट्रल जेल से अदालत में लाया गया था।
सभी को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 डी और 376 (2) (एन) सहित कई कड़े प्रावधानों के तहत आरोप लगाए गए हैं। ये धाराएं सामूहिक बलात्कार और एक ही महिला से बार-बार बलात्कार को संदर्भित करती हैं। इन धाराओं के तहत न्यूनतम 20 वर्ष का कारावास है जो कि आजीवन बढ़ाया जा सकता है।
सीबीआई ने क्या मांग की?
इस मामले में सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक वी.सुरेंद्र मोहन के नेतृत्व में अभियोजन पक्ष ने कठोरतम सजा की मांग करते हुए कहा कि अपराध "गंभीर और सुनियोजित तरीके से अंजाम दिए गए थे।"
मामले की सुनवाई के वक्त आठ पीड़ितों ने बयान दिए। पीड़ितों के दिए गए बयान का 48 गवाहों ने समर्थन किया। मामले की जांच में कुछ खतरनाक पैटर्न सामने आए थे जिनमें जबरन यौन हिंसा और ब्लैकमेलिंग शामिल है। शुरुआती पुलिस जांच को तुरंत सीबी-सीआईडी को सौंप दिया गया और बाद में जनता के आक्रोश के बाद सीबीआई को सौंप दिया गया।