नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज (22 अप्रैल) से सऊदी अरब की दो दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर रवाना हो रहे हैं। यह दौरा सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन सलमान के निमंत्रण पर हो रहा है।
पीएम मोदी का यह दौरा उस समय भी हो रहा है जब पश्चिम एशिया में राजनीतिक अस्थिरता जैसे हालात हैं। 

विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने पिछले हफ्ते एक विशेष प्रेस वार्ता के दौरान  कहा कि यह यात्रा महत्वपूर्ण क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करेगी। इनमें पश्चिम एशिया की स्थिति, इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष और हूती हमलों की वजह से समुद्री सुरक्षा के लिए पैदा हुए खतरे शामिल हैं।

पीएम मोदी का सऊदी अरब दौरा

यह प्रधानमंत्री मोदी की खाड़ी देश की तीसरी यात्रा होगी। वे 22 और 23 अप्रैल को सऊदी अरब में होंगे। इससे पहले वे 2016 और 2019 में यहां के दौरे पर जा चुके हैं। 

यह यात्रा सितंबर 2023 में नई दिल्ली में हुए जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की भारत यात्रा और भारत-सऊदी रणनीतिक साझेदारी परिषद की पहली बैठक के बाद हो रही है। अपनी यात्रा से पहले अरब न्यूज को दिए विशेष साक्षात्कार में प्रधानमंत्री मोदी ने सऊदी अरब को एक सकारात्मक और स्थिरता लाने वाली ताकत बताया है।

सऊदी अरब के दौरे से क्या कुछ निकल कर आ सकता है?

जानकार मानते हैं कि पीएम मोदी का ताजा दौरा भारत और सऊदी अरब के बीच गहराते रणनीतिक संबंधों को दर्शाता है। खासकर ऊर्जा सहयोग, व्यापार, निवेश और क्षेत्रीय सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग बढ़ने की उम्मीद है। विक्रम मिस्त्री ने कहा कि ग्रीन हाइड्रोजन सहित कई समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है।

'द प्रिंट' की रिपोर्ट के अनुसार पीएम मोदी इस दौरान सलमान के साथ रणनीतिक साझेदारी परिषद (Strategic Partnership Council) की सह-अध्यक्षता करेंगे। साल 2019 में स्थापित एसपीसी राजनीतिक, सुरक्षा, सामाजिक और सांस्कृतिक सहयोग सहित अर्थव्यवस्था और निवेश के लिए काम करती है। ऐसे में जाहिर है यह बैठक संभवतः इन क्षेत्रों में प्रगति को ध्यान में रखेगी और द्विपक्षीय सहयोग के लिए नए लक्ष्य निर्धारित करेगी।

रक्षा सहयोग भी इस दौरे के एजेंडे में शीर्ष पर है। मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार सऊदी अरब के विजन 2030 और भारत की ‘मेक इन इंडिया’ पहल को ध्यान में रखते हुए दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग नई ऊंचाइयों पर पहुंच गया है।

दोनों देशों ने जनवरी 2024 में राजस्थान में 'सदा तनसीक' और 'अल मोहद अल हिंदी' नौसैना अभ्यास सहित कई संयुक्त सैन्य अभ्यास किए हैं। भारत ने फरवरी 2024 में सऊदी अरब के साथ अपना पहला रक्षा अनुबंध भी किया।
सऊदी अरब ने भारत से 155 मिमी एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (एटीएजीएस) सहित अन्य रक्षा उपकरण खरीदे हैं।

भारतीय कैदियों के ट्रांसफर और जीसीसी पर भी बात

इस दौरे में सऊदी अरब से भारतीय कैदियों का स्थानांतरण का एजेंडा भी शीर्ष पर है। विदेशों में मौजूद सभी भारतीय कैदियों में से 25 प्रतिशत से अधिक सऊदी अरब में हैं। दोनों देशों के बीच कैदियों के स्थानांतरण पर समझौते पूर्व में हुए हैं हालांकि अभी तक किसी भी कैदी को भारत स्थानांतरित नहीं किया गया है, लेकिन इस विषय पर बातचीत जारी है। 

इसके अलावा पीएम मोदी और सलमान भारत और खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) के बीच मुक्त व्यापार समझौते पर भी बातचीत करेंगे। जीसीसी में सऊदी अरब, कुवैत, बहरीन, ओमान, यूएई और कतर शामिल हैं। सऊदी अरब और भारत उर्जा सेक्टर को लेकर भी चर्चा करेंगे।

IMEC और हज पर भी चर्चा

पीएम मोदी और सलमान संभवतः भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (आईएमईसी) पर भी चर्चा करेंगे। आईएमईसी में भारत, सऊदी अरब, यूएई, जॉर्डन, इजरायल और यूरोपीय संघ शामिल हैं। इस गलियारे का उद्देश्य व्यापार और संपर्क बढ़ाना है।

पीएम मोदी इस दौरे पर सलमान के साथ इस परियोजना, इसके संचालन और संभावित लाभों पर चर्चा कर सकते हैं। इसके अलावा हज सीजन से पहले भारत, पाकिस्तान और मिस्र सहित 14 देशों के नागरिकों के लिए नए अल्पकालिक वीजा को निलंबित करने के सऊदी अरब के फैसले पर भी चर्चा हो सकती है।