तिरुवनंतपुरमः प्रधानमंत्री नरेंद्र ने शुक्रवार केरल में 8,900 करोड़ रुपये की लागत से बने भारत के पहले डीप-सी ऑटोमेटेड मल्टीपर्पज सीपोर्ट 'विझिंजम' बंदरगाह का उद्घाटन किया। विझिंजम पोर्ट लगभग 20 मीटर प्राकृतिक गहराई वाले ड्राफ्ट और व्यस्त अंतरराष्ट्रीय समुद्री मार्गों के समीप स्थित है, जिससे यह वैश्विक समुद्री व्यापार में भारत की भूमिका को निर्णायक रूप से मजबूत करता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि गुलामी से पहले, भारत ने हजारों वर्षों तक समृद्धि देखी है। एक समय, वैश्विक जीडीपी में भारत के प्रमुख शहर थे। उस समय, जो चीज हमें अन्य देशों से अलग करती थी, वह थी हमारी समुद्री क्षमता और हमारे बंदरगाह शहरों की आर्थिक गतिविधियां और इसमें केरल का बहुत बड़ा योगदान था।"
अदानी समूह के चेयरमैन गौतम अदानी ने पीएम मोदी और केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन का आभार जताते हुए कहा कि विझिनजाम इंटरनेशनल पोर्ट भारत की वैश्विक व्यापारिक आकांक्षाओं का सशक्त प्रतीक है। उन्होंने इसे दूरदर्शिता, ताकत और साझेदारी की जीत बताया और कहा कि यह पोर्ट निकट भविष्य में एक प्रमुख वैश्विक ट्रांसशिपमेंट हब के रूप में उभरेगा।
गौतम अदानी ने सोशल मीडिया पर लिखा, “आज विझिंजम में इतिहास, नियति और संभावनाएं एक साथ आईं। केरल का तीन दशक पुराना सपना साकार हुआ और यह अब दुनिया के लिए भारत का प्रवेशद्वार बन गया है।”
इस अवसर पर केरल के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर, मुख्यमंत्री पिनराई विजयन, केंद्रीय पोत परिवहन मंत्री सर्बानंद सोनोवाल, केंद्रीय राज्य मंत्री सुरेश गोपी और तिरुवनंतपुरम के सांसद शशि थरूर सहित कई लोग मौजूद रहे।
/bole-bharat/media/media_files/2025/05/02/iZjd9JyMRRn5lHOaP55R.png)
क्यों खास है विझिंजम बंदरगाह?, 10 बड़ी बातें
1. भारत का पहला ट्रांसशिपमेंट पोर्ट: विझिंजम अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह भारत का पहला समर्पित कंटेनर ट्रांसशिपमेंट पोर्ट है, जो बहु-उद्देशीय और ब्रेक-बल्क कार्गो को भी संभालने में सक्षम है। यह देश में किसी राज्य सरकार द्वारा बंदरगाह में किया गया सबसे बड़ा निवेश है, जिसमें दो-तिहाई लागत केरल सरकार ने वहन की है।
2. वैश्विक शिपिंग रूट के बेहद करीब: यह बंदरगाह यूरोप, फारस की खाड़ी और सुदूर पूर्व को जोड़ने वाले अंतरराष्ट्रीय समुद्री मार्ग से मात्र 10 नॉटिकल मील दूर है। इसका यह स्थान इसे वैश्विक ट्रांसशिपमेंट हब बनने की स्वाभाविक बढ़त देता है।
3. विदेशी मुद्रा की बचत: अब तक भारत के 75% ट्रांसशिपमेंट कंटेनर श्रीलंका के कोलंबो पोर्ट के माध्यम से जाते थे। विझिंजम से यह ट्रैफिक भारत वापस लौटेगा, जिससे भारी मात्रा में विदेशी मुद्रा की बचत होगी।
4. ट्रायल से लेकर वाणिज्यिक परिचालन तक: 13 जुलाई 2024 को ट्रायल ऑपरेशन शुरू हुए और 3 दिसंबर 2024 से पूर्ण वाणिज्यिक संचालन शुरू हो गया। केवल ट्रायल चरण में ही 272 बड़े जहाज और 5.5 लाख कंटेनर लोड किए गए।
5. अत्याधुनिक तकनीक: यह भारत का पहला अर्ध-स्वचालित पोर्ट है, जिसमें एआई-आधारित जहाज प्रबंधन प्रणाली आईआईटी मद्रास के साथ मिलकर विकसित की गई है। साथ ही इसमें पूरी तरह स्वचालित यार्ड क्रेनों और रिमोट-ऑपरेटेड शिप-टू-शोर क्रेनों का उपयोग होता है।
6. बड़े जहाजों को टर्मिनल पर उतारने की क्षमता: 2025 की शुरुआत में विझिंजम बंदरगाह ने हर महीने 1 लाख टीईयू से अधिक कंटेनर संभाले और एमएससी टर्की जैसे विशाल जहाज को टर्मिनल पर उतारा। इसके साथ ही यह एमएससी की जेड सेवा का हिस्सा बन गया, जो यूरोप और एशिया को जोड़ती है।
7. 2028 तक दूसरा चरण होगा पूरा: 2028 तक इसके दूसरे चरण का निर्माण पूरा होगा, जिससे बंदरगाह की वार्षिक क्षमता 30 लाख टीईयू तक पहुंच जाएगी। 10,000 करोड़ रुपये की यह लागत पूरी तरह अदानी पोर्ट्स वहन करेगा।
8. मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी: पोर्ट को सीधे एनएच-66 से जोड़ा गया है, और केरल की पहली क्लोवरलीफ इंटरचेंज से लैस है। साथ ही एक नया रेलवे लिंक भी जल्द शुरू होने जा रहा है, जिससे यह राष्ट्रीय परिवहन नेटवर्क से जुड़ेगा।
9. सार्वजनिक-निजी साझेदारी का मॉडल: यह परियोजना 2015 में अदानी विजिंजम पोर्ट प्राइवेट लिमिटेड (AVPPL) और केरल सरकार के बीच हुए रियायत समझौते के तहत अदानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन (APSEZ) को सौंपी गई थी।
10. 2034 से सरकार को राजस्व हिस्सेदारी: सभी चार चरणों के निर्माण के बाद, 2034 से बंदरगाह के संपूर्ण संचालन से उत्पन्न राजस्व में अदानी समूह केरल सरकार को हिस्सेदारी देगा। इससे करीब 5,000 प्रत्यक्ष नौकरियों के सृजन की संभावना है और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बड़ा प्रोत्साहन मिलेगा।