पोर्ट लुइस: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार से दो दिवसीय राजकीय यात्रा पर मॉरीशस में हैं। साल 2015 के बाद से बतौर पीएम ये उनकी दूसरी मॉरीशस दूसरी यात्रा है। वे 12 मार्च को मॉरीशस के नेशनल डे समारोह में मुख्य अतिथि होंगे।

पश्चिमी हिंद महासागर में स्थित द्वीप राष्ट्र मॉरीशस भारत के लिए एक महत्वपूर्ण पड़ोसी है। रणनीतिक रूप से भी भारत के लिए मॉरीशस अहम है। भारत के इस द्वीप राष्ट्र के साथ विशेष संबंधों का एक अहम कारण ये भी है कि मॉरीशस की 1.2 मिलियन (12 लाख) की आबादी में लगभग 70% भारतीय मूल के लोग हैं।

फ्रांस और फिर ब्रिटेन की रही कॉलोनी

मॉरीशस पहले फ्रांस की कॉलोनी था, बाद में इस पर ब्रिटेन ने कब्जा जमाया। लगभग एक सदी लंबे फ्रांसीसी शासन (1700 के दशक में) के तहत भारतीयों को कारीगरों और राजमिस्त्री के रूप में काम करने के लिए सबसे पहले पुडुचेरी क्षेत्र से मॉरीशस लाया गया था। ब्रिटिश शासन के तहत 1834 और 1900 के दशक की शुरुआत के बीच लगभग पांच लाख भारतीय श्रमिक मॉरीशस लाए गए। इन्हीं में से लगभग दो-तिहाई श्रमिक मॉरीशस में बस गए।

यहां तक ​​कि मॉरीशस के नेशनल डे राष्ट्रीय दिवस का भी एक दिलचस्प भारतीय संबंध है। महात्मा गांधी 1901 में दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटते समय मॉरीशस में कुछ समय के लिए रुके थे। इस दौरान उन्होंने भारतीय कामगारों के लिए तीन संदेश दिए। ये थे- शिक्षा का महत्व, राजनीतिक सशक्तिकरण और भारत से जुड़े रहना। इस तरह महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि के रूप में मॉरीशस का नेशनल डे हर साल 12 मार्च को मनाया जाता है। यह तारीख महात्मा की दांडी यात्रा की शुरुआत की भी तारीख है।

भारत और मॉरीशस के संबंधों की कहानी

मॉरीशस उन पहले कुछ देशों में से एक था, जिनके साथ आजादी मिलने के बाद भारत ने 1948 में राजनयिक संबंध स्थापित किए। 1968 में अंग्रेजों से आजाद होने के बाद से मॉरीशस पर मुख्य रूप से दो प्रमुख राजनीतिक परिवारों का शासन रहा है। इनमें एक- रामगुलाम (शिवूसागर रामगुलाम और उनके बेटे नवीन) और दूसरा जगन्नाथ (अनेरुद जगन्नाथ और बेटे प्रविंद) परिवार है। पिछले साल चुनाव जीतने वाले नवीन रामगुलाम इससे पहले दो बार (1995 से 2000 तक और 2005 से 2014 तक) मॉरीशस के प्रधानमंत्री रह चुके हैं।

इनके पिता ने देश के स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया था और स्वतंत्र मॉरीशस के पहले प्रधानमंत्री थे। उन्होंने गांधी, जवाहरलाल नेहरू और सरोजिनी नायडू सहित कई भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के साथ मिलकर काम किया। नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साथ उनके गहरे संबंध थे और उन्होंने बोस की एक किताब- द इंडियन स्ट्रगल (1934) की प्रूफ़रीडिंग भी की थी।

भारत-मॉरीशस के बीच आज रिश्ता और चीनी फैक्टर

अपने पहले कार्यकाल में पीएम मोदी मार्च 2015 में मॉरीशस गए थे, तब भारत ने अगलेगा द्वीप (Agaléga island) पर परिवहन सुविधाओं में सुधार के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया था।

इस समझौते में कहा गया है कि मॉरीशस के बाहरी द्वीप पर समुद्री और हवाई संपर्क में सुधार के लिए बुनियादी ढांचे से इस सुदूर द्वीप के लोगों की स्थिति में सुधार होगा। ये सुविधाएं बाहरी द्वीप में अपने हितों की रक्षा करने में मॉरीशस के रक्षा बलों की क्षमताओं को भी बढ़ाएंगी।

अगालेगा द्वीप मॉरीशस से 1,100 किलोमीटर उत्तर में स्थित है और भारतीय दक्षिणी तट के करीब है। यह 70 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। फरवरी 2024 में, भारत और मॉरीशस ने संयुक्त रूप से हवाई पट्टी और जेटी परियोजनाओं का भी उद्घाटन किया।

वहीं, जब इस तरह की बातें फैली कि भारत इस द्वीप पर एक सैन्य अड्डा बनाना चाहता है तो तत्कालीन पीएम प्रविंद जगन्नाथ ने उन्हें यह कहते हुए खारिज इसे खारिज किया कि, 'मॉरीशस कभी भी अगालेगा द्वीपों पर अपनी संप्रभुता को नहीं छोड़ेगा, जैसा कि मॉरीशस के अंदर और बाहर के कुछ दुर्भावनापूर्ण लोगों ने ऐसी बातें फैलाने की कोशिश की। अगलेगा को सैन्य अड्डे में बदलने का कोई एजेंडा कभी नहीं रहा है...यहां, मैं भारत विरोधी अभियान की कड़ी निंदा करना चाहता हूं।'

बता दें कि भारत के लिए हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती मौजूदगी हमेशा चिंता का विषय रही है। इसलिए वह मॉरीशस जैसे द्वीप देशों के साथ मिलकर काम करना चाहता है।

विशेष रूप से, मॉरीशस ने पिछले साल विनाशकारी चक्रवात चिडो (Chido) का सामना किया था। इससे अगालेगा द्वीप काफी प्रभावित किया था। भारत ने तब अपनी नौसेना का इस्तेमाल और अगालेगा में बनाए गए इंफ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल बखूबी स्थानीय लोगों के लिए सहायता और राहत सामग्री पहुंचाने के लिए किया था।

साथ ही भारत की मदद से तैयार इन सुविधाओं ने मॉरीशस को समुद्री निगरानी, ​​अपने विशाल विशेष समुद्री आर्थिक क्षेत्र की गश्ती, समुद्री डकैती, नशीली दवाओं और मानव तस्करी जैसी चुनौतियों आदि से निपटने में भी मदद की है।

मॉरीशस से इन क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर जोर

पीएम मोदी की मौजूदा यात्रा के दौरान भारत कई क्षेत्रों में मॉरीशस से सहयोग बढ़ाने पर चर्चा करेगा। इनमें रक्षा से लेकर भारतीय परियोजनाओं के कामकाज, व्यापार और स्पेस क्षेत्र में सहयोग जैसी बातें शामिल हो सकती हैं।

डिफेंस क्षेत्र की बात करें तो दोनों पक्ष विशेष रूप से रक्षा और समुद्री सुरक्षा पर आगे बढ़ने का विचार कर रहे हैं। भारतीय नौसेना और मॉरीशस के अधिकारियों के बीच व्हाइट-शिपिंग सूचना साझा करने को लेकर एक तकनीकी समझौते पर हस्ताक्षर होने की संभावना है। इससे मॉरीशस की समुद्री सुरक्षा और उसके व्यापारिक गलियारों की सुरक्षा और बढ़ेगी, और वास्तविक समय में डेटा-शेयरिंग से क्षेत्रीय सहयोग में सुधार होगा।

इसके अलावा भारत अभी मॉरीशस के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदारों में से एक है। सिंगापुर के बाद मॉरीशस वित्त वर्ष 2023-24 के लिए भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत रहा है। मॉरीशस और भारत ने लगभग 15 वर्षों की बातचीत के बाद 22 फरवरी, 2021 को व्यापक आर्थिक सहयोग और पार्टनरशिप एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए थे। वर्तमान में 11 भारतीय सार्वजनिक उपक्रम मॉरीशस में हैं। इनमें बैंक ऑफ बड़ौदा, भारतीय जीवन बीमा निगम और राष्ट्रीय भवन एवं निर्माण कंपनी लिमिटेड (एनबीसीसी) शामिल हैं।

पीएम मोदी के इस दौरे के दौरान शिवूसागर रामगुलाम और बिहार के उनके पूर्वजों के योगदान पर भी चर्चा की जाएगी। साथ ही दोनों देशों के बीच साझा सांस्कृतिक संबंधों का भी जश्न मनाया जाएगा। मॉरीशस में महाशिवरात्रि जैसे कई हिंदू त्योहार बड़े धूमधाम से मनाए जाते हैं।