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नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को ‘मिशन मौसम’ को लॉन्च करेंगे। प्रधानमंत्री कार्यालय के अनुसार, पीएम मोदी 14 जनवरी को सुबह करीब 10:30 बजे भारत मंडपम में आईएमडी के 150वें स्थापना दिवस के अवस पर इस मिशन का शुभारंभ करेंगे और समारोह को संबोधित करेंगे। इस दौरान जलवायु परिवर्तन अनुकूलन के लिए आईएमडी विजन-2047 दस्तावेज जारी करने की भी उम्मीद है।
इस मिशन को सितंबर 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अप्रूव किया गया था। दो वर्षों में 2,000 करोड़ रुपये के परिव्यय वाले इस महत्वाकांक्षी कार्यक्रम का क्रियान्वयन मुख्य रूप से भारतीय मौसम विज्ञान विभाग, भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान और राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र द्वारा किया जाएगा।
'मिशन मौसम' का उद्देश्य
मिशन मौसम का उद्देश्य भारत को एक "मौसम-सक्षम और जलवायु-स्मार्ट" राष्ट्र बनाना है, ताकि जलवायु परिवर्तन और अत्यधिक मौसम की घटनाओं के प्रभाव को कम किया जा सके और समुदायों को अधिक सक्षम और सशक्त बनाया जा सके। यह मिशन 2024-26 के दौरान लागू किया जाएगा।
मिशन मौसम का मुख्य उद्देश्य उन्नत मौसम निगरानी प्रौद्योगिकियों और प्रणालियों का विकास करना है। इसमें उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाले वायुमंडलीय अवलोकन, बेहतर समय-स्थान कवरेज के साथ अगली पीढ़ी के रडार और उन्नत उपकरणों से लैस उपग्रहों की स्थापना शामिल है। इसके साथ ही हाई-परफॉर्मेंस कंप्यूटरों को लगाया जाएगा।
मौसम और जलवायु प्रक्रियाओं की बेहतर समझ और पूर्वानुमान क्षमताओं को बढ़ाने के लिए उन्नत पृथ्वी प्रणाली मॉडल और डेटा-संचालित तकनीकों (AI/ML) का विकास किया जाएगा। इसके अलावा, मौसम प्रबंधन के लिए नई तकनीकों का निर्माण और अंतिम उपयोगकर्ता तक सटीक जानकारी पहुंचाने के लिए अत्याधुनिक प्रणाली का निर्माण किया जाएगा।
क्षमतावर्धन और डेटा प्रसार पर भी ध्यान दिया जाएगा, जिससे नागरिकों और संबंधित हितधारकों को प्रशिक्षित किया जा सके। मिशन के तहत बेहतर स्थानिक और समय-मानक पूर्वानुमान प्रणाली और वायु गुणवत्ता डेटा में सुधार किया जाएगा।
मार्च 2026 तक मिशन मौसम के तहत 50 डॉपलर वेदर रडार, 60 रेडियो सॉन्ड/रेडियो विंड स्टेशन, 100 डिसड्रोमीटर, 10 विंड प्रोफाइलर, 25 रेडियोमीटर, 1 शहरी परीक्षण क्षेत्र, 1 प्रक्रिया परीक्षण क्षेत्र, 1 समुद्री अनुसंधान केंद्र और 10 समुद्री स्वचालित मौसम स्टेशन स्थापित किए जाएंगे।
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'मिशन मौसम' भारत को मौसम और जलवायु विज्ञान में अग्रणी बनाएगा
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) के सचिव डॉ. रविचंद्रन ने कहा कि मिशन मौसम के तहत बेहतर निगरानी और डेटा एकत्रीकरण के लिए रडार, विंड प्रोफाइलर और रेडियोमीटर का एक व्यापक नेटवर्क स्थापित किया जाएगा। भौतिक प्रक्रियाओं और मौसम पूर्वानुमान विज्ञान की समझ को बढ़ाने के साथ-साथ अवलोकनों के बेहतर समेकन के लिए भौतिकीय मॉडल और डेटा-संचालित AI/ML तकनीकों का उपयोग किया जाएगा।
मिशन मौसम के तहत तीन प्रमुख संस्थान—भारतीय मौसम विभाग (IMD), राष्ट्रीय मध्यवर्ती मौसम पूर्वानुमान केंद्र (NCMRWF), और भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM)—इसका क्रियान्वयन करेंगे। इन संस्थानों को भारतीय राष्ट्रीय महासागरीय सूचना सेवा केंद्र (INCOIS), राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (NIOT) और अन्य राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय संस्थानों, शैक्षणिक संस्थानों और उद्योगों का सहयोग मिलेगा।
यह मिशन भारत को मौसम और जलवायु विज्ञान में अग्रणी बनाएगा और प्राकृतिक आपदाओं से निपटने की तैयारियों को सशक्त बनाएगा। मिशन मौसम के माध्यम से भारतीय समाज और अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों को व्यापक लाभ सुनिश्चित किया जाएगा।
'मिशन मौसम' से इन क्षेत्रों को सीधे फायदा मिलेगा
मिशन मौसम से कृषि, आपदा प्रबंधन, रक्षा, पर्यावरण, विमानन, जल संसाधन, बिजली, पर्यटन, शिपिंग, परिवहन, ऊर्जा और स्वास्थ्य जैसे कई क्षेत्रों को सीधे लाभ होगा। साथ ही, इससे शहरी नियोजन, सड़क और रेल परिवहन और पर्यावरण निगरानी जैसे क्षेत्रों में डेटा आधारित निर्णय लेने की प्रक्रिया में भी वृद्धि होगी। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री द्वारा जलवायु परिवर्तन अनुकूलन के लिए आईएमडी विजन-2047 दस्तावेज जारी करने की भी उम्मीद है। इसमें मौसम पूर्वानुमान, मौसम प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन रोकने की योजनाएं शामिल हैं।
समाचार एजेंसी आईएएनएस इनपुट के साथ