पीएम मोदी ने नए पंबन रेल पुल का किया उद्घाटन, भारत के इस पहले वर्टिकल लिफ्ट सी ब्रिज की क्या है खासियत?

रेलवे अधिकारियों के अनुसार, यह नया पुल ट्रेनों को 75 किमी/घंटा की रफ्तार से पांच मिनट से भी कम समय में पार करने की सुविधा देगा। जबकि पुराने पुल पर ट्रेनों को 10 किमी/घंटा की रफ्तार से गुजरने में 25-30 मिनट लगते थे।

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नया पंबन ब्रिज। तस्वीर X

रामेश्वरमः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को रामनवमी के पावन अवसर पर देश के पहले वर्टिकल लिफ्ट सी ब्रिज – नए पंबन ब्रिज का उद्घाटन किया। साथ ही उन्होंने रामेश्वरम से तांबरम (चेन्नई) के बीच नई ट्रेन सेवा को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। पीएम मोदी तीन दिवसीय श्रीलंका के दौरे के बाद रविवारतमिलनाडु के रामेश्वरम पहुंचे।

नया पंबन ब्रिज उस ऐतिहासिक पुल की जगह ले रहा है जो 111 वर्षों तक सेवा में रहा लेकिन संक्षारण (corrosion) के चलते 2022 में निष्क्रिय कर दिया गया।  रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL) द्वारा बनाए गए इस नए पुल को 550 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से निर्मित किया गया है। 

क्या है इस अत्याधुनिक ब्रिज की खासियत?

नया पंबन ब्रिज रामेश्वरम को मुख्य भूमि से जोड़ता है और यह भारत का पहला ऐसा समुद्री पुल है जिसमें वर्टिकल लिफ्ट तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। ब्रिज की लंबाई 2.08 किलोमीटर है और इसमें कुल 99 स्पैन हैं।

इस पुल का मुख्य आकर्षण है इसका 72.5 मीटर लंबा नेविगेशनल स्पैन, जो जरूरत पड़ने पर पांच मिनट से भी कम समय में 17 मीटर की ऊंचाई तक उठाया जा सकता है। जिससे समुद्री मार्ग से गुजरने वाले बड़े जहाज आसानी से निकल सकें। वहीं, ट्रेन सेवा भी बिना किसी रुकावट के जारी रह सकेगी। इसका इलेक्ट्रो-मैकेनिकल लिफ्टिंग सिस्टम मात्र एक ऑपरेटर द्वारा संचालित किया जाता है। हालांकि, यह प्रणाली तेज हवा (58 किमी/घंटा से अधिक) के दौरान काम नहीं करती।

तेज, सुरक्षित और भविष्य के लिए तैयार

पुल को समुद्री वातावरण से होने वाले क्षरण को झेलने के लिए विशेष सामग्रियों से तैयार किया गया है। इसमें स्टेनलेस स्टील की सुदृढ़ीकरण रॉड, कंपोजिट स्लीपर्स और पॉलीसिलॉक्सेन कोटिंग्स जैसी आधुनिक तकनीकों का प्रयोग हुआ है। इसका डिजाइन 100 साल की आयु और न्यूनतम रखरखाव को ध्यान में रखकर किया गया है।

हालांकि अभी यह पुल सिंगल रेल लाइन के लिए चालू है, लेकिन इसकी बुनियादी संरचना भविष्य में डबल लाइन का समर्थन करने में सक्षम है। यह बिजलीकरण के लिए भी पूरी तरह से तैयार है।

स्पीड भी दोगुनी, देरी भी खत्म

रेलवे अधिकारियों के अनुसार, यह नया पुल ट्रेनों को 75 किमी/घंटा की रफ्तार से पांच मिनट से भी कम समय में पार करने की सुविधा देगा। जबकि पुराने पुल पर ट्रेनों को 10 किमी/घंटा की रफ्तार से गुजरने में 25-30 मिनट लगते थे। कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी ने मुख्य स्पैन पर 75 किमी/घंटा और लिफ्ट सेक्शन पर 50 किमी/घंटा की अधिकतम गति की मंज़री दी है।

रेल सेवाएं फिर शुरू, करोड़ों श्रद्धालुओं को राहत

2022 से बंद रामेश्वरम की रेल सेवाएं अब नए पुल के शुरू होने के साथ बहाल हो जाएंगी। जैसे कि रामेश्वरम-तिरुपति साप्ताहिक एक्सप्रेस और रामेश्वरम-कन्याकुमारी त्रै-साप्ताहिक एक्सप्रेस फिर से चालू होंगी, जिससे हर साल 25 लाख से अधिक तीर्थयात्रियों को लाभ होगा, जो रामनाथस्वामी मंदिर के दर्शन को आते हैं।

इस ब्रिज को गोल्डन गेट ब्रिज (सैन फ्रांसिस्को) और लंदन के टॉवर ब्रिज जैसी विश्व प्रसिद्ध संरचनाओं की श्रेणी में रखा जा रहा है। आईआईटी मद्रास द्वारा प्रमाणित ऑटो लॉन्चिंग मेथड और अल्ट्रासोनिक टेस्टिंग जैसी तकनीकों का उपयोग कर इसका निर्माण हुआ है।

धार्मिक और भावनात्मक जुड़ाव का प्रतीक

पीआईबी की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, यह ब्रिज न केवल एक तकनीकी उपलब्धि है, बल्कि यह भारत के करोड़ों श्रद्धालुओं के लिए एक भावनात्मक और आध्यात्मिक सेतु भी है, जो रामेश्वरम को हृदय से जोड़ता है। यह क्षेत्रीय विकास, रोजगार और तीर्थाटन को भी नई दिशा देगा।

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