नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को तीन देशों के दौरे पर रवाना होंगे। वह कनाडा में G7 समिट में हिस्सा लेंगे। विदेश मंत्रालय ने शनिवार को इसकी जानकारी दी है। भारत सरकार दिल्ली और ओटावा के बीच संबंधों को फिर से बेहतर बनाने के लिए रास्ते तलाश रही है। प्रधानमंत्री भूमध्यसागरीय देशों साइप्रस और क्रोएशिया का भी दौरा करेंगे। पीएम मोदी का ऑपरेशन सिंदूर के बाद यह पहला विदेशी दौरा होगा।
नरेंद्र मोदी का कनाडा दौरा काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि खालिस्तान मुद्दे को लेकर दोनों देशों के बीच काफी समय से रिश्ते खराब हो रहे हैं। इस दौरे के दूसरे चरण में पीएम मोदी कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के निमंत्रण पर 16-17 जून को जी7 शिखर सम्मेलनख में हिस्सा लेंगे। इस दौरान पीएम मोदी वैश्विक मुद्दों को लेकर भारत का पक्ष रखेंगे। इनमें ऊर्जा सुरक्षा, टेक्नोलॉजी और नवाचार सहित प्रमुख मुद्दे शामिल हैं।
पीएम मोदी के G7 में शामिल न होने की रिपोर्ट
हालांकि, कुछ दिनों पहले ऐसी रिपोर्ट थी कि पीएम नरेंद्र मोदी जी7 समिट में हिस्सा नहीं लेगे। यदि ऐसा होता तो ऐसा पहली बार होता जब पीएम मोदी बीते छह सालों में इस सम्मेलन में हिस्सा नहीं लेते।
इसी हफ्ते विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि सरकार भारत और कनाडा के साथ संबंधों को बेहतर करने का प्रयास कर रही है। इस दौरान उन्होंने दोनों देशों को "जीवंत लोकतंत्र" बताया था।
मंत्रालय ने आगे कहा कि भारत जी7 सम्मेलन के दौरान दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच होने वाली आगामी बैठक को विचारों का आदान-प्रदान करने और द्विपक्षीय संबंधों को पुनर्जीवित करने के रास्ते तलाशने के एक महत्वपूर्ण अवसर के रूप में देखता है।
भारत और कनाडा के रिश्तों में खटास
भारत और कनाडा के रिश्तों में खटास पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो द्वारा सितंबर 2023 में खालिस्तानी अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत का हाथ होने के आरोप लगाने के बाद से हुई थी। भारत ने ट्रूडो के आरोपों को खारिज कर दिया था।
इसके बाद दोनों देशों के बीच रिश्तों में गिरावट तब और आई जब बीते साल कनाडा ने निज्जर की हत्या में भारतीय उच्चायुक्त संजय वर्मा और अन्य राजनयिकों के शामिल होने का आरोप लगाया था। इसके बाद दोनों देशों ने एक-दूसरे के राजनयिकों को देश छोड़कर जाने को कहा था।
हालांकि, कनाडा में मार्क कार्नी के पीएम चुने जाने के बाद दोनों देशों के सुरक्षा अधिकारियों ने बात करनी शुरू की है। वहीं, दोनों देश अब नए उच्चायुक्तों की नियुक्ति की संभावनाओं को देख रहे हैं।