वाराणसी में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का प्रधानमंत्री ने लिया जायजा, यूपी में 24 जिले बाढ़ की दृष्टि से अति संवेदनशील घोषित

वाराणसी में गंगा नदी चेतावनी बिंदु से लगभग एक मीटर ऊपर बह रही है, जबकि वरुणा नदी भी खतरे के निशान को पार कर गई है। वरुणा नदी से सटे 12 वार्ड जलमग्न हो चुके हैं।

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वाराणसी में गंगा नदी चेतावनी बिंदु से लगभग एक मीटर ऊपर बह रही है।

वाराणसी/लखनऊ: उत्तर प्रदेश में गंगा और उसकी सहायक नदियों के उफान के चलते बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है। विशेषकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में हालात बिगड़ते जा रहे हैं। शनिवार को प्रधानमंत्री मोदी ने वाराणसी पहुंचकर बाढ़ प्रभावित इलाकों की समीक्षा की और राहत कार्यों की तैयारियों की जानकारी ली। उन्होंने मंडलायुक्त और जिलाधिकारी से राहत व बचाव कार्यों पर विस्तृत जानकारी प्राप्त की।

गंगा नदी चेतावनी बिंदु से लगभग एक मीटर ऊपर बह रही है, जबकि वरुणा नदी भी खतरे के निशान को पार कर गई है। वरुणा नदी से सटे 12 वार्ड जलमग्न हो चुके हैं। अब तक शहर में 16 राहत शिविर संचालित किए जा चुके हैं, जहां बाढ़ प्रभावित लोगों ने शरण ली है। जिलाधिकारी, पुलिस कमिश्नर और एनडीआरएफ की टीमें लगातार मोटरबोट से तटवर्ती रिहायशी इलाकों का निरीक्षण कर रही हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रशासन को सतर्क निगरानी रखने और राहत कार्यों को युद्धस्तर पर चलाने के निर्देश दिए हैं। उधर, प्रधानमंत्री मोदी ने अपने दौरे के दौरान करीब 2,200 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास भी किया, जो बुनियादी ढांचे, शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन और सांस्कृतिक विरासत जैसे क्षेत्रों से जुड़ी हैं। उन्होंने 'प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि' की 20वीं किस्त भी देशभर के 9.7 करोड़ किसानों को जारी की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने नए भारत के निर्माण का जो विजन दिया है, वह जमीन पर उतर रहा है। यह पहली बार है जब कोई प्रधानमंत्री अपने निर्वाचन क्षेत्र में 51वीं बार आया है। पिछले 11 वर्षों में वाराणसी के लिए 51,000 करोड़ रुपये की परियोजनाएं स्वीकृत हुई हैं, जिनमें से 34,000 करोड़ रुपये की परियोजनाएं पूर्ण हो चुकी हैं।

यूपी के 24 जिले बाढ़ की दृष्टि से अति संवेदनशील घोषित

राज्य सरकार ने बाढ़ की गंभीरता को देखते हुए विशेष सतर्कता बरतनी शुरू कर दी है। मुख्य सचिव एस.पी. गोयल ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सभी जिलाधिकारियों के साथ राहत कार्यों की समीक्षा की और कहा कि “जन-धन की सुरक्षा सर्वोपरि है।” उन्होंने निर्देश दिया कि सभी कंट्रोल रूम 24 घंटे सक्रिय रहें और किसी भी आपात स्थिति में तत्काल कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।

राहत आयुक्त भानु चंद्र गोस्वामी ने बताया कि 24 जिले अति संवेदनशील घोषित किए गए हैं, जिनमें महाराजगंज, कुशीनगर, लखीमपुर खीरी, गोरखपुर, बहराइच, गाजीपुर, बलिया और सिद्धार्थनगर जैसे जिले शामिल हैं। इसके अलावा 16 अन्य जिले संवेदनशील श्रेणी में रखे गए हैं।

मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि सभी बाढ़ राहत शिविरों में लंच पैकेट, पीने का शुद्ध पानी, दवाइयां, रोशनी और जरूरी उपकरण उपलब्ध कराए जाएं। पशुओं के लिए गोआश्रय स्थलों में चारे की व्यवस्था हो और स्वास्थ्य विभाग की टीमें फील्ड में सक्रिय रहें। अस्पतालों में क्लोरीन टैबलेट, ओआरएस और आवश्यक दवाएं पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होनी चाहिए।

राज्य सरकार और प्रशासनिक अमला फिलहाल बाढ़ से निपटने के लिए अलर्ट मोड में है, लेकिन हालात की गंभीरता को देखते हुए राहत और बचाव कार्यों में और तेजी लाने की आवश्यकता बनी हुई है।

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