हैदराबादः तेलंगाना में फोन टैपिंग मामले की जांच कर रही स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) ने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री बंदी संजय कुमार को गवाह के तौर पर बयान दर्ज कराने के लिए तलब किया है। समन मिलने के बाद बंदी संजय ने कांग्रेस सरकार पर बड़ा हमला बोलते हुए पूछा है कि जब आरोपियों के बयानों में सीधे पूर्व मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (KCR) और बीआरएस नेता केटी रामाराव (KTR) का नाम लिया गया है, तो उन्हें अब तक पूछताछ के लिए क्यों नहीं बुलाया गया।

करीमनगर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए बंदी संजय ने आरोप लगाया कि, “क्या कांग्रेस और बीआरएस के बीच कोई अंदरूनी सांठगांठ है? आखिर एक-दूसरे को बचाने की कोशिश क्यों हो रही है?” उन्होंने यह भी दावा किया कि उन्होंने ही सबसे पहले इस संवेदनशील मामले को सार्वजनिक मंच पर उठाया था।

पूर्व पुलिस अधिकारी राधाकिशन राव का बयान अहम

मंत्री बंदी ने बताया कि इस मामले में आरोपी रहे पूर्व डीसीपी राधाकिशन राव ने बयान में साफ कहा है कि फोन टैपिंग का आदेश "ऊपरी स्तर से" मिला था। बंदी संजय ने यह भी दावा किया कि उन्होंने सबसे पहले सार्वजनिक रूप से फोन टैपिंग के मुद्दे को उठाया था और आरोप लगाया कि यह पूरा ऑपरेशन हैदराबाद और सिरसिल्ला (KTR का विधानसभा क्षेत्र) से संचालित हो रहा था।

उन्होंने केटीआर की अमेरिका यात्रा पर भी सवाल उठाया, जो कथित मुख्य आरोपी और राज्य इंटेलिजेंस ब्यूरो (SIB) के पूर्व प्रमुख प्रभाकर राव की भारत वापसी से ठीक पहले हुई। उन्होंने पूछा, “क्या यह सिर्फ संयोग है या कुछ छिपाने की कोशिश?” 

कांग्रेस पर प्रभाकर राव को संरक्षण देने का आरोप, सीबीआई जांच की मांग

राज्य मंत्री संजय बंदी ने कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाया कि वह प्रभाकर राव को संरक्षण दे रही है। उन्होंने कहा, “जिस व्यक्ति ने कई निर्दोष लोगों की ज़िंदगी बर्बाद की, उसे अब विशेष सम्मान दिया जा रहा है, जबकि उसे कोर्ट में घसीटा जाना चाहिए था।” उन्होंने आरोप लगाया कि तेलंगाना बोर्ड परीक्षा पेपर लीक मामले में उन्हें प्रभाकर राव के निर्देश पर ही गिरफ्तार किया गया था।

बंदी संजय ने कहा कि उन्हें स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) की ओर से पूछताछ के लिए बुलाया गया है। वे इस मामले में दूसरे प्रमुख गवाह होंगे। इससे पहले तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष महेश कुमार गौड़ SIT के सामने पेश हो चुके हैं।

प्रभाकर राव शुक्रवार को लगातार पांचवें दिन SIT के सामने पूछताछ के लिए पेश हुए। जांच अधिकारी उनसे बीआरएस के सत्ता में रहने के दौरान बड़ी संख्या में फोन नंबरों को निगरानी में रखने के बारे में पूछताछ कर रहे हैं। उन पर आरोप है कि उन्होंने SIB में एक टीम का गठन किया था, जो विपक्षी दलों के नेताओं, बीआरएस के भीतर असंतुष्टों, व्यापारियों, मशहूर हस्तियों, पत्रकारों और यहां तक कि न्यायाधीशों के फोन भी टैप करती थी।

क्या है मामला?

यह मामला मार्च 2023 में सामने आया था, जब बीआरएस की सरकार सत्ता से बाहर हो चुकी थी। मामले में चार पुलिस अधिकारियों की गिरफ्तारी हुई थी, जो बाद में जमानत पर रिहा हो गए। मुख्य आरोपी प्रभाकर राव अमेरिका में थे और गिरफ्तारी से बच रहे थे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दो सप्ताह पहले वे भारत लौटे।