नई दिल्ली: केंद्र सरकार देश में गिग वर्करों के लिए एक सामाजिक सुरक्षा नीति पर काम कर रही है। इसके तहत वे प्लेटफार्म जिनके लिए वे काम करते हैं, उनसे इन श्रमिकों को दिए जाने भुगतान का कुछ अंश काटने कर्मचारी पेंशन योजना में जमा करने के लिए कहा जा सकता है। सरकार भी प्लेटफॉर्म द्वारा जमा की जाने वाली राशि का 3-4% योगदान के तौर पर इसमें दे सकती है।
गिग श्रमिकों की बात करें तो इसमें केवल फूड डिलीवरी और कार राइड ऐप्स ही नहीं बल्कि सॉफ्टवेयर और अन्य क्षेत्रों के वर्कर्स भी शामिल हैं। यह सभी कुछ साल पहले लागू किए गए श्रम कोड का हिस्सा थे, जिन्हें अब तक लागू नहीं किया जा सका है। ऐसा इसलिए है क्योंकि सभी राज्य इस मुद्दे पर एक साथ नहीं हैं।
चूंकि कई गिग कर्मचारी कई प्लेटफार्मों के लिए एक साथ काम करते हैं, तो ऐसे में इनके लिए भुगतान करने वाली कंपनियों के लिए निर्धारित राशि में कटौती करना और इसे कर्मचारी भविष्य निधि संगठन में जमा करना आसान हो सकता है।
सोशल सिक्यूरिटी कोड: जल्द लागू होने की संभावना
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार श्रम मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘हम इसकी डिटेल पर काम कर रहे हैं और हमें उम्मीद है कि इसे जल्द ही लागू किया जाएगा।’ उन्होंने कहा कि केंद्र भी लेबर कोड को आगे बढ़ाने के लिए राज्यों के साथ बातचीत कर रहा है।
सामाजिक सुरक्षा संहिता (Social Security Code) में एक सामाजिक सुरक्षा कोष स्थापित करने सहित अन्य लाभों के साथ-साथ स्वास्थ्य और दुर्घटना बीमा का भी प्रावधान किया गया है। कुछ महीने पहले, श्रम मंत्री मनसुख मंडाविया ने संकेत दिया था कि गिग श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा के रास्ते लेबर कोड को लागू करने के रास्ते पर आगे बढ़ा जा सकता है।
गिग वर्कर्स के लिए अन्य योजनाओं पर भी विचार
रिपोर्ट के अनुसार श्रम मंत्रालय ने एक वरिष्ठ अधिकारी के तहत एक पैनल का गठन किया है। यह देखा जा रहा है कि योजना को कैसे लागू किया जाएगा। सूत्रों के अनुसार इस पर विचार हो रहा है कि जमा होने वाला पैसा रिटायरमेंट के बचत के रूप में उपलब्ध होना चाहिए। इसका मतलब ये हुआ कि श्रमिक अपने इस जमा हुए पैसे का इस्तेमाल कर सकें, जब वे काम करना बंद कर दें।
रिपोर्ट के मुताबिक गिग श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना आने वाले हफ्तों में सरकार के प्रमुख एजेंडे में शामिल है। दरअसल, कई सर्वेक्षणों से पता चला है कि उनके लिए अपर्याप्त सुरक्षा है। श्रम मंत्रालय हाल के दिनों में यह सुनिश्चित करने के लिए कई प्लेटफार्मों के साथ बातचीत कर रही थी कि आयुष्मान भारत और दुर्घटना और जीवन बीमा जैसी मौजूदा योजनाओं का लाभ इन्हें उपलब्ध कराया जाए। कुछ राज्यों ने भी गिग श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के प्रावधानों की घोषणा की है।
देश में 50 लाख से ज्यादा गिग वर्कर्स
नीति आयोग के अनुसार भारत में इस समय करीब 65 लाख गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर हैं। हालांकि, इनकी संख्या और अधिक भी हो सकती है। पिछले साल भी ऐसी रिपोर्ट आई थी, कि इस साल के बजट में गिग वर्कर्स को लेकर कुछ अहम घोषणा हो सकती है। सरकार गिग वर्करों के लिए अलग विशिष्ट पहचान संख्या देने की योजना भी शुरू कर सकती है। इससे योजनाओं को उन तक पहुंचाना सरकार के लिए आसान होगा।