केरल के पेंशन घोटाला मामले में 38 कर्मचारी निलंबित, 18% ब्याज के साथ पैसे वसूलने की सरकार की तैयारी

केरल के वित्त विभाग द्वारा किए गए एक आंतरिक ऑडिट में पाया गया कि ये कर्मचारी गैरकानूनी तरीके से पेंशन का लाभ उठा रहे थे।

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Pension fraud charges against 1,458 Kerala government employees exposed 38 suspended state prepared to recover money with 18% interest

प्रतीकात्मक फोटो (फोटो- IANS)

तिरुवनंतपुरम: केंद्र सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के दुरुपयोग को लेकर केरल सरकार ने सख्त कार्रवाई की है। सरकार ने सामाजिक कल्याण पेंशन का दुरुपयोग और धोखाधड़ी करने के आरोप में राजस्व, सर्वेक्षण, और भूमि रिकॉर्ड विभागों के 38 सरकारी कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है।

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, निलंबित कर्मचारियों में राजस्व विभाग के चार और सर्वेक्षण एवं भू-अभिलेख विभाग के 34 कर्मचारी शामिल हैं। राज्य सरकार ने इन कर्मचारियों द्वारा अवैध रूप से प्राप्त राशि का विवरण जारी किया है और अब 18 फीसदी ब्याज के साथ पूरी राशि वसूलने की तैयारी कर रही है।

जांच में यह सामने आया कि सर्वेक्षक, कार्यालय सहायक, ड्राफ्ट्समैन, क्लर्क, टाइपिस्ट और माली जैसे विभिन्न पदों पर कार्यरत कर्मचारियों ने कल्याणकारी योजना का गलत फायदा उठाया था।

कोट्टायम और मलप्पुरम कलेक्टरेट समेत विभिन्न सरकारी कार्यालयों के अंशकालिक सफाई कर्मचारियों ने कल्याण पेंशन के तहत 52,000 से 53,400 रुपए तक की राशि प्राप्त की।

केरल के 1458 कर्मचारियों के धोखाधड़ी का हुआ है खुलासा

रिपोर्ट में 1,458 सरकारी कर्मचारियों द्वारा बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी का खुलासा हुआ है, जिनमें राजपत्रित अधिकारी, सहायक प्रोफेसर और उच्च माध्यमिक शिक्षक भी शामिल हैं। वित्त विभाग द्वारा किए गए एक आंतरिक ऑडिट में पाया गया कि ये लोग गैरकानूनी तरीके से पेंशन प्राप्त कर रहे थे।

वित्त विभाग के निर्देश के बाद सूचना केरल मिशन ने इस धोखाधड़ी का खुलासा किया। इनमें दो सहायक प्रोफेसर (एक तिरुवनंतपुरम और दूसरा पलक्कड़) और तीन उच्च माध्यमिक शिक्षक भी शामिल हैं।

धोखाधड़ी में केरल के स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों की संख्या ज्यादा

जांच में केरल के स्वास्थ्य विभाग के 373 कर्मचारियों को सामाजिक कल्याण पेंशन का गलत इस्तेमाल करते हुए पाया गया है। धोखाधड़ी करने वाले कर्मचारियों में इस विभाग की संख्या सबसे अधिक है।

13 दिसंबर, 2024 को जारी एक परिपत्र में, राज्य के वित्त विभाग ने धोखाधड़ी से निकाली गई सभी राशियों की वसूली का आदेश दिया और इसके साथ 18 फीसदी ब्याज भी लगाने का निर्देश दिया।

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