सुप्रीम कोर्ट Photograph: (IANS)
Pegasus row: पेगासस जासूसी रिपोर्ट को सार्वजनिक करने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने मंगलवार को कहा कि देश की सुरक्षा और संप्रभुता से जुड़ी किसी भी रिपोर्ट का खुलासा नहीं किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर देश में स्पाईवेयर का इस्तेमाल हो रहा है, तो गलत क्या है। साथ ही कोर्ट ने यह भी साफ किया कि पेगासस के जरिए जासूसी की जांच कर रही कमेटी की रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता।
बेंच ने कहा, 'व्यक्तिगत आशंकाओं का समाधान किया जा सकता है, लेकिन टेक्निकल पैनल की रिपोर्ट सड़कों पर चर्चा के लिए नहीं हो सकती। इस बात की जांच करनी होगी कि पैनल की रिपोर्ट किस हद तक व्यक्तियों के साथ साझा की जा सकती है। अगली सुनवाई 30 जुलाई को होगी।'
रिपोर्ट में जासूसी का दावा
बता दें कि साल 2021 में न्यूज पोर्टल 'द वायर' की एक रिपोर्ट में दावा किया था कि भारत सरकार ने 2017 से 2019 के दौरान लगभग 300 भारतीयों की जासूसी की। इन लोगों में पत्रकार से लेकर वकील, सामाजिक कार्यकर्ता, बिजनेसमैन सहित विपक्ष के कई नेता शामिल थे। रिपोर्ट में दावा था कि सरकार ने पेगासस स्पाइवेयर के जरिए इन लोगों के फोन हैक किए थे। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद कई लोगों ने सरकार के खिलाफ कोर्ट में याचिका लगाई थी। इसके बाद अगस्त 2021 में यह मुद्दा सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।
याचिका में रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग की गई थी
तब सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर 2021 पेगासस जासूसी मामले की जांच करने के लिए रिटायर्ड जस्टिस आरवी रवींद्रन की अध्यक्षता में कमेटी बनाई। अगस्त 2022 में इसकी रिपोर्ट आई। इसमें कहा गया था कि जांचे गए किसी भी मोबाइल में पेगासस स्पाइवेयर नहीं मिला। उधर, सरकार ने सभी आरोपों को निराधार बताया था। इलेक्ट्रॉनिक्स और IT मंत्रालय के एडिशनल सेक्रेटरी ने दो पन्नों के एफिडेविट में कहा था कि भारत एक मजबूत लोकतंत्र है और अपने नागरिकों के निजता के अधिकार के लिए पूरी तरह समर्पित है। सरकार पर जो जासूसी के आरोप लग रहे हैं वो बेबुनियाद हैं।
क्या है पेगासस स्पाईवेयर?
पेगासस एक स्पायवेयर है। स्पाईवेयर, यानी जासूसी या निगरानी के लिए इस्तेमाल होने वाला सॉफ्टवेयर। इसके जरिए किसी फोन को हैक किया जा सकता है। हैक करने के बाद उस फोन का कैमरा, माइक, मैसेजेस और कॉल्स समेत तमाम जानकारी हैकर के पास चली जाती है। इस स्पाईवेयर को इजराइली कंपनी NSO ग्रुप ने बनाया है।