वक्फ संशोधन विधेयक पर जेपीसी को ईमेल के जरिए मिले 84 लाख सुझाव, कब पेश होगी रिपोर्ट?

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वक्फ संशोधन विधेयक पर जेपीसी को ईमेल के जरिए मिले 84 लाख सुझाव, कब पेश होगी रिपोर्ट?

संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल। फोटोः IANS

नई दिल्लीः वक्फ (संशोधन) विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति में भेज दिया गया है। इसके लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के सामने ईमेल के जरिये 84 लाख सुझाव आ चुके हैं। इसके अलावा, 70 बॉक्स के माध्यम से लिखित सुझाव भी प्राप्त हुए हैं। सुझाव देने की आखिरी तारीख 16 सितंबर को रात तक है।

विधेयक को लेकर आम लोगों से उनकी राय भी मांगी गई थी

इस विधेयक को लेकर संयुक्त संसदीय समिति में अब तक चार बार बैठक हो चुकी है। विधेयक को लेकर आम लोगों से उनकी राय भी मांगी गई थी। जेपीसी इन सुझावों पर चर्चा करने के अलावा विशेषज्ञों और हितधारकों के सुझाव भी सुनेगी। समिति की अगली बैठक 19-20 तारीख को होगी। 19 तारीख की बैठक के लिए पटना लॉ कॉलेज के चांसलर को बुलाया गया है।

वहीं जेपीसी की 20 सितंबर को होनी वाली छठी बैठक के लिए अखिल भारतीय सज्जादानशीन परिषद-अजमेर, मुस्लिम राष्ट्रीय मंच और भारत फर्स्ट-दिल्ली से जुड़े लोगों को बुलाया गया है।

संसदीय समिति की 26 सितंबर से 1 अक्टूबर तक कई शहरों में बैठक

इसके बाद समिति की अगली बैठक 26 तारीख से 1 अक्टूबर तक देश के अलग-अलग शहरों में होगी। जहां लोगों से राय ली जाएगी। इसमें मुस्लिम संगठन भी शामिल होंगे। इसके पश्चात जेपीसी विधेयक पर व्यापक विमर्श करने के बाद समिति को अपनी रिपोर्ट पेश करनी है। जेपीसी इसको शीतकालीन सत्र से पहले पेश करेगी। जेपीसी में चर्चा के दौरान विधेयक को सही पाया गया तो इसे संसद में पारित कर दिया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल हैं जो भाजपा के सांसद भी हैं। जगदंबिका पाल ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि समिति का मकसद इस बिल से जुड़े सभी हितधारकों और लोगों के साथ विचार-विमर्श करना है।

उन्होंने बताया कि 26 सितंबर से 1 अक्टूबर के बीच जेपीसी मुंबई, अहमदाबाद, हैदराबाद, चेन्नई और बेंगलुरु जाएगी। इस दौरे के दौरान समिति वक्फ बोर्ड के लोगों, मुस्लिम स्कॉलर और बार काउंसिल सहित अन्य कई लोगों से मुलाकात करेगी। बताया जा रहा है कि जेपीसी अक्टूबर में लखनऊ और कोलकाता समेत देश के कई अन्य राज्यों के शहरों का भी दौरा कर सकती है।

इससे पहले कलकत्ता हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश शहीदुल्लाह मुंशी ने भी कहा था कि इस विधेयक पर संशोधन करने से पहले सरकार को आम जनता से राय लेनी चाहिए थी।

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--आईएएनएस इनपुट

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